केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने BS मंथन समिट में जलवायु परिवर्तन और सतत विकास (सस्टेनेबल डेवलपमेंट) पर भारत की रणनीति पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत अपने जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और वैश्विक पर्यावरणीय प्रयासों में सकारात्मक भूमिका निभाएगा।
भारत अपने जलवायु लक्ष्यों को समय से पहले हासिल कर रहा है
भूपेंद्र यादव ने बताया कि भारत एकमात्र G20 देश है जिसने अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा किया है। उन्होंने कहा, “भारत समस्या का नहीं, बल्कि समाधान का हिस्सा बनना चाहता है।” भारत ने पेरिस समझौते के तहत 8 राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) लक्ष्य तय किए थे, जिनमें से 3 लक्ष्य मात्रात्मक (quantitative) और 5 गुणात्मक (qualitative) थे। भारत ने इन लक्ष्यों में से 2 महत्वपूर्ण लक्ष्य 9 साल पहले ही पूरे कर लिए।
ग्लोबल साउथ और ग्लोबल नॉर्थ दोनों को मिलकर काम करना होगा
यादव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा, “पर्यावरणीय परिवर्तन सिर्फ ग्लोबल साउथ (विकासशील देशों) तक सीमित नहीं है, बल्कि ग्लोबल नॉर्थ (विकसित देशों) को भी इसका प्रभाव झेलना होगा। हमें नेट जीरो लक्ष्य तक पहुंचना होगा, लेकिन हर व्यक्ति को ऊर्जा तक पहुंच भी मिलनी चाहिए।”
विकसित देशों को निभानी होगी अपनी ज़िम्मेदारी
पर्यावरण मंत्री ने विकसित देशों की ज़िम्मेदारी पर जोर देते हुए कहा कि “जिन देशों ने ऐतिहासिक रूप से अधिक कार्बन उत्सर्जन किया है, उन्हें विकासशील देशों की मदद करनी होगी।” उन्होंने कहा कि भारत का मानना है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विकासशील देशों को वित्तीय और तकनीकी सहायता की आवश्यकता है।
भारत की वैश्विक पहलें
भारत जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
जलवायु परिवर्तन पर चर्चा सालभर होनी चाहिए
भूपेंद्र यादव ने कहा कि “जलवायु परिवर्तन पर सिर्फ एक महीने बात करके इसे भुला देना ठीक नहीं है। यह मुद्दा हर सेक्टर को प्रभावित करता है, इसलिए हमें सतत चर्चा और प्रयास करने होंगे।” उन्होंने बताया कि भारत में एक समन्वय समिति (coordination committee) बनाई गई है जो यह सुनिश्चित करेगी कि हर क्षेत्र में ग्रीन ग्रोथ को बढ़ावा मिले।
यादव ने यह भी बताया कि जलवायु एक्शन सिर्फ संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (COP) तक सीमित नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, “COP सिर्फ एक बैठक नहीं है, इसके पहले कई वैज्ञानिक और नीतिगत चर्चाएं होती हैं। हमें सालभर इस पर काम करने की जरूरत है।”