रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि युद्ध की तेजी से बदल रही प्रकृति के हिसाब से स्वयं को तैयार करना होगा और उसी हिसाब से चीजों को ढालने एवं उनमें सुधार करने की आवश्यकता होगी। मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों से आगे आकर काम करने एवं भारतीय रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के विस्तार से उभरते अवसरों का उपयोग करने का आग्रह किया और कहा, ‘ये अवसर रक्षा उत्पादन में हमारी आत्मनिर्भरता की नीतियों से प्रेरित हैं। इन्हें बेहतर नीति व्यवस्था के जरिए सुगम बनाया गया है।’
रक्षा मंत्री ने ‘एरो इंडिया’ के 15वें संस्करण के तहत सीईओ गोलमेज सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘आज भारत को वैश्विक स्तर पर अग्रणी रक्षा निर्माता और सेवा प्रदाता बनाने के लिए प्रयास करने होंगे और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई), क्वांटम तकनीक और अन्य नई तकनीकी क्रांतियों को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ना होगा।’
उन्होंने कहा, ‘चूंकि युद्ध की प्रकृति तेजी से बदल रही है, इसलिए हमें लगातार समाधान अपनाने और उनमें सुधार करने की जरूरत है।’ सिंह ने कहा, ‘उदाहरण के लिए, पहले युद्ध विशुद्ध सैन्य उपकरण आधारित प्रणालियों पर निर्भर थे, लेकिन अब सॉफ्टवेयर तकनीक इसकी जगह ले रही है। आज, सैन्य अभियानों में संचार और डेटा साझा करने की प्रकृति बहुत अधिक जटिल होती जा रही है। इसलिए अंतरिक्ष आधारित दिशासूचक प्रणाली, अंतरिक्ष आधारित संचार और निगरानी पर निर्भरता का अर्थ है कि हमें अंतरिक्ष आधारित परिसंपत्तियों को अपनी परिचालन योजनाओं में शामिल करना होगा।’
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘हाल के संघर्षों में ड्रोन के इस्तेमाल से यह संकेत मिलता है कि भविष्य मानवयुक्त, मानवरहित और स्वायत्त युद्ध प्रणालियों के एकीकृत प्रयासों पर निर्भर होगा, इसलिए रक्षा विनिर्माण में इस पर ध्यान केंद्रित करना होगा।’ रक्षा क्षेत्र में तेजी से बदलते तकनीकी परिदृश्य से पैदा होने वाली कुछ चुनौतियों और चिंताओं पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि इनसे निपटने के लिए विशिष्ट लक्षित समाधान और जवाबी उपाय अपनाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, ‘भारत सरकार न केवल इन बदलती स्थितियों से पूरी तरह अवगत है बल्कि उनसे निपटने के लिए तैयार भी है। इसके लिए हमने पारदर्शी नियम, प्रक्रियाएं और नीतियां बनाई हैं, जो उद्योग के अनुकूल हैं।’ रक्षा मंत्री ने सोमवार को बेंगलूरु स्थित येलहांका वायुसेना स्टेशन में ‘एरो इंडिया’ के 15वें संस्करण का उद्घाटन किया। इसे एशिया की सबसे बड़ी ‘एरोस्पेस’ और रक्षा प्रदर्शनी माना जाता है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता आज सिर्फ़ एक रणनीतिक विकल्प और अवसर ही नहीं है, बल्कि एक तरह की मजबूरी भी है।
सिंह ने कहा, ‘हमारे देश में मानव संसाधन का एक बड़ा भंडार है। वे आवश्यक कौशल से लैस हैं। कुशल युवा दुनिया में तेजी से बदलते रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के अनुरूप खुद को निरंतर ढाल रहे हैं। साथ ही, मैं आप सभी से भी आग्रह करता हूं कि आप अपने जवाब के साथ आगे आएं, ताकि हम एक बेहतर और अधिक सुरक्षित भविष्य के लिए मिलकर काम कर सकें।’