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DPDP Bill: पर्सनल डेटा की सुरक्षा वाला बिल लोकसभा में पारित, पार्टियों ने कहा- ऐसे पड़ेगा असर

Digital Personal Data Protection Bill: IT मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह बिल देश के 140 करोड़ लोगों के डाटा की सुरक्षा करेगा

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भाषा   
Last Updated- August 07, 2023 | 5:12 PM IST

लोकसभा ने सोमवार को शोर-शराबे के बीच ‘डिजिटल वैयक्तिक डाटा संरक्षण विधेयक, 2023’ (Digital Personal Data Protection Bill) को मंजूरी दे दी जिसमें डिजिटल पर्सनल डाटा के संरक्षण यानी प्रोटेक्शन तथा व्यक्तिगत डाटा का प्रमोशन करने वाले निकायों पर साधारण और कुछ मामलों में विशेष बाध्यता लागू करने का उपबंध किया गया है।

डेटा प्रोटेक्शन बिल पेश करते हुए क्या कहा IT मंत्री अश्विनी वैष्णव ने?

निचले सदन यानी लोकसभा में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह विधेयक देश के 140 करोड़ लोगों के डिजिटल पर्सनल डाटा की सुरक्षा से संबंधित है। उन्होंने कहा कि आज पूरे विश्व में डिजिटल इंडिया की चर्चा चल रही है और दुनिया के कई देश इसे अपनाना चाहते हैं, चाहे डिजिटल भुगतान प्रणाली हो, आधार की व्यवस्था हो या डिजिटल लॉकर हो।

वैष्णव ने कहा कि 90 करोड़ भारतीय इंटरनेट से जुड़ गए हैं और 4G, 5G और भारतनेट के माध्यम से छोटे-छोटे गांव तक डिजिटल सुविधा पहुंच गई है। विधेयक का उल्लेख करते हुए वैष्णव ने कहा कि पिछले कई वर्षों में संसद की स्थायी समिति सहित अनेक मंचों पर कई घंटों तक इस पर चर्चा हुई है। उन्होंने कहा कि 48 संगठनों तथा 39 विभागों/मंत्रालयों ने इस पर चर्चा की और इनसे 24 हजार सुझाव/विचार प्राप्त हुए। उन्होंने कहा कि इस विधेयक की भाषा को काफी सरल रखा गया है ताकि आम लोग भी इसे आसानी से समझ सकें।

कैसे होगी पर्सनल डेटा की सुरक्षा?

विधेयक के सिद्धांतों के संबंध में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि किसी भी व्यक्ति का डाटा, किसी प्लेटफार्म या ऐप पर आने वाला डाटा अब कानून के तहत आयेगा। इसमें कहा गया है कि इस डाटा को जिस उद्देश्य के लिए लिया जाए, उसी उद्देश्य से उपयोग किया जाए।

उन्होंने बताया कि इसमें प्रावधान किया गया है कि जितना डाटा चाहिए, उतना ही लिया जाए और किसी व्यक्ति के निजी डाटा में बदलाव आने पर उसके अनुरूप ही अनुपालन किया जाए। विधेयक के उद्देश्य में कहा गया कि जितने समय तक डाटा को रखना चाहिए, उतने ही समय तक रखा जाए।

वैष्णव ने कहा कि इसके माध्यम से डाटा सुरक्षा की जवाबदेही निर्धारित की गई है। मंत्री ने कहा कि भारत विविधताओं का देश है और इस विधेयक के संबंध में संविधान की आठवीं अनुसूची में वर्णित 22 भाषाओं में नोटिस देने की बात कही गई है। उन्होंने बताया कि ऐसे ही यूरोपीय कानून में 16 अपवाद का उल्लेख है जबकि इस विधेयक में चार अपवाद का उल्लेख है।

