पैसे के हस्तांतरण में परेशानी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 9:02 PM IST

जब आप अपना पैसा बैंक के जरिये ट्रांसफर कर रहे होते हैं खासकर विदेशों से तो इस काम को अंजाम देने के लिए काफी लंबा समय लगता है और इसके लिए अतिरिक्त शुल्क भी हमें अदा करना पड़ता है।


उपभोक्ताओं को अमूमन ऐसा महसूस होता रहा है कि जिस कीमत एवं अतिरिक्त शुल्क पर यह सेवा प्रदान की जा रही है वह उसके योग्य नहीं है या फिर हम यूं कहें कि कीमत के बदले उस लायक सेवा नहीं दी जा रही है। लिहाजा इन स्थितियों में यह बिल्कुल प्रासंगिक है कि आप अपनी जमा पूंजी को बचाने के लिए अपनी रणनीतियों में बदलाव लाएं।

विदेशी जमा

जब आप विदेशी कारोबार या फिर सौदों से रकम हासिल करते हैं तो इसे आपके स्थानीय खातों में जमा करने की जरूरत आन पड़ती है। इसे प्रवासी भारतीयों के विदेशी बैंक खातों से भारतीय प्रवासियों के खातों में जमा कर दिया जाता है।

लिहाजा पहली वाली स्थिति में खातों में प्रत्यक्ष क्रेडिट की जरूरत होती है क्योंकि इसके जरिये ट्रांसफर का काम जल्द अंजाम दिया जाता है। लेकिन जब इसी काम को चेक के जरिए किया जाता है तो फिर वहां इसमें कितना समय और पैसा लग रहा है इस पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है। आमतौर पर ऐसा देखा गया है कि इसमें अनावश्यक रूप से वक्त ज्यादा लगता है।

मसलन कभी कभी विदेशी खाते से वांछित खाते में पैसा आते आते 10 से 12 दिन लग जाते हैं। कुछ बैंक इसके लिए 50 से 100 रुपये लेते हैं पर विनिमय दर देखनी पड़ती है क्योंकि इसे नजरअंदाज करने का मतलब मुश्किल को न्योता देना है।

साथ ही अगर इस पर शुल्क भी अदा करना पड़े तो यह सरासर घाटा सहने जैसा होगा। क्योंकि सामान्य शुल्कों की ही बात करें, जिनकी दर आमतौर पर 0.25 फीसदी से 0.30 फीसदी होती है और जो राशि अंत में 250 से 300 रुपये बैठती है। अगर पैसे के हस्तांतरण में देरी होती है तो फिर दरकार इस बात की है कि इस मुद्दे को बैंक प्राधिकरण के पास ले जाया जाए।

बाह्य केंद्रों के लिए जमा

जब किसी देश के भीतर ही कोई उपभोक्ता दूसरे जगहों के लिए रकम भेजने जा रहा हो तो दरकार इस बात की होती है कि इसमें लगने वाले पैसे पर निगाह रखी जाए। हालांकि यहां एक सुविधा होती है जिसके जरिये चेकों को समान बैंक की विभिन्न शाखाओं में जमा किया जा सकता है।

इस प्रक्रिया के कारण समान बैंक के चेक को दूसरे किसी शहर के उसी बैंक की शाखा में स्थानीय चेक की तरह समझा जाना संभव हो जाता है। लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ बैंकों में कुछ इस प्रकार की समस्याएं वर्तमान हैं कि ज्यादा समय एवं ज्यादा पैसा खर्च होता है। आमतौर पर उपभोक्ता यह पाते हैं कि पैसा ट्रांसफर होने में कुछ ज्यादा वक्त लगा है।

जबकि इस दौरान बैंक इस रकम का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करते हैं। इतना ही नही बल्कि बैंक कई और प्रकार की कलेक्शन फी का भी इस्तेमाल करते हैं। वास्तव में ऐसे कोई भी शुल्क नहीं लगने चाहिए। लिहाजा अगर कभी ऐसे शुल्क लगते हैं तो फिर अहम काम यह होता है कि आप बैंक जाएं और फिर इसे रिजर्व करवाया जाए।

बाह्यकेंद्र के लिए इन कामों को अंजाम देने के लिए कम से कम 50 से 100 रुपये का शुल्क अदा करना होता है। हालांकि यह स्थिति ज्यादा रकम वाले में और ज्यादा हो जाते हैं। मसलन एक लाख रुपये वाली स्थिति में 500 रुपये का शुल्क अदा करना होता है।

फंड का ट्रांसफर

आमतौर पर किसी भी व्यक्ति के पास कई प्रकार के खाते संभव हैं। कारोबारी या फिर म्युचुअल फंड खाताधारक। ऐसी स्थिति में यह तलाश करना काफी सामान्य सा काम है कि मासिक या फिर आवधिक फंड ट्रांसफर के काम में कितना समय लगना है क्योंकि अगर यह काम समय पर नही होता है तो फिर किसी को इसके लिए बहुत भारी कीमत अदा करनी पड़ सकती है।

अगर ज्यादा दर पर कम मात्रा वाले शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य की दर पर निवेश किया गया हो तो उस स्थिति में ज्यादा कमाई की उम्मीद बेमानी साबित होती है। इस सुविधा के लिए हालांकि किसी प्रकार के कोई शुल्क नहीं लगते पर इसमें खतरा दंडराशि का भुगतान करने का होता है।

मसलन क्रेडिट कार्ड से भुगतान करने वाली स्थिति में अगर देरी होती है तो फिर दंडराशि 300 से 350 रुपये के साथ ब्याज दर भी होती है। इन सभी स्थितियों में सीधे पैसे का ट्रांसफर बेहतर तरीका है। हालांकि कुछ स्थितियों में बैंक की मदद लेना फायदेमंद साबित होता है।

First Published : September 14, 2008 | 11:00 PM IST