FDI inflows: भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का फ्लो 2023 में 43 प्रतिशत घटकर 28 अरब डॉलर रह गया। इसी समय अवधि में ग्लोबल एफडीआई (global FDI) में 2 प्रतिशत की गिरावट आई है। व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) की गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
इसी के साथ भारत FDI फ्लो के मामले में 2022 में आठवें स्थान से लुढ़ककर 2023 में 15वें स्थान पर आ गया, लेकिन यह ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट्स (greenfield projects) और इंटरनेशनल प्रोजेक्ट फाइनैंस डील्स के मामले में टॉप-5 में बना रहा।
वैश्विक रुझानों पर रिपोर्ट में कहा गया है, “हालांकि 2024 में FDI की संभावनाएं चुनौतीपूर्ण बनी हुई हैं, लेकिन पूरे वर्ष के लिए मामूली वृद्धि संभव है।” इसमें वित्तीय स्थितियों में ढील और निवेश सुविधा की दिशा में ठोस प्रयासों का हवाला दिया गया है- जो राष्ट्रीय नीतियों और अंतरराष्ट्रीय समझौतों की एक प्रमुख विशेषता है।
2022 में, भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 10 प्रतिशत बढ़कर 49 अरब डॉलर हो गया। पिछले वर्ष की तुलना में, भारत 2023 में ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट्स की घोषणाओं के लिए चौथा सबसे बड़ा मेजबान देश बनने के लिए एक स्थान फिसल गया। यह इंटरनेशनल प्रोजेक्ट फाइनैंस डील्स में दूसरे स्थान पर रहा। FDI ऑउट फ्लो के मामले में, भारत की रैंक 2022 में 23वें से बढ़कर 2023 में 20वें स्थान पर पहुंच गई।
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UNCTAD की रिपोर्ट में कहा गया है कि टॉप 20 मेजबान अर्थव्यवस्थाओं में से, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, चीन, अमेरिका और भारत में FDI फ्लो में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई।
UNCTAD के मीडिया को दिए एक बयान में कहा गया है कि विकसित देश बहुराष्ट्रीय उद्यमों (MNCs) के वित्तीय लेनदेन से काफी प्रभावित हुए हैं, जो आंशिक रूप से इन निगमों के मुनाफे पर वैश्विक न्यूनतम कर दर लागू करने के प्रयासों के कारण है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विकासशील एशिया में FDI 8 प्रतिशत गिरकर 621 अरब डॉलर हो गया, जबकि दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा FDI प्राप्तकर्ता चीन में एफडीआई में अप्रत्याशित रूप से गिरावट देखी गई। चीन में यदा-कदा ही FDI में इस तरह की गिरावट देखी गई है। UNCTAD की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और पश्चिम तथा मध्य एशिया में बड़ी गिरावट दर्ज की गई।