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निचले सदन में विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा के दौरान कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्य शोर- शराबा कर रहे थे। इस पर केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा कि अच्छा होता कि विपक्षी सदस्य इस महत्वपूर्ण विधेयक पर चर्चा करते लेकिन विपक्ष को नागरिकों और उनके अधिकारों की कोई चिंता नहीं है। उन्होंने कहा कि इन्हें सिर्फ नारे लगाने हैं, चर्चा में कोई रूचि नहीं है। मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने ध्वनिमत से ‘डिजिटल वैयक्तिक डाटा संरक्षण विधेयक, 2023’ को मंजूरी दे दी। निचले सदन में संक्षिप्त चर्चा में हिस्सा लेते हुए भारतीय जनता पार्टी के पी पी चौधरी ने कहा कि विधेयक में सभी विषयों पर बेहतर संतुलन बनाने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि कहां सहमति लेना जरूरी है और कहां अपवाद होगा, इस पर भी खास ध्यान रखा गया है।

YSR कांग्रेस पार्टी के कृष्ण देवरयालू ने कहा कि आज के समय में डाटा काफी महत्वपूर्ण है और इसे ‘न्यू ऑयल’ कहा जा रहा है, ऐसे में यह विधेयक जरूरी है। कृष्ण देवरयालू ने कहा कि लेकिन इस विधेयक में नुकसानों को स्पष्ट नहीं किया गया है तथा ‘डाटा पोर्टिबिलिटी’ पर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है।

शिवसेना के श्रीकांत एकनाथ शिंदे ने कहा कि डाटा सुरक्षा आज सबसे बड़ी चिंता है लेकिन डाटा सुरक्षा के विषय पर अब तक देश में कोई स्पष्ट कानून नहीं था, ऐसे में इस विधेयक के माध्यम से डाटा सुरक्षा की गारंटी होगी। उन्होंने सीमा पार डाटा हस्तांतरण के विषय पर भी स्थिति स्पष्ट करने को कहा। चर्चा में हिस्सा लेते हुए बहुजन समाज पार्टी के रितेश पांडे ने आरोप लगाया कि इस विधेयक के माध्यम से सरकार अपने पास डाटा संबंधी विशेषाधिकार रखने का प्रयास कर रही है।

पांडे ने डाटा संबंधी बोर्ड की रूपरेखा पर भी सवाल उठाये। तेलुगू देशम पार्टी के जयदेव गल्ला ने कहा कि इस विधेयक का स्वागत है लेकिन डाटा संरक्षण बोर्ड ज्यादातर सरकार के पक्ष में झुका हुआ दिखता है।

चर्चा में बीजू जनता दल की शर्मिष्ठा सेठ और भाजपा के संजय सेठ ने भी हिस्सा लिया। डाटा संरक्षण बोर्ड पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि उक्त बोर्ड एक स्वतंत्र निकाय होगा। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि डिजिटल माध्यम ने आर्थिक व्यवहार के साथ सामाजिक व्यवहारों को भी परिवर्तित कर दिया है। व्यक्तिगत डाटा का सेवाओं और अन्य प्रयोजनों के लिए उपयोग एक सामान्य पहलू बन गया है। इसमें कहा गया है कि इस परिप्रेक्ष्य में डिजिटल अर्थव्यवस्था की रीति के लिए वैयक्तिक डाटा संरक्षण एक पूर्व अपेक्षा बन गई है। ऐसे में ऐसा विधान लाने की आवश्यकता है जो उपयोगकर्ताओं के निजी डाटा का संरक्षण एवं सुरक्षा का उपबंध करता हो।

‘डिजिटल वैयक्तिक डाटा संरक्षण विधेयक 2023’ व्यक्तियों को उनके निजी डाटा की संरक्षा के अधिकार प्रदान करता है। इस विधेयक में अन्य बातों के साथ डिजिटल व्यक्तिगत डाटा के संरक्षण तथा व्यक्तिगत डाटा का संवर्द्धन करने वाले निकायों पर साधारण और कुछ मामलों में विशेष बाध्यता लागू करने का उपबंध किया गया है।

First Published : August 7, 2023 | 5:12 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)