केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए पिछला हफ्ता राहत भरा रहा। हालांकि कोरोनावायरस महामारी में निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की तरह सरकारी कर्मियों पर छंटनी की गाज नहीं गिरी थी और वेतन में कटौती से भी वे कमोबेश महफूज ही रहे थे मगर वित्त मंत्री का ऐलान उन्हें खुश होने का एक और मौका दे गया होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सोमवार को ऐलान किया कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को यात्रा अवकाश (एलटीसी) के किराये के बदले इस साल नकद वाउचर दिए जाएंगे। जिन कर्मचारियों को कोविड-19 के कारण लगे प्रतिबंधों की वजह से एलटीसी का फायदा डूब जाने का अंदेशा था, उनके लिए यह अच्छी खबर है। वित्त मंत्री की घोषणा के मुताबिक इन वाउचरों का इस्तेमाल खाने-पीने से इतर ऐसे सामान की खरीदारी में किया जा सकता है, जिन पर 12 फीसदी या उससे ज्यादा दर से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) वसूला जाता है। अगर राज्य सरकार चाहें या निजी क्षेत्र की कोई कंपनी चाहे तो नकद वाउचर की यही योजना राज्य कर्मचारियों या निजी कर्मचारियों के लिए लागू हो सकती है।
सैर नहीं तो नकद सही
एलटीसी का फायदा कर्मचारियों को चार साल में एक बार मिलता है। इस बार चार साल की यह खेप वित्त वर्ष 2018 से 2021 के लिए है यानी 1 जनवरी, 2018 से 31 दिसंबर, 2020 के बीच यात्रा करने पर एलटीसी का फायदा लिया जा सकता है। आयकर प्रावधानों के मुताबिक एलटीसी का लाभ उठाने के लिए सबसे जरूरी शर्त यह है कि कर्मचारी यात्रा करे यानी अगर आप सरकारी कर्मचारी हैं और यात्रा नहीं करते हैं तो आपको एलटीसी नहीं मिलेगा। एनए शाह एसोसिएट्स के पार्टनर गोपाल बोहरा कहते हैं, ‘कई लोग ऐसे भी होंगे, जो महामारी की वजह से यात्रा करने से कतरा रहे होंगे।’ अगर सरकार यह योजना नहीं लाती तो उन लोगों को इस खेप में एलटीसी के फायदे से हाथ धोना पड़ता।
ऐसे लोगों की मदद के साथ ही इस योजना का एक और मकसद भी है। इसके जरिये सरकार नकदी की किल्लत से जूझ रहे कर्मचारियों के हाथों में त्योहार पर नकदी देना चाहती है, जिससे खपत या खरीदारी जोर पकड़े। होस्टबुक्स के संस्थापक एवं चेयरमैन कपिल राणा कहते हैं, ‘इसका मकसद यह भी है कि कर्मचारियों को नकदी की किल्लत से उबरने में मदद मिल जाए।’
कैसे काम करेगी योजना
सबसे पहले हमें समझना होगा कि केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एलटीसी कैसे काम करता है। बोहरा समझाते हैं, ‘आम तौर पर केंद्र सरकार का कोई कर्मचारी जब एलटीसी का फायदा उठाते हुए छुट्टी पर जाता है तो उसे दफ्तर में मौजूद माना जाता है और उन 10 दिनों का वेतन उसे मिल जाता है यानी छुट्टियों के बदले नकदी (लीव एनकैशमेंट) दी जाती है। साथ ही साथ उसे यात्रा के दौरान खर्च किया गया किराया भी दफ्तर से दे दिया जाता है।’
वित्त मंत्रालय ने तय किया है कि छुट्टियों के बदले वेतन और एलटीसी के किराये (जितने एलटीसी का कोई भी कर्मचारी हकदार है) के बराबर रकम कर्मचारी को प्रतिपूर्ति यानी रीइंबर्समेंट के तौर पर दी जाएगी। लेकिन इसके लिए उन्हें कुछ शर्तें पूरी करनी होंगी। राणा बताते हैं, ‘कोई भी कर्मचारी 2018 से 2021 के बीच की खेप के लिए एलटीसी के बदले लीव एनकैशमेंट तथा यात्रा किराये के बराबर की नकदी हासिल कर सकता है। मगर योजना की शर्तों के मुताबिक उसे लीव एनकैशमेंट के मद में मिली नकदी के बराबर और यात्रा के कुल किराये की तीन गुनी रकम सामान या सेवाओं पर खर्च करनी होगी।’ शर्त यह भी है कि यह खर्च यानी खरीदारी 31 मार्च, 2021 से पहले ही करनी होगी।
सरकार ने एलटीसी नकद वाउचर योजना हासिल करने वाले कर्मचारियों को तीन श्रेणियों में बांट दिया है – बिजनेस श्रेणी की हवाई यात्रा के पात्र कर्मचारी, इकोनॉमी श्रेणी की हवाई यात्रा के पात्र और रेल यात्रा के पात्र। तीनों श्रेणियों में अधिकतम नकद भुगतान की सीमा तय कर दी गई है।
दोनों विकल्प हैं मौजूद
कर्मचारी दोनों विकल्पों में से कोई एक चुन सकते हैं। टैक्समैन के उप महाप्रबंधक नवीन वाधवा समझाते हैं, ‘कर्मचारी के पास दोनों विकल्प हैं। वह चाहे तो नकद वाउचर की योजना पसंद कर सकता है और उसका मन हो तो सामान्य एलटीसी का फायदा उठाए।’ मगर जो लोग दूसरा विकल्प यानी सामान्य एलटीसी चुन रहे हैं, उन्हें सभी शर्तें पूरी करनी होगी यानी यात्रा तो करनी ही पड़ेगी।
आपके लिए क्या अच्छा है
अगर आप केंद्रीय कर्मचारी हैं तो आपके लिए कौन सा विकल्प अच्छा है? विशेषज्ञों का कहना है कि नकद वाउचर की योजना उन्हीं कर्मचारियों के लिए अच्छी है, जो पहले ही खर्च करने का मन बना चुके थे। मतलब यह है कि जो कर्मचारी आने वाले त्योहारों में कोई खास सामान खरीदने या कोई सेवा लेने का मन बना चुके थे, उनके लिए ही यह योजना अच्छी है। अगर आपने ऐसी तैयारी नहीं की थी तो जबरन खरीदारी करने के बजाय सामान्य एलटीसी लेना बेहतर होगा।
इसके लिए आयकर विभाग अधिनियम, 1961 के प्रावधानों में भी कुछ बदलाव करना होगा। वाधवा कहते हैं, ‘हमें संशोधन की अधिसूचना का इंतजार करना होगा। उसके बाद ही साफ हो पाएगा कि इस पर किस तरह से कर वसूला जाएगा।’