मणिपुर में बीते दो साल से जारी हिंसा और राजनीतिक उठापटक के बाद आखिरकार राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह ने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव के खतरे के बीच इस्तीफा दे दिया था, और अब बीजेपी नया मुख्यमंत्री तय नहीं कर पाई, जिससे राज्य में संवैधानिक संकट खड़ा हो गया। इसी वजह से केंद्र सरकार को राष्ट्रपति शासन लागू करने का बड़ा फैसला लेना पड़ा।
राष्ट्रपति भवन से क्या ऐलान हुआ?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के कार्यालय से जारी बयान में कहा गया कि राज्यपाल अजय भल्ला की रिपोर्ट और अन्य सूचनाओं के आधार पर यह निर्णय लिया गया। बयान में साफ कहा गया कि मणिपुर में सरकार संविधान के अनुसार नहीं चल सकती, इसलिए राष्ट्रपति शासन लगाना जरूरी हो गया।
बीजेपी में खींचतान, नया सीएम तय नहीं कर पाई पार्टी
एन. बिरेन सिंह ने रविवार को दिल्ली में बीजेपी नेतृत्व से मुलाकात के बाद अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया था। इसके बाद बीजेपी के नॉर्थईस्ट प्रभारी संबित पात्रा इम्फाल पहुंचे और विधायकों से बैठकें कीं, लेकिन किसी भी नाम पर सहमति नहीं बन पाई।
बीजेपी को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से वापसी के बाद नए मुख्यमंत्री का नाम फाइनल हो जाएगा, लेकिन विधानसभा सत्र बुलाने की छह महीने की समय-सीमा खत्म होते ही राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ा।
संवैधानिक संकट कैसे पैदा हुआ?
संविधान के अनुच्छेद 174(1) के मुताबिक, राज्य की विधानसभा को छह महीने के भीतर बुलाना जरूरी होता है। मणिपुर में आखिरी विधानसभा सत्र 12 अगस्त 2024 को हुआ था, यानी 13 फरवरी 2025 तक सत्र बुलाना जरूरी था। लेकिन मुख्यमंत्री और पूरी सरकार के इस्तीफे के कारण बजट सत्र भी अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया गया।
आखिरकार बीजेपी का नया सीएम तय न कर पाना और विधानसभा न बुला पाना मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की वजह बना।
अब आगे क्या होगा?
अब मणिपुर की पूरी सत्ता राज्यपाल के हाथों में होगी और केंद्र सरकार सीधे राज्य के प्रशासन को नियंत्रित करेगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी कब तक नया मुख्यमंत्री तय कर पाती है और क्या मणिपुर में जल्द चुनाव कराए जाएंगे।