कोटक महिंद्रा बैंक के संस्थापक और निदेशक उदय कोटक ने अत्यधिक वित्तीयकरण को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है, क्योंकि निवेशक मूल्यांकन को समझे बगैर अपनी बचत को शेयर बाजार में लगा सकते हैं।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के निवेशक सम्मेलन ‘चेजिंग ग्रोथ 2025’ को संबोधित करते हुए उदय कोटक ने कहा कि खेल के नियम बदल चुके हैं और पूंजी की आवक को लेकर प्राथमिक बदलाव अनुभव किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत संरक्षणवाद को बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है और उसे बदलते वक्त का लाभ उठाना होगा तथा यहां के उद्योगों को सुरक्षात्मक होने के बजाय प्रतिस्पर्धी बनाना होगा।
उन्होंने उत्पादकता में सुधार, अतिरिक्त संरक्षणवाद से बचने और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रतिशत के रूप में विनिर्माण की हिस्सेदारी बढ़ाने पर जोर दिया। कोटक ने सूक्ष्म व व्यापक आर्थिक नीतियों को लागू करने के महत्त्व पर भी जोर दिया।
साल 2024-25 की आर्थिक समीक्षा में भी अत्यधिक वित्तीयकरण के बारे में बात की गई है और कहा गया कि इस तरह की घटना के परिणामस्वरूप विकसित अर्थव्यवस्थाओं में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के ऋण का स्तर अभूतपूर्व रूप से बढ़ गया है। समीक्षा में कहा गया है कि भारत को वित्तीय क्षेत्र के विकास और वृद्धि के बीच बेहतर संतुलन बनाए रखने की जरूरत है। भारतीय बाजार लचीले हैं व विदेशी निवेशकों के लिए यहां पर्याप्त अवसर है। उन्होंने कहा कि भारत को सूक्ष्म प्रबंधन/अति-नियमन से आगे बढ़कर वृद्धि और प्रतिस्पर्धा की ओर बढ़ना होगा।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की एक रिपोर्ट में उदय कोटक के हवाले से कहा गया है, ‘भारत को हर समय स्वतंत्र और निष्पक्ष बाजार सुनिश्चित करना चाहिए और इस दिशा में काफी प्रगति भी हुई है।’उन्होंने कहा कि विदेशी इक्विटी पोर्टफोलियो खाते को 1995 में खोलने के बाद भारत में इस समय मोटे तौर पर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के माध्यम से 800 अरब डॉलर, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के माध्यम से 900 अरब डॉलर से 1 लाख करोड़ डॉलर और विदेशी वाणिज्यिक उधारी (एफसीबी) के माध्यम से 500 से 600 अरब डॉलर लगा हुआ है।
(डिस्क्लेमर : बिज़नेस स्टैंडर्ड प्राइवेट लिमिटेड में कोटक परिवार के नियंत्रण वाली इकाइयों की बहुलांश हिस्सेदारी है।)