प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी | फाइल फोटो
Pradhan Mantri Mudra Yojana: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि मुद्रा योजना के तहत 33 लाख करोड़ रुपये से अधिक के गारंटी-मुक्त ऋण स्वीकृत किए गए हैं और इससे असंख्य लोगों को अपने उद्यमशीलता कौशल का प्रदर्शन करने का अवसर मिला है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) की 10वीं वर्षगांठ पर अपने आवास पर इसके चुनिंदा लाभार्थियों से बातचीत के दौरान मोदी ने कहा कि इससे देश के युवाओं में उद्यमिता की भावना को बढ़ावा देने में मदद मिली है। उन्हें नौकरी चाहने वालों के बजाय रोजगार देने वाला बनने का आत्मविश्वास मिला है।
प्रधानमंत्री मोदी ने 8 अप्रैल, 2015 को सदस्य ऋण संस्थानों के माध्यम से गारंटी-मुक्त संस्थागत कर्ज उपलब्ध कराने के लिए पीएमएमवाई की शुरुआत की थी। मोदी ने लोगों से कम से कम पांच से 10 अन्य लोगों को प्रेरित करने और उनका समर्थन करने का आग्रह किया, जिससे उनका आत्मविश्वास व आत्मनिर्भरता बढ़े। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि योजना के तहत 52 करोड़ ऋण वितरित किए जा चुके हैं, जो विश्व स्तर पर एक अभूतपूर्व उपलब्धि है।
उन्होंने कहा, ‘यह विशेष रूप से उत्साहजनक है कि मुद्रा लाभार्थियों में से आधे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग समुदायों से हैं और 70 प्रतिशत से अधिक लाभार्थी महिलाएं हैं।’ मोदी ने कहा, ‘प्रत्येक मुद्रा ऋण अपने साथ सम्मान, स्वाभिमान और अवसर लेकर आता है। वित्तीय समावेश के अलावा इस योजना ने सामाजिक समावेश व आर्थिक आजादी भी सुनिश्चित की है।’ उन्होंने कहा कि मुद्रा योजना में सबसे अधिक महिलाएं आगे आई हैं। महिलाओं ने सबसे अधिक आवेदन किए, सबसे अधिक ऋण हासिल किए और सबसे तेजी से इन कर्ज का भुगतान भी किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में बिना किसी गारंटी के नागरिकों को 33 लाख करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं। यह राशि अभूतपूर्व है तथा अमीर लोगों को सामूहिक रूप से दी गई किसी भी वित्तीय सहायता से अधिक है। उन्होंने देश के प्रतिभाशाली युवाओं पर भरोसा जताया जिन्होंने रोजगार सृजन और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए धनराशि का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया है।
इस अवसर पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘52 करोड़ से अधिक मुद्रा ऋण खातों के लिए 33.65 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि स्वीकृत की गई है। यह योजना करोड़ों उद्यमियों विशेषकर समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों के उद्यमियों की आकांक्षाओं को पंख देने में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि साबित हुई है।’ उन्होंने कहा कि 2015 से अबतक अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों से संबंधित विभिन्न वंचित समुदायों को 11.58 लाख करोड़ रुपये के मुद्रा ऋण स्वीकृत किए गए हैं।