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Axiom-4 mission: शुभांशु शुक्ला की Falcon 9 के साथ अंतरिक्ष यात्रा शुरू, 41 साल बाद फिर स्पेस में भारतीय एस्ट्रोनॉट

Axiom-4 Mission: यह चौथा एक्सियम मिशन 25 जून को नासा के फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39ए से रवाना होगा।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- June 25, 2025 | 1:33 PM IST

Axiom-4 Mission Launched: कई बार टलने के बाद आखिरकार बुधवार को स्पेसएक्स का फाल्कन 9 रॉकेट सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ। इस रॉकेट के साथ क्रू ड्रैगन कैप्सूल में चार अंतरिक्षयात्रियों की टीम भी सवार थी, जिनमें भारत के शुभांशु शुक्ला भी शामिल हैं। यह मिशन ‘एक्सिओम मिशन 4’ (Ax-4) के तहत अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित नासा (NASA) के कैनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39A से भारतीय समय के अनुसार सुबह 2:31 बजे (GMT के अनुसार 6:31 बजे) लॉन्च किया गया।

भारतीय वायुसेना के 39 वर्षीय फाइटर पायलट शुभांशु शुक्ला इस मिशन के पायलट हैं। वह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर जाने वाली इस अमेरिकी वाणिज्यिक उड़ान का हिस्सा हैं। उनके साथ तीन और अंतरिक्ष यात्री भी हैं।

शुभांशु शुक्ला भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री बने हैं जो अंतरिक्ष की यात्रा कर रहे हैं। उनसे पहले 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा ने सोवियत मिशन के तहत अंतरिक्ष में कदम रखा था। करीब 41 साल के लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर कोई भारतीय अंतरिक्ष में गया है। इस उड़ान के साथ शुभांशु 140 करोड़ भारतीयों की उम्मीदों और सपनों को लेकर अंतरिक्ष की ओर रवाना हुए हैं।

ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट फाल्कन 9 के दूसरे चरण से अलग हुआ, भारतीय एयरफोर्स अफसर पहुंचे ISS की ओर

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने एक नया इतिहास रच दिया है। वे पहले भारतीय बन गए हैं जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा पर निकले हैं। यह मिशन स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट से लॉन्च किया गया, जिसमें ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट ने सफलतापूर्वक दूसरे चरण से अलग होकर आगे की उड़ान भरी।

इस उपलब्धि पर केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बधाई दी। उन्होंने लिखा, “बधाई हो ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला — आप अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर मिशन के लिए जाने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बने हैं। यह भारत के लिए गर्व का पल है।”

उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार द्वारा किए गए अंतरिक्ष क्षेत्र के सुधारों के बाद ISRO की अंतरराष्ट्रीय साझेदारियां तेज़ी से बढ़ी हैं और भारत अब अंतरिक्ष खोज में अग्रणी देशों में शामिल हो गया है।

26 जून को दोपहर 4:30 बजे आईएसएस से जुड़ेगा स्पेसक्राफ्ट

स्पेसएक्स ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में सवार एक नया दल अंतरिक्ष प्रयोगशाला की ओर रवाना हो चुका है। यह यात्रा स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए शुरू हुई। नासा के मुताबिक, यह स्पेसक्राफ्ट अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से गुरुवार, 26 जून को भारतीय समयानुसार लगभग शाम 4:30 बजे डॉक करेगा।

इस मिशन की कमान पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री और एक्सिओम स्पेस की ह्यूमन स्पेसफ्लाइट निदेशक पैगी व्हिटसन संभाल रही हैं। वहीं, इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला इस मिशन में पायलट की भूमिका में हैं।

मिशन के दो अन्य विशेषज्ञों में पोलैंड के स्लावोश उज्नान्स्की-विस्निवस्की, जो यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के प्रोजेक्ट एस्ट्रोनॉट हैं, और हंगरी के टिबोर कापू शामिल हैं, जो HUNOR (Hungarian to Orbit) कार्यक्रम से जुड़े हैं।

SpaceX’s Falcon 9 ब्लॉक 5 रॉकेट की खासियत क्या है?

Elon Musk की कंपनी स्पेसएक्स द्वारा विकसित फाल्कन 9 ब्लॉक 5 एक मीडियम-लिफ्ट, दो चरणों वाला लॉन्च व्हीकल है। इसे खासतौर पर इस तरह से बनाया गया है कि यह न केवल कार्गो (सामान) बल्कि इंसानों को भी अंतरिक्ष में भेज सके। इसकी सबसे बड़ी खासियत है इसकी दोबारा इस्तेमाल की जा सकने वाली तकनीक। इसका पहला चरण (फर्स्ट स्टेज) लॉन्च के बाद सुरक्षित रूप से धरती पर लौट आता है, जिससे मिशन की लागत और अगली उड़ान के बीच का समय काफी कम हो जाता है।

फाल्कन 9 ब्लॉक 5 की पहली उड़ान कब हुई थी?

फाल्कन 9 ब्लॉक 5 की पहली सफल लॉन्चिंग 11 मई, 2018 को हुई थी। इस मिशन के जरिए बांग्लादेश के बंगबंधु-1 सैटेलाइट को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया गया था।

Axiom-4 मिशन से जुड़ी अहम जानकारी

Axiom-4 मिशन का डॉकिन्ग गुरुवार, 26 जून को दोपहर 4:30 बजे (भारतीय समयानुसार) होने की उम्मीद है। इस व्यावसायिक मिशन की कमान पूर्व NASA अंतरिक्ष यात्री और Axiom Space में मानव अंतरिक्ष उड़ान निदेशक पेगी विटसन संभालेंगी, जबकि शुक्ला इस मिशन में पायलट की भूमिका निभाएंगे।

Axiom-4 लॉन्च और डॉकिन्ग कहां देखें?

