ऑर्किड फार्मा का शेयर गुरुवार को 2,129 रुपये पर पहुंच गया, जो नवंबर 2020 के 18 रुपये के मुकाबले 11,700 फीसदी ज्यादा है। धानुका लैबोरेटरीज के लिए यह खुशी की बात है, जिसने करीब एक साल पहले एनसीएलटी समाधान प्रक्रिया के जरिए कंपनी का अधिग्रहण किया। शेयर मेंं हालांकि असाधारण बढ़ोतरी हुई है, लेकिन विशेषज्ञ सतर्कता बरतने की सलाह दे रहे हैं।
दिवालिया संहिता के दायरे में आने के बाद भी ऑर्किड के चार संयंत्रों का परिचालन हो रहा था। नए प्रबंधन ने कंपनी के परिचालन और शोध क्षमता पर रकम झोंकी।
धानुका लैबोरेटरीज के अधिकारियों ने कहा कि ऑर्किड के उत्पादों की मांग बढ़ रही है और क्लाइंटों के साथ मजबूत संबंध के कारण उसके ज्यादातर ग्राहक फर्म के पास लौट आए हैं। ऑर्किड फार्मा के अधिग्रहण से धानुका लैबोरेटरीज को विनियमित बाजारों में अपनी मौजूदगी का विस्तार करने में मदद मिलेगी, जो अभी गैर-विनियमित या अर्ध-विनियमित बाजारों में परिचालन कर रही है। धानुका लैब का कहना है कि नुकसान वाली ऑर्किड फार्मा 20 से 25 फीसदी की बढ़त दर्ज करेगी और 6 से 12 महीने में मुनाफे में लौट आएगी।
बाजार के विश्लेषक अंबरीश बालिगा ने कहा कि पूंजी का पुनर्गठन और नए प्रबंधन के कार्यभार संभालने का फायदा शेयर को मुख्य रूप से मिल रहा है। कंपनी की बैलेंस शीट भी अब बेहतर है। जुलाई 2019 में शेयर के निलंबन से पहले 1,000 शेयर वाले निवेशकों को नई व्यवस्था के तहत चार शेयर आवंटित किए गए थे। बालिगा ने कहा, नए प्रबंधन के कार्यभार संभालने के बाद शेयर की आदर्श कीमत 2,600-2,700 रुपये होनी चाहिए।
कुछ विश्लेषकों ने हालांकि कहा कि निवेशकों को सतर्कता बरतनी चाहिए क्योंकि कंपनी अभी लाभ में नहीं लौटी है और वित्त वर्ष 2013 के बाद एक साल को छोड़कर बाकी में नुकसान दर्ज किया है। देसी ब्रोकरेज फर्म के एक विश्लेषक का मानना है कि अपनी मौजूदगी बढ़ाने, बिक्री में इजाफा करने और मुनाफा दर्ज करने में तब तक मुश्किल होगी जब तक कि अनुबंध मिलने की पुष्टि न हो और संयंत्रों में इस्तेमाल का स्तर ऊंचा न हो। इसके अतिरिक्त कीमत का दबाव और संयंत्रों के अनुपालन की अनिवार्यता (खास तौर से विनियमित बाजारों में बिक्री के लिए) अहम चुनौती होगी।
विश्लेषकों ने कहा कि शेयर कीमतों में तीव्र बढ़ोतरी सार्वजनिक तौर पर कम शेयरों की मौजूदगी का नतीजा भी है क्योंकि 98.07 फीसदी हिस्सेदारी प्रवर्तकों के पास है। अंतत: वित्त वर्ष 2020 की बिक्री के 18 गुने पर मूल्यांकन भी महंगा है।
रेटिंग एजेंसी केयर ने सितंबर 2019 में ऑर्किड फार्मा की रेटिंग वापस ले ली थी जब कंपनी ने सूचनाओं का खुलासा नहीं किया। अक्टूबर 2020 में उसने कंपनी को स्थिर रेटिंग दी।
अप्रैल 2020 से दिसंबर 2021 के दौरान ऑर्किड का एकीकृत शुद्ध नुकसान 91.80 करोड़ रुपये रहा, जो एक साल पहले 92.21 करोड़ रुपये रहा था।