बीटा का क्या मतलब होता है?

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 08, 2022 | 3:40 AM IST

मैं बीटा का मतलब समझना चाहता हूं? यह भी जानना चाहता हूं कि बीटा की वैल्यू एक से कम होनी चाहिए या ज्यादा? बीटा की क्या वैल्यू उचित होती है और क्यों? – वृजेश शाह


बीटा एक सांख्यकीय शब्द है। यह बाजार (या बेंचमार्क) की तुलना में स्टॉक (या फंड) की वोलेटिलिटी यानी उसके उतार चढ़ाव का आकलन करता है। किसी शेयर या फंड के बीटा की वैल्यू हमेशा बेंचमार्क की तुलना में बताई जाती है।

बेंचमार्क या बाजार का बीटा हमेशा 1 होता है। अगर शेयर की तुलना सेंसेक्स से की जा रही हो और उसकी बीटा वैल्यू एक (मान लीजिए 1.5) से ज्यादा है तो यह इस बात का संकेत है कि उस शेयर में बाजार से 50 फीसदी ज्यादा उतार-चढ़ाव है क्योकि सेंसेक्स का बीटा 1 है।

ऐसे में अगर एक तय समय में सेंसेक्स 10 फीसदी की रिटर्न देता है तो वह शेयर 15 फीसदी का रिटर्न देगा लेकिन इसका विपरीत में भी वैसा ही हो सकता है यानी अगर सेंसेक्स 10 फीसदी घाटा देगा तो वह शेयर भी 15 फीसदी का घाटा देगा। बीटा अगर 1 से कम हो तो इसका मतलब कम उतार-चढ़ाव से है।

बीटा की वैल्यू क्या होनी चाहिए यह निर्भर करता है उस शेयर की जोखिम लेने की क्षमता पर। लिहाजा 2 बीटा वाले शेयर से अगर आपको काफी ज्यादा रिटर्न मिल सकता है तो यह भी मान लीजिए कि गिरावट के दौर में यह बाजार से कहीं ज्यादा गिरेगा।

इनकम फंड

मैं डेट फंडों में निवेश करने की सोच रहा हूं। इसके लिए हमने कैनरा रोबैको इनकम फंड (ग्रोथ) को चुना है लेकिन हमने फंड का पोर्टफोलियो देखा तो पाया कि इसका 50 फीसदी पोर्टफोलियो कैश या कॉल मनी में है। लेकिन फंड का रिटर्न शुरू से ही अच्छा रहा है। इस फंड का प्रदर्शन कैसा माना जाए, कृपया सुझाव दें? – अभिषेक

कैनरा रोबैको इनकम फंड (ग्रोथ) का इतिहास देखें तो यह मिलाजुला है, कभी बहुत अच्छा प्रदर्शन तो कभी निराशाजनक। इस फंड ने फरवरी 2008 तक बाजार से बेहतर प्रदर्शन किया है लेकिन पांच साल का इसका इतिहास देखें तो केवल दो मौकों पर (2005 और 2006) इसने अपने सेगमेन्ट के दूसरे फंडों से बेहतर प्रदर्शन किया है।

नए फंड मैनेजर ने अभी तक कुछ बेहतर और तेज फैसले किए हैं। दरअसल इसका 50 फीसदी हिस्सा कैश या कॉल मनी में होने से इसे फायदा ही मिला है और इसने अगस्त सितंबर में क्रमश: मासिक 4.4 फीसदी का रिटर्न (इस कैटेगरी का औसत 0.76 फीसदी है) और 3.05 फीसदी (औसत 0.82) का रिटर्न दिया है।

सोना, इक्विटी और डेट एक ही टोकरी में

यूटीआई म्युचुअल फंड यूटीआई वेल्थ बिल्डर  फंड- सीरीज-2 शुरू कर रहा है जो अपने असेट का एक हिस्सा इक्विटी और दूसरा गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड में निवेश करेगा। यह फंड कैसा है? क्या यूटीआई की या किसी और असेट मैनेजमेंट कंपनी की कोई दूसरी ऐसी स्कीम है (जो कुछ इक्विटी में और कुछ गोल्ड ईटीएफ में निवेश करती हो)? – शुभजीत

यूटीआई की नई स्कीम वेल्थ बिल्डर फंड सीरीज-2 नए आइडिया के साथ आई है। इसके डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो में इक्विटी, इक्विटी आधारित योजनाएं, डेट इंस्ट्रूमेंट्स के अलावा यह गोल्ड ईटीएफ (अधिकतम 35 फीसदी तक)में एक ही फंड के जरिए निवेश करेगा।

