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अस्पतालों में इलाज की दर के लिए चाहिए वक्त, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- सभी हिस्सेदारों से परामर्श की जरूरत

मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा, ‘इस कवायद की पहल शुरू करने के लिए अतिरिक्त समय की जरूरत होगी, क्योंकि इसमें मानव संसाधन व समय दोनों ही लगेगा।’

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संकेत कौल   
Last Updated- April 29, 2024 | 11:05 PM IST

अस्पतालों में इलाज की दर का मानक तय करने के लिए केंद्र सरकार ने सभी हिस्सेदारों से व्यापक परामर्श की वकालत की है। उच्चतम न्यायालय में आज दाखिल किए गए अपने जवाब में केंद्र ने कहा कि अस्पताल की दरों के मानकीकरण के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को इससे जुड़े हिस्सेदारों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करने की जरूरत है।

बिज़नेस स्टैंडर्ड ने उन दस्तावेजों को देखा है, जिसे मंत्रालय ने न्यायालय में दाखिल किया है। मंत्रालय ने कहा कि मानक दरें तय करने की कवायद में सभी हिस्सेदारों के साथ परामर्श करने की जरूरत है, जिसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में काम कर रहे निजी कारोबारी शामिल हैं। केंद्र ने कहा कि दरें तय करने में सबसे लिए एक ही तरीका अपनाया जाना संभवतः व्यावहारिक नहीं होगा।

मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा, ‘इस कवायद की पहल शुरू करने के लिए अतिरिक्त समय की जरूरत होगी, क्योंकि इसमें मानव संसाधन व समय दोनों ही लगेगा।’

राज्यों के साथ परामर्श का यह कदम तब सामने आया है, जब उच्चतम न्यायालय ने फरवरी 2024 में केंद्र को निर्देश दिया था कि वह राज्यों के साथ परामर्श करके निजी अस्पतालों में इलाज की मानक दरें तय करे।

शीर्ष अदालत ने मानक दरें तय होने तक निजी अस्पतालों में इलाज कराने को लेकर केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) दरों को लागू करने की भी चेतावनी दी थी।

अपने शपथपत्र में मंत्रालय ने न्यायालय को सूचित किया है कि स्वास्थ्य सचिव की अध्यक्षता में 19 मई को सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के साथ वर्चुअल बैठक आयोजित की गई थी। इसमें सभी सरकारों से मेडिकल प्रोसीजर और सेवाओं की मानक दरों पर काम करने का अनुरोध किया गया था।

सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है, ‘कई राज्यों ने सुझाव दिया है कि निजी कारोबारियों और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के साथ कई दौर के परामर्श की जरूरत पड़ सकती है। वहीं कुछ राज्यों ने कहा कि अगर कोई दर निर्धारित कर दी जाती है तो इससे स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता से समझौता हो सकता है क्योंकि इससे हेल्थकेयर सुविधा तैयार करना वित्तीय रूप से अव्यावहारिक हो सकता है।’

केंद्र सरकार ने अपने शपथपत्र में इस बात पर भी जोर दिया है कि दरें नियत करने में हेल्थकेयर सुविधा वित्तीय रूप से अव्यावहारिक होने जैसा गंभीर मसला भी शामिल है और इससे कई अन्य अस्पताल दरें बढ़ा भी सकते हैं। साथ ही इससे आर्थिक गतिशीलता और बाजार की ताकतों के संबंधों को देखते हुए इससे स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र अप्रतिस्पर्धी बन सकता है ।

इस बैठक में क्लिनिकल स्टैब्लिशमेंट (पंजीकरण और विनियमन) अधिनियम, 2010 की स्वीकार्यता कम होने को लेकर भी चर्चा हुई। इस ऐक्ट में सभी चिकित्सीय प्रतिष्ठानों को खुद को पंजीकृत कराना और आम बीमारियों व स्थितियों के लिए एक मानक चिकित्सा दिशानिर्देश तय करना शामिल है। इस समय केवल 12 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों ने इस ऐक्ट को स्वीकार या लागू किया है।

First Published : April 29, 2024 | 11:05 PM IST