कम ब्याज, ऊंची गैर-ब्याज आय से बैंकों को मदद

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 8:37 AM IST

निफ्टी बैंक सूचकांक एक महीने में 12 प्रतिशत की ज्यादा तेजी के साथ प्रमुख सूचकांकों में शानदार प्रदर्शन करने वाला रहा है। औसत तौर पर बैंक शेयरों में इस अवधि में 8-12 प्रतिशत तक की तेजी आई। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) इस अवधि के दौरान 38 प्रतिशत से ज्यादा की तेजी के साथ इस सूची में शीर्ष पर रहा। कई बैंकों की शेयर कीमतें दिसंबर 2020 तिमाही के संभावित नतीजों से बेहतर प्रतिक्रिया में चढ़ी हैं।
अब तक एक प्रतिशत से कम पर कुल ऋण पुनर्गठन और बैंकों को अनुमान से कम पुनर्गठन अनुरोधों (कुल ऋण बुक का 2-3 प्रतिशत) के साथ विश्लेषकों ने बैंकिंग सेक्टर के दिसंबर तिमाही नतीजों पर सकारात्मक रुख अपनाया है।
मॉर्गन स्टैनली के विश्लेषकों का कहना है, ‘भारतीय बैंकों में चर्चा अब खराब ऋणों से वृद्घि पर केंद्रित हो गई है। कई संकेतक मजबूत बने हुए हैं और हमें मौजूदा तेजी बरकरार रहने की संभावना है।’ विश्लेषकों का कहना है, ‘पिछले तीन महीनों के मुकाबले शेयरों ने पिछले सप्ताह अच्छा प्रदर्शन किया और कीमतों पर वृद्घि में सुधार का असर दिखने की संभावना है। लेकिन यदि  अब प्रतिफल नरम रहता है तो निवेशक दूरी बना सकते हैं। हम सकारात्मक बने हुए हैं क्योंकि वृद्घि की गति मजबूत है, और हमारा मानना है कि प्रतिफल का अगला चरण मूल्यांकन रेटिंग में बदलाव पर केंद्रित होगा।’
कुछ अन्य विश्लेषक भी इस सेक्टर पर आशान्वित हैं। मध्य 2020 में मौजूदा जोखिम को देखते हुए भारतीय बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता में बड़ा बदलाव आया है। बोफा सिक्योरिटीज के विश्लेषकों का कहना है कि हमारी विश्लेषण रिपोर्टों को अल्पावधि नकारात्मक बदलाव के कुछ जोखिम से भी मदद मिला है।
हालांकि आंकड़ों से संकेत मिलता है कि बाजार दो मुख्य मानकों – परिचालन सुधार और परिसंपत्ति गुणवत्ता पर ध्यान दे सकता है।
पहला, तीसरी तिमाही की ब्याज आय वृद्घि औसत तौर पर कई बैंकों के लिए सालाना आधार पर एक प्रतिशत तक कमजोर पड़ी है। ऋणों में 4-6 प्रतिशत की वृद्घि के बावजूद ब्याज आय में यह कमजोरी दर्ज की गई है। एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक 2-3 प्रतिशत ब्याज आय वृद्घि के साथ अपवाद रहे हैं। आय वृद्घि को 9-15 प्रतिशत की ऋण वृद्घि से मदद मिली। इसलिए ज्यादातर परिचालन प्रदर्शन कम ब्याज लागत पर केंद्रित रहा। ब्याज लागत में 5-14 प्रतिशत तक की कमी आई। शुद्घ ब्याज आय को करीब 3 प्रतिशत तक की तेजी से मदद मिली। येस बैंक के मामले में, ब्याज खर्च में 40 प्रतिशत तक की कमी आई जिससे शुद्घ मुनाफा वद्घि को मदद मिली। लगातार दो कमजोर तिमाहियों के बाद शुद्घ ब्याज आय में सुधार आने से भी तीसरी तिमाही में बैंकों को मदद मिली है।
तीसरी तिमाही में प्रावधान लागत में इजाफा दर्ज किया गया और यह सभी बैंकों के लिए 12-40 प्रतिशत तक बढ़ गई। उज्जीवन स्मॉल फाइनैंस बैंक, एयू स्मॉल फाइनैंस बैंक, बंधन बैंक, इक्विटास स्मॉल फाइनैंस बैंक और सीएसबी बैंक जैसे नए बैंकों ने प्रावधान खर्च में कई गुना की वृद्घि दर्ज की।
हालांकि इससे पता चलता है कि बैंकों ने आगामी झटकों का मुकाबला करने के लिए बफर में सुधार किया है, लेकिन वास्तव में जरूरत एनपीए और प्रोफॉर्मा एनपीए के बीच अंतर पर ध्यान देने की है। 2020-21 की जुलाई-सितंबर तिमाही में निजी बैंकों के लिए यह अंतर 0.7 प्रतिशत से कम और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए 0.6-1.6 प्रतिशत के बीच रहा। हालांकि तीसरी तिमाही में, तस्वीर काफी अलग थी और समीक्षा में शामिल 17 बैंकों (6 आधार अंक की गिरावट के अंतर के साथ केनरा बैंक अपवाद रहा) में से 16 के लिए यह अंतर बढ़ा है। निजी बैंकों (उज्जीवन स्मॉल फाइनैंस बैंक और बंधन बैंक अलग रहे) के लिए अंतर 0.6-3 प्रतिशत और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए 0.7-2 प्रतिशत के बीच रहा।
यह ऐसी स्थिति है जिसका अंदाज बाजार सही तरीके से नहीं लगा सकता है। दरअसल, बैंकों ने तीसरी तिमाही में परिसपंत्ति गुणवत्ता को बनाए रखकर वित्त वर्ष 2022 के लिए आय अनुमानों में 8-16 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज की। हालांकि प्रबंधन इस मोर्चे पर काफी हद तक सतर्क हैं जबकि बाजार इसकी अनदेखी कर रहा है। परिसंपत्ति गुणवत्ता की सही तस्वीर तभी सामने आएगी, जब सर्वोच्च न्यायालय परिसंपत्ति वर्गीकरण पर रोक को समाप्त करता है। हालांकि बाजार में अभी इसका असर नहीं दिखा है। 

First Published : February 7, 2021 | 11:46 PM IST