आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) युवा आबादी के लिए अवसर और जोखिम दोनों लेकर आई है। हालांकि संसद में सोमवार को पेश आर्थिक समीक्षा में चेताया गया है कि एआई का देश की अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर पड़ सकता है।
समीक्षा में कहा गया है, ‘एआई के बहुत अधिक प्रभाव को देखते हुए निम्न, मध्यम और उच्च यानी हर प्रकार के कौशल वाले श्रम बल पर अनिश्चितता के बादल मंडराने लगे हैं। एआई आने वाले दशकों में भारत के विकास के रास्ते पर अनेक प्रकार की बाधाएं खड़ी कर सका है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों के साथ-साथ निजी क्षेत्र को मिलकर काम करना होगा।’
समीक्षा में यह भी कहा गया है कि विश्व इस समय चौथी औद्योगिक क्रांति के दौर से गुजर रहा है। साइबर फिजिकल सिस्टम, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), बिग डेटा, नैनो टेक्नोलॉजी और नेटवर्क के माध्यम से प्रौद्योगिकी समाज का अभिन्न हिस्सा हो गई है। इस तकनीकी क्रांति के मद्देनजर शेष दुनिया की तरह ही भारत में रोजगार बाजार बहुत ही व्यापक बदलावों से गुजर रहा है।
आर्थिक समीक्षा में निजी क्षेत्र पर यह दायित्व सौंपे जाने की बात कही गई है कि वह यह सुनिश्चित करे कि एआई की वजह से लोगों की नौकरियां न जाएं, बल्कि काम की प्रकृति में बदलाव लाया जाए। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इस बदलते परिदृश्य में कॉरपोरेट सेक्टर की अपने और समाज के प्रति यह जिम्मेदारी है कि वह ऐसे तरीके खोजे, जिनसे एआई के कारण श्रम बाजार वृद्धि करे न कि कर्मचारियों के हाथ से काम छिने।’
इसमें कहा गया है कि एआई ‘नवोन्मेष’ की तीव्र गति और उसके प्रसार में सुगमता के मामले में बेजोड़ है, लेकिन इससे आने वाले समय में काम के तौर-तरीकों में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। एआई को बिजली और इंटरनेट की तरह एक सामान्य उद्देश्य वाली तकनीक के रूप में मान्यता दी जा रही है, जो नवोन्मेष की तीव्र गति और प्रसार में सुगमता के कारण अभूतपूर्व है। जैसे-जैसे एआई आधारित प्रणाली ‘स्मार्ट’ हो रही है, इसकी स्वीकार्यता बढ़ेगी और काम का तौर-तरीका बदलेगा।’
इसमें कहा गया है कि एआई में उत्पादकता बढ़ाने की काफी क्षमता है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में यह नौकरियों को प्रभावित भी कर सकता है। रचनात्मक और सृजन से जुड़े क्षेत्रों में तस्वीर और वीडियो निर्माण के लिए एआई का व्यापक उपयोग देखने को मिल सकता है। साथ ही व्यक्तिगत एआई शिक्षक शिक्षा को नया रूप दे सकते हैं। स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में दवाओं की खोज में तेजी आ सकती है।’