विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला ने गुरुवार को कहा कि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और यूरोपीय देशों के साथ-साथ बांग्लादेश, भूटान जैसे पड़ोसी देशों सहित 40 से अधिक देशों ने भारत को इलाज से जुड़े सामान और दवाइयां उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्धता जताई है क्योंकि देश को कोविड-19 मामलों में अभूतपूर्व वृद्धि से निपटने की तत्काल जरूरत है।
भारत ने इस दिशा में कदम उठाते हुए ऑक्सीजन और रेमडेसिविर जैसी दवाओं तथा इलाज से जुड़े सामान की खरीद को प्राथमिकता दी है। शृंगला ने कहा, ‘हमने कुछ क्षेत्रों को प्राथमिकता दी है। तरल ऑक्सीजन उन क्षेत्रों में से एक है जो हमारी प्राथमिकता में शामिल है। हमें ऑक्सीजन उत्पादन करने वाली चीजों, ऑक्सीजन जेनरेटर, ऑक्सीजन कॉन्सनट्रेटर, ऑक्सीजन उत्पादक उपकरण, क्रायोजेनिक टैंकर, ऑक्सीजन लाने-ले जाने वाले उपकरण की भी जरूरत है। इसके अलावा हमें कुछ जरूरी दवाओं मसलन रेमडेसिविर और टोसिलिजुमैब की भी जरूरत है।’
शृंगला को उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों और हफ्तों में 500 से अधिक ऑक्सीजन वाले संयंत्र, 4,000 से अधिक ऑक्सीजन कॉन्सनट्रेटर, 10,000 से अधिक ऑक्सीजन सिलिंडर, 17 ऑक्सीजन क्रायोजेनिक टैंकर मिलेंगे जिनमें से कुछ पहले ही आ चुके हैं। इसके अलावा अमेरिका की गिलियड साइंसेज ने रूस और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से ऐंटीवायरल दवा रेमडेसिविर की 450,000 खुराक और फैविपिराविर की 300,000 खुराक की पेशकश की है।
जैसा कि कुछ दिन पहले अमेरिका ने घोषणा की थी कि अगले कुछ दिनों में अमेरिका से तीन विशेष विमान भेजे जाएंगे। पहला विमान शुक्रवार सुबह और दूसरा दोपहर में पहुंचेगा जबकि तीसरा विमान 3 मई को भारत आएगा। इन विमानों में ऑक्सीजन बनाने वाले दो उपकरण, 2,000 ऑक्सीजन कॉन्सनट्रेटर, 500 ऑक्सीजन सिलिंडर होंगे।
भारत मिस्र में रेमडेसिविर के अन्य निर्माताओं के संपर्क में भी है ताकि देश में इसकी आपूर्ति की कमी पूरी की जा सके और यहां तक कि भारत भी अपनी घरेलू क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कोशिश कर रहा है। भारत अमूमन एक दिन में रेमडेसिविर की 67,000 खुराक का निर्माण करता है जबकि मौजूदा जरूरत के मुताबिक एक दिन में दो से तीन लाख खुराक बनाने की दरकार है। वह कहते हैं, ‘हमें इस अंतर को पाटना है और यह कुछ ऐसा है जिसके बारे में हमारे उत्पादकों को अच्छी तरह से पता है और वे वास्तव में अपने उत्पादन की रफ्तार बढ़ा रहे हैं। घरेलू उत्पादनकर्ताओं को कच्चे माल, समर्थन की जरूरत है जो पूरी तरह से मिल रहा है।’
विदेश मंत्रालय इस स्थिति से निपटने के लिए विभिन्न सरकारी विभागों, अन्य देशों, निजी क्षेत्र के साथ-साथ उद्योग संघों के साथ काम कर रहा है। फिलहाल एक अधिकारप्राप्त समूह को यह देखने के लिए लगाया गया है कि कैसे भारत तेजी से बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन का जुगाड़ कर रहा है और बड़ी भारतीय कंपनियां किस तरह चिकित्सा उपकरणों को मंगा रही हैं जो पहले से ही वैश्विक स्तर पर आपूर्ति शृंखला से जुड़ी हुई हैं।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘हम कोविड 19 महामारी की दूसरी लहर का मुकाबला करने में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिहाज से अपनी तात्कालिक आवश्यकताओं को पूरा करने को शीर्ष प्राथमिकता दे रहे हैं।’
अन्य देशों से मदद की उम्मीद करने की नीति में बदलाव के बारे में शृंगला ने कहा कि अमेरिका और खाड़ी देशों सहित कई देश आगे आए हैं और इन्होंने भारत की मदद करने की पेशकश की है क्योंकि भारत पिछले साल से ही दूसरे देशों की मदद करने में सक्रिय रहा है।
उन्होंने कहा, ‘यह एक अभूतपूर्व स्थिति है। हम ऐसी स्थिति से निपट रहे हैं जो असाधारण है। हमने निश्चित रूप से उन सामान को प्राथमिकता दी है जिसकी हमें आवश्यकता है। कई देश खुद ही मदद देने के लिए आगे आए हैं। कई देशों में हमने भी उनकी जरूरत के हिसाब से आगे बढ़कर मदद दी है जब उन्हें मदद की जरूरत थी। हमने उन्हें जरूरी दवाओं पैरासिटामोल, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन, टीके, रेमडेसिविर की आपूर्ति की है। हमने मदद दी तो हमें मदद मिल रही है। इस तरह के कदम एक परस्पर निर्भर दुनिया को दर्शाते हैं।’
10 करोड़ डॉलर के सामानों की आपूर्ति करेगा अमेरिका
अमेरिकी सरकार ने एस्ट्राजेनेका टीके के निर्माण और आपूर्ति के अपने ऑर्डर को फिलहाल भारत के नाम कर दिया है जिससे भारत कोविड-19 टीके की 2 करोड़ से अधिक खुराक बना सकेगा। व्हाइट हाउस ने गुरुवार को एक बयान जारी कर सूचना दी। इसके अलावा कोविड-19 महामारी को देखते हुए तात्कालिक स्तर पर अमेरिका अन्य मदद के तौर पर 1,700 ऑक्सीजन कॉन्सनट्रेटर, ऑक्सीजन उत्पादक इकाई (पीएसए सिस्टम),1.5 करोड़ एन95 मास्क, रैपिड डायग्नॉस्टिक टेस्ट, ऐंटीवायरल दवा रेमेडेसिविर के 20,000 ट्रीटमेंट कोर्स भी मुहैया कराएगा। एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘भारत के साथ अमेरिका की एकजुटता की वजह से ही कोविड-19 की नई लहर से जूझ रहे देश को आने वाले दिनों में 10 करोड़ डॉलर से अधिक की आपूर्ति की जा रही है ताकि हमारे भागीदारों को तत्काल राहत मुहैया कराई जा सके।’