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Kolkata rape-murder case: डॉक्टरों का आंदोलन जारी, ममता बनर्जी के वार्ता प्रस्ताव को ठुकराया, न्याय की मांग पर अड़े

Kolkata rape-murder case: मुख्यमंत्री ने गतिरोध सुलझाने के लिए बुलाई थी बैठक, डॉक्टरों ने पत्र की भाषा को बताया अपमानजनक

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भाषा   
Last Updated- September 10, 2024 | 10:51 PM IST

Kolkata rape-murder case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और उनकी हत्या के विरोध में आंदोलन कर रहे जूनियर डॉक्टरों ने वार्ता के लिए भेजा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का प्रस्ताव ठुकरा दिया है। डॉक्टरों ने इस संबंध में भेजे गए ईमेल की भाषा को अपमानजनक बताया और इसका जवाब देने से इनकार कर दिया। इससे पहले उन्होंने, सर्वोच्च न्यायालय का काम पर लौटने का आदेश भी नहीं माना। अदालत ने उन्हें मंगलवार शाम पांच बजे तक काम पर लौटने को कहा था।

मंगलवार शाम को राज्य के स्वास्थ्य सचिव एन एस निगम ने प्रदर्शनकारी चिकित्सकों को भेजे ईमेल में कहा, ‘आपका छोटा प्रतिनिधिमंडल (अधिकतम 10 व्यक्ति) अब सरकारी प्रतिनिधियों से मिलने के लिए ‘नबान्न’ (राज्य सचिवालय) आ सकता है।’ उन्होंने कहा कि जिस अधिकारी (एनएस निगम) को वे हटाने की मांग कर रहे हैं, वही उन्हें बैठक के लिए पत्र भेज रहे हैं, यह बहुत अपमानजनक है।

डॉक्टरों ने ऐलान किया कि जब तक उनकी साथी डॉक्टर को न्याय नहीं मिल जाता और उनकी मांगें पूरी नहीं होती, आंदोलन जारी रहेगा। स्वास्थ्य विभाग के सामने धरने का आह्वान करने वाले डॉक्टर देबाशीष हलदर ने कहा, ‘बैठक के लिए भेजे गए पत्र की भाषा न केवल अपमानजनक है, यह असंवेदनशील भी है। इस ईमेल का जवाब देने का कोई कारण नजर नहीं आता।’ डॉक्टरों ने कहा कि हालांकि बातचीत के दरवाजे हमेशा खुले हैं।

डॉक्टरों का आंदोलन मंगलवार को 32वें दिन में प्रवेश कर गया है। वे कोलकाता के पुलिस कमिश्नर समेत राज्य के स्वास्थ्य विभाग के कई शीर्ष अधिकारियों को हटाने की मांग कर रहे हैं। गतिरोध को सुलझाने के लिए राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार शाम आंदोलनकारी कनिष्ठ चिकित्सकों को राज्य सचिवालय में बैठक के लिए आमंत्रित किया।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने कहा कि बैठक के लिए ईमेल उन्हीं राज्य स्वास्थ्य सचिव द्वारा भेजा गया है, जिनके इस्तीफे की मांग डॉक्टर पिछले एक महीने से कर रहे हैं। यह अपमान है। उन्होंने यह भी कहा कि केवल दस डॉक्टरों को बैठक के लिए बुलाना अपमानजनक बात है। साथ ही उन्होंने ऐलान किया, ‘हमारा विरोध प्रदर्शन और हमारा ‘काम बंद’ जारी रहेगा।’

इस बीच, पश्चिम बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा, ‘मुख्यमंत्री कनिष्ठ चिकित्सकों के प्रतिनिधिमंडल के बैठक में आने का अपने कक्ष में इंतजार कर रही हैं।’ खबर लिखे जाने तक ममता बनर्जी और डॉक्टरों के बीच बैठक नहीं हो पाई थी।

शीर्ष अदालत ने एक दिन पहले सोमवार को प्रदर्शनकारी रेजिडेंट डॉक्टरों को मंगलवार शाम पांच बजे तक काम पर लौटने का निर्देश देते हुए कहा था कि ऐसा करने पर उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी। न्यायालय ने यह निर्देश पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा यह आश्वासन दिए जाने के बाद दिया था कि काम पर लौटने पर प्रदर्शनकारी चिकित्सकों के खिलाफ दंडात्मक तबादलों सहित कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।

आंदोलनकारी चिकित्सकों ने कहा, ‘हमने राज्य सरकार को कोलकाता पुलिस आयुक्त, स्वास्थ्य सचिव, स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक और चिकित्सा शिक्षा निदेशक को शाम पांच बजे तक पद से हटाने को कहा था, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया।‘

हमारी मांगें पूरी नहीं होने के कारण हम काम बंद रखेंगे। हालांकि हम चर्चा के लिए तैयार हैं।’इस बीच, आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल ने धमकी की संस्कृति को बढ़ावा देने और संस्थान के लोकतांत्रिक माहौल को खतरे में डालने के लिए 51 डॉक्टरों को नोटिस जारी किया है और उन्हें 11 सितंबर को जांच समिति के समक्ष पेश होने के लिए कहा है। अस्पताल के अधिकारियों द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि उन्हें समिति के समक्ष अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी।

आरजी कर अस्पताल की विशेष परिषद समिति द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार, उन 51 डॉक्टरों के लिए संस्थान के परिसर में प्रवेश प्रतिबंधित है, जब तक कि जांच समिति द्वारा उन्हें नहीं बुलाया जाता। अस्पताल के प्राचार्य द्वारा हस्ताक्षरित नोटिस में कहा गया है इन डॉक्टरों के कॉलेज की गतिविधियों में भाग लेने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। सूची में वरिष्ठ रेजिडेंट, हाउस स्टाफ, इंटर्न और प्रोफेसर शामिल हैं।

पूर्व प्राचार्य न्यायिक हिरासत में

आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष को वित्तीय अनियमितताओं के एक मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने 23 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

First Published : September 10, 2024 | 10:51 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)