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बुजुर्गों-बीमारों को दूसरी बूस्टर खुराक की जरूरत: टी जैकब

Published by
रुचिका चित्रवंशी
Last Updated- April 01, 2023 | 12:01 AM IST

कोरोनावायरस के मामले दोबारा बढ़ने लगे हैं। संक्रमण दर 2.73 फीसदी हो गई है और कुछ राज्यों में इससे भी अधिक संख्या में मरीज मिल रहे हैं। प्रख्यात विषाणुविज्ञानी और वेलूर क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राध्यापक टी जैकब जॉन ने रुचिका चित्रवंशी से बातचीत में बूस्टर खुराक के लिए लोगों को प्रेरित करने और बढ़ते संक्रमण तथा कोरोना के कारण होने वाली मौतों के आंकड़ों को समझने पर जोर दिया। संपादित अंशः

क्या आपको लगता है कि देश में फिर से कोरोना के मामलों में हो रही वृद्धि का कारण लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना है?

जिन लोगों को बीमारी हो रही उनकी और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता के आंकड़ों की हमें जरूरत है। यह कहने से कोई फायदा नहीं है कि रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है। जिन लोगों ने टीके की बूस्टर खुराक नहीं ली है उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है। बूस्टर खुराक लेने के मामले में भी हम काफी पीछे हैं। यह वृद्धि ओमीक्रोन के कम हो रहे प्रसार के कारण भी हो सकती है। हमारे पास रोजाना एक ऐसी आबादी जुड़ रही है जिन्होंने टीका नहीं लगवाया है। अब तक केवल 70-72 फीसदी ही टीकाकरण हुआ है। हम बच्चों का टीकाकरण नहीं कर रहे हैं, जिन्हें संक्रमण हो सकता है और वे इसका फैलाव भी कर सकते हैं। बूस्टर खुराक लेने वाले लोगों की संख्या भी काफी कम है। मौजूद संसाधनों का हम पूरी तरह से उपयोग नहीं कर रहे हैं और हमारी छोटी सी गलती भी संक्रमण को फैलने में मदद कर सकती है।

क्या आप इसे एक और लहर में तब्दील होते हुए देखते हैं?

वास्तव में मरीजों की संख्या बढ़ रही है। ये धीरे-धीरे और लगातार बढ़ रहे हैं। इससे सक्रिय मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। इसका मतलब हुआ कि संक्रमण का स्रोत भी बढ़ गया है। हम कुछ और वक्त तक इसके बढ़ने की उम्मीद कर सकते हैं। फरवरी 2022 से संक्रमण खत्म होने के कगार पर है। यदि वातावरण में इन्फ्लुएंजा फैल सकता है तो फिर कोरोना क्यों नहीं। हमने मास्क लगाना भी छोड़ दिया और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बरकरार नहीं रखा।

अब हमारी रणनीति क्या होगी?

हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिन लोगों को टीके की दो खुराक लग चुकी हैं उन्हें बूस्टर खुराक लगानी है और बुजुर्गों तथा बीमार लोगों को दूसरी बूस्टर खुराक देनी चाहिए। हर दिन चार से पांच लोगों की मौत हो रही है। कौन हैं वे लोग जिनकी मौत हो रही है? वे क्या करते थे? हमें इन चीजों के बारे में पता होना चाहिए। हम स्वास्थ्य संबंधी मामलों को गंभीरता से नहीं लेते हैं।

क्या आपको लगता है कि वायरस रूप बदल रहा है?

मौजूदा संक्रमण लंबे समय से हैं। वे निमोनिया का कारण नहीं हैं। कोई नया वेरियंट नहीं मिला है। अगर हम चिंतित हैं तो हमारे पास टीका मौजूद है। मैंने किसी को टीके का प्रचार करते नहीं देखा है। ऐसा लगता है जैसे हम चाहते हैं कि संक्रमण फैल जाए।

First Published : March 31, 2023 | 11:33 PM IST