अधिसूचना के मुताबिक, देश की अगली जनगणना दो चरणों में कराई जाएगी।
Census: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार को देश में लंबे समय से लंबित जनगणना को दो चरणों में कराने को लेकर आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है। 2011 के बाद पहली बार जनगणना होगी। इसमें जातिगत विवरण (Caste Enumeration) भी शामिल होगी। इस बड़े डेटा कलेक्शन अभियान की शुरुआत 1 अक्टूबर 2026 से होगी, जबकि दूसरा चरण 1 मार्च 2027 को आयोजित किया जाएगा।
अधिसूचना के मुताबिक, देश की अगली जनगणना दो चरणों में कराई जाएगी। बर्फ से ढके क्षेत्रों जैसे लद्दाख, जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में जनगणना 1 अक्टूबर 2026 की रेफरेंस डेट के साथ शुरू होगी। बाकी देश में यह प्रक्रिया 1 मार्च 2027 की रेफरेंस डेट के आधार पर पूरी की जाएगी।
अधिसूचना में कहा गया है, “लद्दाख, जम्मू-कश्मीर के गैर-समानांतर बर्फीले क्षेत्र और हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड के ऐसे ही क्षेत्रों को छोड़कर देशभर में जनगणना की संदर्भ तिथि 1 मार्च 2027 की रात 12 बजे (00:00 बजे) होगी।”
यह देशव्यापी डेटा संग्रह अभियान लगभग 34 लाख गणनाकारों और पर्यवेक्षकों की ओर से संचालित किया जाएगा, जिन्हें 1.3 लाख से ज्यादा डिजिटल डिवाइसेस से लैस किया जाएगा। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस जनगणना में जातिगत गणना (caste enumeration) भी की जाएगी।
पहला चरण, जिसे हाउसलिस्टिंग ऑपरेशन (HLO) कहा जाता है, 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगा। इस चरण में गणना करने वाले मकानों की स्थिति, सुविधाओं की उपलब्धता, संपत्ति के स्वामित्व और घरेलू आय से जुड़ी विस्तृत जानकारी इकट्ठा करेंगे। यह बुनियादी डेटा देशभर में आधारभूत ढांचे की जरूरतों और जीवन स्तर का आकलन करने में मदद करता है।
इस चरण की खास बात यह है कि इसमें पहली बार डिजिटल सेल्फ-एन्यूमरेशन की सुविधा दी जा रही है, जिसके अंतर्गत घर के सदस्य स्वयं ऑनलाइन पोर्टल के जरिए अपनी जानकारी दर्ज कर सकेंगे। यह भारत की जनगणना के इतिहास में पहली बार होगा।
दूसरा चरण, जिसे जनसंख्या गणना (Population Enumeration – PE) कहा जाता है, 1 मार्च 2027 को आयोजित किया जाएगा। इस अहम चरण में प्रत्येक व्यक्ति से जुड़ी व्यक्तिगत जानकारी जैसे आयु, लिंग, पेशा, शिक्षा, भाषा, धर्म और वैवाहिक स्थिति दर्ज की जाएगी।
एक अहम बदलाव के अंतर्गत इस बार जनगणना में जातिगत गणना (caste enumeration) भी शामिल की जाएगी। इससे देश की सामाजिक संरचना को बेहतर ढंग से समझने और लक्षित कल्याणकारी योजनाएं तैयार करने में मदद मिलेगी।
जनगणना 2027 के ऐलान से महिला आरक्षण विधेयक और परिसीमन प्रक्रिया के रास्ते भी साफ हो गए हैं। ये दोनों लंबे समय से अद्यतन जनसंख्या डेटा का इंतजार कर रहे थे।
महिला आरक्षण विधेयक, जिसके अंतर्गत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित की जानी हैं, तभी लागू किया जा सकेगा जब नई जनगणना पूरी हो जाए और उसके बाद परिसीमन किया जाए। अब जब जनगणना की समय-सीमा तय हो गई है, तो ये लंबे समय से लंबित सुधार भी आगे बढ़ सकते हैं।
भारत में जनगणना की प्रक्रिया जनगणना अधिनियम, 1948 और जनगणना नियम, 1990 के प्रावधानों के अंतर्गत होती है। पिछली जनगणना वर्ष 2011 में दो चरणों में कराई गई थी। जनगणना 2021 को भी दो चरणों में कराने का प्रस्ताव था, पहला चरण अप्रैल से सितंबर 2020 के बीच और दूसरा चरण फरवरी 2021 में होना था।
जनगणना 2021 के पहले चरण की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं, और कुछ राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 1 अप्रैल 2020 से फील्डवर्क शुरू होने वाला था। हालांकि, कोविड-19 महामारी के फैलने के कारण यह कार्य टाल दिया गया।