भारत की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) अगले महीने अपनी नीतिगत ब्याज दर (रेपो रेट) में 0.25% की कटौती कर सकता है। यह अनुमान इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (Ind-Ra) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में लगाया है। एजेंसी का कहना है कि वित्तीय वर्ष 2025-26 (FY26) में RBI कुल 0.75% तक की कटौती कर सकता है, बशर्ते महंगाई काबू में रहे और वैश्विक चुनौतियां न बढ़ें।
क्यों जरूरी है दरों में कटौती?
रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देता है। इसे कम करने से बैंक सस्ते कर्ज दे पाते हैं, जिससे लोग और कंपनियां ज्यादा खर्च और निवेश करते हैं। इससे अर्थव्यवस्था में तेजी आती है। Ind-Ra के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र कुमार पंत ने कहा, “हमें उम्मीद है कि FY25 में महंगाई 4.7% तक सिमट जाएगी। ऐसे में RBI के पास दरें घटाने का मौका है, लेकिन FY26 में यह कटौती 0.75% तक सीमित रह सकती है।”
हालांकि, अगर अमेरिका ने आयात पर भारी टैरिफ लगाए और इसका असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ा, तो RBI इससे भी ज्यादा कटौती कर सकता है। टैरिफ से निर्यात प्रभावित हो सकता है, जिसे संभालने के लिए सस्ते कर्ज जरूरी होंगे।
महंगाई का घटता दबाव
पिछले कुछ सालों में ऊंची महंगाई ने RBI को सख्त कदम उठाने पर मजबूर किया था। मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रेपो रेट 2.5% बढ़ाकर 6.5% तक पहुंच गया था। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। Ind-Ra का अनुमान है कि जनवरी-मार्च 2025 में महंगाई 4% से नीचे आ सकती है। यह पिछली 21 तिमाहियों में पहली बार है। फरवरी 2025 में RBI ने रेपो रेट 0.25% घटाकर 6.25% कर दिया था, जो इस बदलाव का संकेत है।
FY26 में क्या होगा?
Ind-Ra को उम्मीद है कि अप्रैल 2025 से शुरू होने वाले वित्तीय साल में RBI तीन बार दरें कम करेगा और यह कुल 0.75% तक होगा। फरवरी 2025 की कटौती जोड़ें, तो कुल 1% की कमी होगी और रेपो रेट 5.5% पर पहुंच जाएगा। अगर महंगाई 4% के आसपास रही, तो वास्तविक ब्याज दर (महंगाई घटाकर) 1.5% होगी, जो अर्थव्यवस्था के लिए संतुलित मानी जाती है।
RBI का अगला कदम कब?
RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) FY26 में 6 बार मीटिंग करेगी। पहली मीटिंग 7-9 अप्रैल 2025 को होगी, जहां Ind-Ra को 0.25% कटौती की उम्मीद है। फरवरी 2025 की बैठक के मिनट्स बताते हैं कि RBI को अर्थव्यवस्था की सुस्ती की चिंता है। ऐसे में महंगाई को काबू में रखते हुए ग्रोथ को सपोर्ट करना उसकी प्राथमिकता होगी।
आम लोगों के लिए क्या मतलब?
कुल मिलाकर, Ind-Ra का मानना है कि घटती महंगाई और सुस्त पड़ती ग्रोथ के बीच RBI अगले साल ब्याज दरों में कटौती का रास्ता अपनाएगा। अप्रैल 2025 से शुरू होकर यह सिलसिला FY26 तक चल सकता है, जिससे रेपो रेट 5.5% तक पहुंच जाए। लेकिन अगर अमेरिका के टैरिफ जैसे वैश्विक झटके आए, तो RBI को और बड़े कदम उठाने पड़ सकते हैं। यह सब महंगाई और ग्रोथ के बीच संतुलन का खेल है, और RBI इस पर पूरी नजर रखे हुए है।