भारत ने अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की संभावनाओं के साथ सीमित कारोबारी समझौते पर हस्ताक्षर पर जोर दिया है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और अमेरिकी उद्योग मंत्री विल्बर रॉस के बीच गुरुवार को हुए टेलीकनवर्सेसन में बातचीत पर कोई प्रगति नहीं हो सकी। वाणिज्य विभाग की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, ‘यह विचार व्यक्त किया गया कि शुरुआत में सीमित कारोबारी पैकेज हो और भारत व अमेरिका के बीच द्विपक्षीय कारोबार के पूरकोंं को चिह्नित करने के साथ एक एफटीए की संभावना पर चर्चा हो।’
बहरहाल अधिकारियों ने कहा कि प्रस्तावति कारोबारी समझौते पर अमेरिका के साथ बातचीत नवंबर में होने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के बाद ही गति पकड़ेगी।
भारत ने अमेरिका भारत सोशल सिक्योरिटी टोटलाइजेशन एगग्रीमेंट का मसला भी उठाया है, जो लंबित है। इसका मकसद एक दूसरे के देश में काम करने वाले कर्मचारियोंं की आमदनी में से दोहरी कटौती से बचना और अमेरिका में कम अवधि के भारतीय कर्मचारियोंं को सामाजिक सुरक्षा जमा वापस लाना है। भारत ने उन 24 भारतीय उत्पादों को लेकर भी अपनी चिंता से अवगत कराया, जिसका आपूर्ति ठेका अमेरिकी सरकार ने तस्करी पीडितों की सुरक्षा संरक्षण अधिनियम की सूची में चिह्नित होने के कारण रद्द कर दिया है, जिन्हें बाल श्रम क्षेत्रों के रूप में चिह्नित किया गया है। रॉस ने अमेरिका के संबंधित विभागों के अधिकारियों से इन दोनों मसलों पर बैठक कराने की पेशकश की है।
गोयल ने भारत से झींगे के आयात पर अमेरिकी प्रतिबंध के मसले को भी उठाया, जिसमें समुद्री कछुओं की सुरक्षा के अमेरिकी नियम का अनुपालन न करने की बात कही गई है। रॉस ने इस सिलसिले में दोनों देशों के संबंधित मंत्रालयों व विभागोंं के बीच वार्ता की कराने की पेशकश की।
अमेरिका में 3 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि महामारी के बावजूद देशव्यापी चुनाव टाला नहीं जाएगा। अधिकारियों ने कहा कि शुरुआत में अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा प्रचारित और उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा समर्थित कारोबारी समझौते पर हस्ताक्षर चुनाव के पहले होने की संभावना कम है।
चीन के प्रभुत्व वाले विनिर्माण व कारोबारी प्रवाह से चिंतित दोनों पक्षों ने बातचीत जारी रखने का फैसला किया है। नीतिगत मतभेदों व कोविड-19 से उपजे संकट के कारण दोनों देशों के बीच बातचीत में देरी हो रही है। महंगे अमेरिकी कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क पर धीरे धीरे आयात शुल्क कम करने, मेडिकल उपकरणों के लिए मुनाफे की पॉलिसी और अमेरिकी तकनीकी सामान पर प्रतिबंध कम करने पर बातचीत जारी रखने का वादा भारत की ओर से बातचीत का बुनियादी प्रस्ताव है।