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पश्चिम बंगाल सरकार ने पुलिस और स्वास्थ्य विभागों में किया फेरबदल, डॉक्टरों ने जारी रखा ‘कार्य बंद करो’ आंदोलन

आंदोलनकारी कनिष्ठ चिकित्सकों ने कहा कि उन्होंने सरकार का आदेश देखा है और अपनी बैठक करने के बाद आगे की रणनीति की घोषणा करेंगे।

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भाषा   
Last Updated- September 17, 2024 | 10:34 PM IST

पश्चिम बंगाल सरकार ने आंदोलनकारी कनिष्ठ चिकित्सकों के साथ अपनी बैठक के एक दिन बाद, स्वास्थ्य और पुलिस विभागों में मंगलवार को फेरबदल किया। वरिष्ठ आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारी मनोज कुमार वर्मा को विनीत गोयल की जगह कोलकाता का नया पुलिस आयुक्त बनाया गया है।

आरजी कर अस्पताल में चिकित्सक से दुष्कर्म और उनकी हत्या के मामले से निपटने को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहे गोयल को हटाने की घोषणा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार रात प्रदर्शनकारी चिकित्सकों के साथ बैठक के बाद ही कर दी थी। गोयल 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उन्हें पश्चिम बंगाल पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) का अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) तथा पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) बनाया गया था।

इस बीच, कोलकाता के स्वास्थ्य भवन के पास जूनियर चिकित्सकों ने मंगलवार सुबह धरना दिया और अपना ‘कार्य बंद करो’ आंदोलन जारी रखा। आंदोलनकारी कनिष्ठ चिकित्सकों ने कहा कि उन्होंने सरकार का आदेश देखा है और अपनी बैठक करने के बाद आगे की रणनीति की घोषणा करेंगे। नए पुलिस आयुक्त बनाये गए वर्मा 1998 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। इससे पहले वह एडीजी और आईजी (कानून व्यवस्था) की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

एडीजी और आईजी (कानून व्यवस्था) की जिम्मेदारी अब 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी जावेद शमीम को सौंपी गई है। इसके अलावा राज्य सरकार ने चिकित्सा शिक्षा निदेशक (डीएमई) डॉ कौस्तव नायक और स्वास्थ्य सेवाएं निदेशक (डीएचएस) डॉ देबाशीष हालदार को भी उनके पद से हटा दिया है। चिकित्सों के साथ बैठक में ममता ने नायक और हालदार को हटाने का वादा किया था।

सीबीआई से मांगी स्थिति रिपोर्ट

उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच पर एक वस्तु स्थिति रिपोर्ट सौंपने का मंगलवार को निर्देश दिया। न्यायालय ने दुष्कर्म तथा हत्या की घटना के संबंध में सीबीआई द्वारा दाखिल वस्तु स्थिति रिपोर्ट पर भी गौर किया और कहा कि स्थिति का खुलासा करने से आगे की जांच खतरे में पड़ जाएगी।

मामले में सुनवाई के सीधे प्रसारण पर रोक लगाने से इनकार करते हुए न्यायालय ने कहा कि यह जनहित का मामला है और जनता को पता होना चाहिए कि अदालत कक्ष में क्या हो रहा है। भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा के पीठ ने केंद्रीय जांच एजेंसी को अस्पताल के चिकित्सा विभागों में कथित वित्तीय अनियमितताओं पर अभी तक की जांच पर एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।

First Published : September 17, 2024 | 10:34 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)