बेरोजगारी का बीमा या आपातकालीन फंड

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 1:25 AM IST

आर्थिक मंदी के मौजूदा माहौल में नौकरीपेशा लोग नौकरी के लिए बीमा कवर पर अधिक ध्यान देने लगे हैं।
लेकिन ऐसी स्थिति में बीमा कवर की पॉलिसी ज्यादा प्रेरक नहीं दिख रही है। हाल के समय में छंटनी या नौकरी चले जाने की भरपाई के लिए किसी बीमा कवर की बजाय आपात फंड की प्रासंगिकता बढ़ रही है।
छंटनी विभिन्न कंपनियों के खर्च घटाने के तौर-तरीकों का प्रमुख हिस्सा बन गई है और ऐसे में इस तरह की पॉलिसी के जरिये लोग, खासकर ऋण की चपेट में आने वाले, एक बड़ी राहत महसूस करेंगे।
इन चिंताओं को ध्यान में रखते हुए आईसीआईसीआई लोंबार्ड ने हाल में ही ‘सिक्योर माइंड’ नाम से एक पॉलिसी पेश की है जिसमें छंटनी की स्थिति में बीमा कंपनी कर्जदार कर्मचारी की मासिक किस्तों का भुगतान करेगी। इस पॉलिसी के तहत अगर बीमा कंपनी दावे को स्वीकार करती है तो पूरी बीमित राशि देय होगी।
वैसे यह पॉलिसी खासकर कैंसर, गुर्दा खराब होना, हृदयाघात, लकवा जैसी गंभीर बीमारियों को कवर करती है। लेकिन अगर बीमा कंपनी के ब्रॉशर को ध्यान से देखा जाए तो पता चलता है कि इन बीमारियों को लेकर भी कुछ सख्त शर्तें हैं। उदाहरण के लिए, कंपनी लकवा के दावे को तभी निपटाएगी जब इस बीमारी से शरीर के दो या इससे अधिक अंग पूरी तरह या स्थाई रूप से खराब हो गए हों।
नौकरी खोने के नुकसान की भरपाई के लिए इस पॉलिसी में एक अतिरिक्त पेशकश शामिल की गई है जो किसी एक ऋण के लिए तीन बराबर मासिक किस्तों को कवर करती है। हालांकि यह इतना आसान नहीं है जैसा कि दिखता है। ऐसी छंटनी या नौकरी से वंचित होने के कारणों को लेकर भी कुछ पूर्व-शतर्ें हैं जिन पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। यह छंटनी स्वास्थ्य कारणों को लेकर हो।
हालांकि यह पॉलिसी उस स्थिति में जॉब लॉस यानी नौकरी के नुकसान को कवर नहीं करती है जब रोजगार प्रदाता कंपनी खराब प्रदर्शन की वजह से कर्मचारी को इस्तीफा देने या छुट्टी पर चले जाने को कहती है। चूंकि बीमा कंपनी ऐसी घटनाओं को नियंत्रित किए जाने योग्य मानती है और बीमा सिर्फ अप्रत्याशित जोखिम को कवर करता है।
नई पॉलिसी सिर्फ 20 और 45 साल के बीच के लोगों को ही यह लाभ मुहैया कराती है। इसके लिए प्रीमियम और बीमित राशि कुछ मानकों पर निर्भर करती है। इन मानकों में ऋण की राशि, ऋण की अवधि, पॉलिसी कार्यकाल और बीमित व्यक्ति की उम्र आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं। किसी भी मानक में बदलाव के साथ प्रीमियम की राशि बढ़ जाती है।
बीमित रकम बकाया ऋण के आधार पर निर्धारित की जाती है। उदाहरण के लिए अगर आपकी उम्र 35 साल है और आप पर 30 लाख रुपये का ऋण बकाया है तो बीमित रकम 30 लाख रुपये होगी। इसके लिए 5 साल की पॉलिसी का प्रीमियम 68,500 रुपये होगा।
आईसीआईसीआई लोंबार्ड के प्रमुख (स्वास्थ्य बीमा) संजय दत्ता ने कहा, ‘हम पूरी ऋण अवधि के लिए व्यक्ति को कवर मुहैया करा रहे हैं, लेकिन प्रमुख रूप से पॉलिसी 5 साल के लिए यह दे रही है। बीमित व्यक्ति को इसके बाद इसका नवीनीकरण कराए जाने की जरूरत होगी।’
कंपनी ने पिछले वित्त वर्ष में 1.3 लाख पॉलिसी बेचीं जिसमें से 25 हजार पॉलिसी सिर्फ पिछली तिमाही (जनवरी-मार्च) में बेची गई। ज्यादातर पॉलिसी ऋणदाताओं द्वारा अपने ऋणों के साथ बेची गईं। व्यक्तिगत पॉलिसी की बिक्री लगभग 50,000 रुपये है।
बीमा क्षेत्र से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि हालांकि आईसीआईसीआई लोमबार्ड को इस सेगमेंट में किसी तरह की प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं करना पड़ रहा है, लेकिन बजाज आलियांज ने पिछले साल इसी तरह का कवर मुहैया कराए जाने की शुरुआत की थी। हालांकि कारोबार शानदार नहीं रहने की वजह से बाद में इस पॉलिसी को बंद कर दिया गया था।
इस पॉलिसी के खरीदारों के लिए सबसे बड़ी समस्या यह तथ्य पेश करने की होगी कि उनकी छंटनी की गई है न कि खराब प्रदर्शन के कारण उन्हें निकाला गया है। बीमा कंपनी ने पूरी मूल्यांकन प्रक्रिया को और अधिक सख्त बना दिया है और ऐसे कुछ ही कर्मचारी पाए गए हैं जो स्वयं बेरोजगार हुए हैं। ऐसी स्थिति में सिक्युर माइंड पॉलिसी आपको किसी तरह का कवर मुहैया नहीं कराएगी।
पश्चिमी देशों, जहां से यह पॉलिसी मूल रूप से यहां आई है, में बीमा कंपनियां इस कवर को नियोक्ता की देनदारी के हिस्से के रूप में मुहैया कराती हैं। वहां इसमें मुख्य तौर पर विलय एवं अधिग्रहण के कारण होने वाली छंटनी के खिलाफ कर्मचारियों को बीमा मुहैया कराया जाता है। एक बीमा ब्रोकर ने कहा, ‘भारत में भी यह बीमा योजना उस स्थिति में बेहद अहम बन जाती है जब ऋणदाता इसे ऋण के साथ बेचता है।’
बाजार विशेषज्ञों की राय है कि एक आपात फंड में यह प्रीमियम ज्यादा बेहतर होगा। ऑप्टिमा इंश्योरेंस ब्रोकर्स के मुख्य कार्याधिकारी राहुल अग्रवाल कहते हैं, ‘किसी आपात निधि में प्रीमियम का निवेश करना ज्यादा उपयुक्त है।’

First Published : April 20, 2009 | 11:40 AM IST