प्रतीकात्मक तस्वीर
PLI Scheme: इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा पिछले हफ्ते मंजूर की गई 22,919 करोड़ रुपये की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के लिए कई देसी और वैश्विक कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है। देसी कंपनियों में डिक्सन टेक्नोलॉजीज (इंडिया), अंबर एंटरप्राइजेज, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स, मुनोत इंडस्ट्रीज और मुरुगप्पा समूह के साथ ही जापान की टीडीके कॉर्पोरेशन, ताइवान की होन हाई टेक्नोलॉजी समूह (फॉक्सकॉन),
ऑस्ट्रिया की एटीऐंडएस और जापान की मुराता मैन्युफैक्चरिंग ने इस योजना में प्रतिभागिता के लिए शुरुआती रुचि दिखाई है। इस बारे में सरकार और हितधारकों के बीच हुई चर्चा से अवगत लोगों ने इसकी जानकारी दी।
इस योजना में इलेक्ट्रॉनिक घटकों के विभिन्न क्षेत्रों में 50 करोड़ से 1,000 करोड़ रुपये तक के निवेश का अनुमान है, जिनमें सबसे अधिक निवेश प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (पीसीबी) और कैपेसिटर जैसे पैसिव पुर्जों में किया जाएगा। इस योजना का विस्तृत विवरण अभी जारी नहीं किया गया है लेकिन इस योजना के तहत औसतन प्रोत्साहन 4.56 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित उत्पादन का 5 फीसदी से अधिक रहने की उम्मीद है। यह प्रोत्साहन अलग-अलग तरीकों से दिया जाएगा।
डिक्सन के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार कंपनी डिस्प्ले मॉड्यूल, कैमरा मॉड्यूल और मैकेनिकल तीनों क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी जिसमें 800 करोड़ रुपये का सामूहिक निवेश का अनुमान है। डिक्सन ने डिस्प्ले मॉड्यूल के लिए चीन की कंपनी एचकेसी के साथ पहले ही एक संयुक्त उद्यम बना लिया है, जिसमें इसकी 74 फीसदी हिस्सेदारी होगी।
दिल्ली की अंबर एंटरप्राइजेज पीसीबी विनिर्माण के लिए आवेदन करेगी। इसने कोरियन सर्किट के साथ संयुक्त उद्यम बनाया है, जिसमें इसकी हिस्सेदारी 70 फीसदी होगी। अंबर इंटरप्राइजेज के चेयरमैन जसबीर सिंह ने कहा, ‘हम व्यापक पैमाने पर उत्पादन के लिए 1,500 से 2,000 करोड़ रुपये का निवेश करेंगे। देश में पिछले साल 32,000 करोड़ रुपये की पीसीबी की मांग थी और उनमें से केवल 10 फीसदी भारत में बना था। इसलिए इस क्षेत्र में कई कंपनियों के लिए काफी बड़ा बाजार है।’
सिंह ने कहा कि अभी विस्तृत विवरण जारी नहीं किया गया है लेकिन चर्चा से पता चलता है कि सरकार परियोजना लागत पर 25 फीसदी तक की अग्रिम पूंजी सब्सिडी तथा 5 साल में उत्पादन मूल्य का 28 फीसदी देने पर विचार कर रही है।
पीसीबी विनिर्माण के क्षेत्र में एटीऐंडएस एजी भी है जिसकी भारतीय सहायक कंपनी देश की पहली और सबसे बड़ी उच्च घनत्व और उच्च आवृत्ति पीसीबी विनिर्माता है। इसका कारखाना कर्नाटक में है।
मुरुगप्पा समूह भी कैमरा मॉड्यूल विनिर्माण के लिए उप-घटक क्षेत्र में उतरने के लिए बातचीत कर रहा है। टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स मैकेनिकल पुर्जे बनाने पर विचार कर रहा है। कंपनी पहले से ही इस तरह के पुर्जों की आपूर्ति ऐपल इंक को कर रही है, साथ ही कंपनी उसका निर्यात भी करती है।
लीथियम-आयन बैटरी सेल के क्षेत्र में जापान की टीडीके के स्वामित्व वाली एम्परेक्स टेक्नोलॉजी और मुनोत ने दिलचस्पी दिखाई है। मुनोत तिरुपति के अपने कारखाने में बैटरी सेल बनाती है। मुनोथ के वाइस चेयरमैन जसवंत मुनोत ने कहा, ‘हम पीएलआई योजना में हिस्सा लेंगे। हमने पहले ही 165 करोड़ रुपये का निवेश किया है और आगे विस्तार की योजना बना रहे हैं। स्थानीय बाजार के अलावा हम निर्यात भी करना चाहते हैं। अमेरिका द्वारा चीन पर 45 फीसदी शुल्क लगाए जाने से हम लाभ में रहेंगे। हालांकि हमें अप्रैल में पता चलेगा कि भारत पर बराबरी वाला शुल्क किस तरह का होगा।’ पैसिव कंपोनेंट में रजिस्टर, कैपेसिटर और इंडक्टर विनिर्माण के लिए जापान की टीडीके और मुराता तथा अमेरिका की टेक्सस इंस्ट्रूमेंट्स जैसी कंपनियों के साथ पहले ही चर्चा हो चुकी है। ऐपल के लिए ठेके पर आईफोन बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी फॉक्सकॉन पुर्जों का उत्पादन बढ़ाना चाहती है।