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Odd-Even Scheme in Delhi: बारिश ने दिलाई प्रदूषण से राहत, दिल्ली सरकार ने टाला ऑड-ईवन का फैसला

दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में 13 से 20 नवंबर के बीच वाहनों को ऑड-ईवन के आधार पर चलाने की योजना बनाई थी। अब इसे टाल दिया गया है।

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- November 10, 2023 | 4:00 PM IST

दिल्ली में बारिश के कारण प्रदूषण के स्तर में सुधार देखा जा रहा है। ऐसे में दिल्ली सरकार ने ऑड-ईवन योजना को लागू करने के फैसले का स्थगित कर दिया है। दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में 13 से 20 नवंबर के बीच वाहनों को ऑड-ईवन के आधार पर चलाने की योजना बनाई थी। अब इसे टाल दिया गया है।

अब 13 नवंबर से लागू नहीं होगी ऑड-ईवन योजना
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि दिल्ली में प्रदूषण का स्तर गंभीर श्रेणी में पहुंचने के बाद इसे नियंत्रित करने के लिए सरकार ने वाहनों को ऑड-ईवन नंबर के आधार पर चलाने का निर्णय लिया था। लेकिन अब कल रात से बारिश होने के बाद प्रदूषण के स्तर में गिरावट आई है। बीते 8 से 10 दिनों से हवा की गति में ठहराव से प्रदूषण लागतार बढ़ रहा था। जिससे वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI)गंभीर श्रेणी से भी ऊपर चला गया था। अब बारिश होने से प्रदूषण सुधर रहा है। 450 पार करने वाला AQI अब 300 के करीब आ गया है। आगे इसमें और सुधार होने की संभावना है। इसे देखते हुए सरकार ने 13 से 20 नवंबर के बीच ऑड-ईवन लागू करने के फैसले को अब टालने का निर्णय लिया है। दीवाली बाद प्रदूषण के हालात की समीक्षा की जाएगी। अगर प्रदूषण के स्तर में कोई गंभीर स्थिति देखी जाएगी तो फिर ऑड-ईवन लागू करने पर विचार किया जा सकता है।

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पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगानी होगी : उच्चतम न्यायालय
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि पंजाब और दिल्ली से सटे कुछ अन्य राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं रोकनी होंगी और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में प्रदूषण का स्तर कम करने के लिए समाधान खोजना होगा। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने दिल्ली-एनसीआर में खतरनाक वायु प्रदूषण से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि प्रदूषण से जुड़ी कई रिपोर्ट और समितियां हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं हो रहा। पीठ ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय परिणाम देखना चाहता है। न्यायालय को बताया गया कि पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं। शीर्ष अदालत वायु प्रदूषण पर 1985 में पर्यावरणविद् एम सी मेहता द्वारा दायर एक याचिका पर विचार कर रही है और इसी मामले की सुनवाई के दौरान पराली जलाए जाने का मुद्दा उठा।

First Published : November 10, 2023 | 3:54 PM IST