केंद्र सरकार के अनुरोध पर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने लैटरल एंट्री के जरिये भर्ती के विज्ञापन रद्द करने के बाद 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पानगड़िया ने सरकार के इस कदम की आलोचना की है। पानगड़िया ने मंगलवार को कहा कि इससे प्रणाली को नुकसान पहुंचेगा और सिविल सेवा में सुधार के लिए वैकल्पिक रास्ता तलाशने की जरूरत है।
बिज़नेस टुडे समिट में पानगड़िया ने कहा, ‘यह अफसोसजनक है क्योंकि आपको अभी भी लोगों को सलाहकार के तौर पर लाने की जरूरत है, है न? प्रणाली को लैटरल एंट्री से भर्तियों के तौर पर सलाहकारों को लाना होगा, जहां वे सही मायने में निर्णय लेने की शक्ति के बिना विशेष सेवाओं की पूर्ति करेंगे।’
पानगड़िया की बातों पर 15वें वित्त आयोग के एनके सिंह ने भी सहमति जताई और कहा कि स्थायी सिविल सेवाओं की जरूरतों को तैयार करना चाहिए और यह भी सुनिश्चित होनी चाहिए कि स्थिरता खतरे में नहीं पड़े। सिंह ने कहा, ‘हमें स्थायी सिविल सेवा क्यों चाहिए? यह अपने आप में अंत नहीं है। अंततः लोगों की जीवनशैली में सुधार होना चाहिए और भारत को विकास पथ अग्रसर होना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि स्थायी सिविल सेवाओं में बदलाव इसे शुरू करने से, नवोन्मेष से और प्रौद्योगिकी के अनुकूल तरीकों तथा प्रणालियों को अपनाकर लाया जाना चाहिए।
पानगड़िया ने कहा कि दोनों तरफ लोग हैं। पहले विशेषज्ञ, जो काम करने के लिए आवश्यक कौशल सीख सकते हैं और इसी तरह सरकार के भीतर सामान्य लोग जो विशेष कौशल सीख सकते हैं।
शासन सुधारों की आवश्यकताओं पर जोर देते हुए पानगड़िया ने कहा कि सरकार लैटरल एंट्री के जरिये भर्तियों पर ज्यादा तेजी से काम नहीं कर रही है और हाल ही में जारी किए गए विज्ञापन में संयुक्त और उप सचिव के पदों पर गैर अफसरशाह को लाने का दूसरी बार प्रयास किया गया है।
पानगड़िया ने कहा, ‘हमें कहीं न कहीं शासन सुधारों की जरूरत है। इसे शुरू करना होगा।’ लैटरल एंट्री के तौर पर सन् 1954 में वित्त मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार बने आईजी पटेल का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, ‘ऐसी (लैटरल एंट्री) भर्तियां काफी वर्षों तक कांग्रेस के कार्यकाल में हुईं। इसलिए आज की कांग्रेस पहले वाली कांग्रेस के मुकाबले काफी अलग है।’
यूपीएससी ने शनिवार को केंद्र सरकार के 24 मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के 45 पदों के लिए लैटरल एंट्री से भर्तियों के लिए विज्ञापन जारी किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार द्वारा 2018-19 में शुरू हुई इस नीति के तौर पर पहली बार इतनी बड़ी संख्या में लैटरल एंट्री के तौर पर भर्तियां होने वाली थीं।
पानगड़िया ने कहा, ‘लोकतंत्र में ये ताकतें काम करती हैं मगर हममें से जो सुधारों में विश्वास करते हैं वे इसे आगे बढ़ाना जारी रखेंगे। सिविल सेवा में सुधार के लिए वैकल्पिक रास्ते तलाश करने होंगे।’