आप इस डाइवर्सिफिकेशन का फायदा गोल्ड ईटीएफ में निवेश के जरिए उठा सकते हैं, बिना डीमैट खाता खोले। और चूंकि इक्विटी में निवेश कम से कम 65 फीसदी का होगा। लिहाजा टैक्स के लिहाज से इसे इक्विटी फंड की तरह ही माना जाएगा। फिलहाल इस तरह की कोई और स्कीम बाजार में नहीं है।

एफएमपी पर टैक्स की दर

एफएमपी (ग्रोथ) में निवेश करने वाले निवेशकों पर टैक्स का भार किस तरह का  होगा अगर एफएमपी की मेच्योरिटी पर मिले पैसे को वैसे ही विकल्प वाले किसी दूसरी एफएमपी में लगा दिया जाए। – आर श्रीधरन

टैक्स की दर फंड में कितने समय के लिए पैसा रहा, उस पर निर्भर करेगी। फंड का शार्ट टर्म प्रॉफिट उसकी इनकम में जोड़ दिया जाता है और इस पर मामूली दर से टैक्स लगता है। अगर रिडम्पशन एक साल बाद किया जाए तो इंडेक्सेशन के बिना 10 फीसदी की दर से लांग टर्म गेन टैक्स और इंडेक्सेशन के साथ 20 फीसदी की दर से (जो भी कम हो) टैक्स देना होगा।

फंड ऑफ फंड्स पर टैक्स

मैं डीएसपी ब्लैकरॉक वर्ल्ड गोल्ड फंड और आईएनजी के लातिनी अमेरिका फंड में निवेश करना चाहता हूं। इन फंडों में लांग टर्म कैपिटल टैक्स किस तरह से लगेगा? – जसमाल संधू

ये फंड विदेशी फंडों में निवेश करते हैं, लिहाजा इंडेक्सेशन के बिना 10 फीसदी और इंडेक्सेशन के साथ 20 फीसदी की दर से (जो भी कम हो) टैक्स लगता है। दोनों ही फंड 65 फीसदी से ज्यादा विदेशों के म्युचुअल फंडों में लगाते हैं। इसलिए इन पर डेट फंडों की तरह ही टैक्स लगाया जाएगा।

नुकसान का समायोजन

कई बार हमने एक माह से भी कम समय में शेयर की खरीदफरोख्त से मुनाफा कमाया, कभी कभी इसमें नुकसान भी हुआ। टैक्स की गणना में हम उस नुकसान को लाभ से समायोजित कर सकते हैं? – डॉ. एस वेंकटेशन

हां, आप अपने शार्ट टर्म कैपिटल लॉस को मुनाफे से एडजस्ट कर सकते हैं। आयकर के नियमों के मुताबिक शार्ट टर्म कैपिटल लॉस को शार्ट टर्म और  लांग टर्म (दोनों) के कैपिटल गेन से एडजस्ट किया जा सकता है।

एक्सपेंस रेशियो

कृपया इक्विटी और डेट स्कीमों में एक्सपेंस रेशियो का संदर्भ समझाएं। क्या इसका स्कीम के रिटर्न पर असर होगा? – विघ्नेश कुमार एस

एक्सपेंस रेशियो फंड के कुल सालाना खर्च को कहते हैं। इसमें मैनेजमेंट फीस और ऑपरेटिंग एक्सपेंस जैसे रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंट फीस, ऑडिट फीस, कस्टोडियन फीस, मार्केटिंग और डिस्ट्रिब्यूशन फीस भी शामिल है। यह खर्चे असेट अंडर मैनेजमेंट बांटता है।

सरल शब्दों में कहें तो एक्सपेंस रेशियो यानी फंड को मैनेज करने में आई प्रति यूनिट का लागत है। नेट असेट वैल्यू इन्हीं खर्चों को घटाकर निकाली जाती है। एक्सपेंस रेशियो की घोषणा साल में केवल दो बार ही की जाती है। यह इक्विटी और डेट फंड के लिए अलग अलग होता है, चूंकि इक्विटी फंड के खर्चे ज्यादा होते हैं। इसलिए इनका एक्सपेंस रेशियो भी ज्यादा होता है।

First Published : November 17, 2008 | 1:06 AM IST