Axiom-4 मिशन के लॉन्च का सीधा प्रसारण 26 जून को सुबह 10 बजे (IST) से शुरू होगा। इसे SpaceX और NASA के साथ-साथ Axiom Space के आधिकारिक चैनलों पर देखा जा सकता है।

मिशन का डॉकिन्ग इवेंट भी लाइव स्ट्रीम किया जाएगा, जो दोपहर करीब 2:30 बजे शुरू होगा।

Axiom-4 मिशन में देरी की वजहें और नई अपडेट

Axiom-4 मिशन को पहले कई बार टालना पड़ा है। सबसे पहले खराब मौसम की वजह से इसकी लॉन्चिंग में देरी हुई थी। इसके बाद SpaceX के Falcon-9 रॉकेट में लीकेज पाया गया और फिर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के रूसी मॉड्यूल में भी रिसाव की समस्या सामने आई।

अब इस मिशन को लॉन्च करने का मौका तब मिला है जब NASA और रूस की स्पेस एजेंसी Roscosmos के अधिकारियों ने Zvezda सर्विस मॉड्यूल के पिछले हिस्से में बने ट्रांसफर टनल की मरम्मत का जायजा लिया और उसकी स्थिति पर चर्चा की।

NASA की कार्यवाहक प्रशासक जेनेट पेत्रो ने कहा, “NASA और Roscosmos का इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर लंबे समय से सहयोग रहा है। दोनों एजेंसियों के बीच पेशेवर संबंधों के चलते तकनीकी समाधान निकाला जा सका है। अब Axiom-4 मिशन की लॉन्चिंग और डॉकिंग की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।”

Axiom-4 मिशन: अंतरिक्ष में भारत की बड़ी भागीदारी

भारतीय वैज्ञानिक शुभांशु शुक्ला 14 दिन के अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) मिशन पर जा रहे हैं। इस दौरान वह खाने और पोषण से जुड़ी रिसर्च पर काम करेंगे। ये वैज्ञानिक प्रयोग इसरो और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) की साझेदारी में तैयार किए गए हैं। इस पहल को नासा का भी सहयोग मिला है।

इस मिशन के दौरान Axiom-4 दल की बातचीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, स्कूली छात्रों और अंतरिक्ष उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों के साथ भी तय की गई है। इस तरह भारत की अंतरिक्ष क्षेत्र में सक्रिय भूमिका एक बार फिर वैश्विक मंच पर नजर आएगी।

Ax-4 मिशन से जुड़े एक यूट्यूब वीडियो में शुभांशु शुक्ल ने अपने अनुभव साझा करते हुए खुशी जताई। उन्होंने कहा, “यह अब तक का एक शानदार सफर रहा है। ऐसे पल होते हैं जब महसूस होता है कि आप किसी ऐसे मिशन का हिस्सा हैं, जो आपसे कहीं बड़ा है। मैं खुद को बेहद सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे इसका हिस्सा बनने का मौका मिला।”

उन्होंने आगे कहा कि उनका मकसद इस मिशन के जरिए देश के युवाओं, खासकर बच्चों में जिज्ञासा जगाना है। शुभांशु ने कहा कि अगर उनकी कहानी से किसी एक बच्चे की सोच या जीवन में बदलाव आता है, तो यही उनके लिए सबसे बड़ी सफलता होगी।

शुक्ला अंतरिक्ष स्टेशन पर क्या करेंगे?

14 दिनों की इस अंतरिक्ष यात्रा के दौरान, शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर खाने और पोषण से जुड़े वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे। मिशन पायलट की भूमिका में शुक्ला, कमांडर पेगी व्हिटसन के साथ काम करेंगे। यह रिसर्च इसरो, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) और नासा के संयुक्त सहयोग से हो रही है।

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि ये प्रयोग अंतरिक्ष में पोषण संबंधी शोध को आगे बढ़ाने और लंबे समय तक चलने वाले स्पेस मिशन के लिए आत्मनिर्भर लाइफ सपोर्ट सिस्टम विकसित करने में मदद करेंगे।

पहला प्रयोग खाने योग्य माइक्रोएल्गी (microalgae) पर केंद्रित होगा। माइक्रोग्रैविटी और अंतरिक्ष विकिरण (radiation) का इन पोषक तत्वों से भरपूर जीवों पर क्या असर होता है, यह देखा जाएगा। शुक्ला इन एल्गी की वृद्धि, उनके जीन (transcriptome), प्रोटीन (proteome) और मेटाबोलिक गतिविधियों (metabolome) में अंतरिक्ष और धरती के वातावरण में क्या बदलाव आते हैं, इसका अध्ययन करेंगे।

दूसरे प्रयोग में वे स्पाइरुलिना (Spirulina) और साइनेकोकोकस (Synechococcus) जैसे सायनोबैक्टीरिया की वृद्धि और उनके प्रोटीन संबंधी बदलावों का अध्ययन करेंगे। यह रिसर्च नाइट्रेट और यूरिया आधारित माध्यमों में की जाएगी। स्पाइरुलिना को एक ‘स्पेस सुपरफूड’ के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि इसमें प्रोटीन और विटामिन की मात्रा बहुत अधिक होती है। इसके अलावा, इस बात की भी जांच होगी कि क्या मानव मल-मूत्र से निकले यूरिया जैसे तत्वों को इन जीवों की वृद्धि के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

इन प्रयोगों का उद्देश्य ऐसे सिस्टम विकसित करना है जो अंतरिक्ष में कचरे को रिसायकल कर भोजन और जीवन को बनाए रख सकें—जिससे लंबे अंतरिक्ष मिशनों में आत्मनिर्भरता पाई जा सके।

First Published : June 25, 2025 | 11:49 AM IST