प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने गुरुवार को कहा कि भारत के सैन्य बल चीन की आक्रामक गतिविधियों से ‘सबसे बेहतर एवं उचित तरीकों’ से निपटने में सक्षम हैं। उन्होंने ये टिप्पणियां पूर्वी लद्दाख के कुछ इलाकों में यथास्थिति को बदलने के चीन के प्रयासों की पृष्ठभूमि में की हैं। अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी फोरम में एक संवाद सत्र में जनरल रावत ने कहा कि क्षेत्रीय मामलों से निपटने की भारत की नीति को भरोसेमंद सैन्य शक्ति और क्षेत्रीय प्रभाव का समर्थन नहीं देने का मतलब ‘क्षेत्र में चीन के दबदबे को स्वीकार कर लेना’ निकाला जाएगा।
पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि भारत परमाणु से लेकर अद्र्ध-परंपरागत तक हर संभावित संघर्ष के सर्वाधिक जटिल खतरों और चुनौतियों का सामना कर रहा है, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि सैन्य बल उनसे निपटने के लिए तैयार हैं। जनरल रावत ने ऑनलाइन कार्यक्रम में कहा, ‘भारत चीन की कुछ आक्रामक हरकतों को देखता आ रहा है, पर हम इनसे समुचित ढंग से निपटने में सक्षम हैं।’ उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि पाकिस्तान अगर चीन के साथ भारत के सीमा विवाद का फायदा उठाते हुए हमारे देश के खिलाफ कोई दुस्साहस करने की कोशिश करता है तो वह भारी नुकसान उठाएगा, हमने इससे निपटने के लिए पर्याप्त सावधानियां बरती हैं।
शांति बहाली के लिए पीछे हटे चीन
भारत ने गुरुवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में पिछले चार महीने में सीमा पर पैदा हुए हालात इस क्षेत्र में एकतरफा ढंग से यथास्थिति बदलने की चीनी कार्रवाई का ‘प्रत्यक्ष परिणाम’ है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत संवाद के जरिये सभी मुद्दों के समाधान के लिये प्रतिबद्ध है और मुद्दों के समाधान का रास्ता बातचीत है। उन्होंने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि बीते चार महीने में हमने जो हालात देखे (लद्दाख में) हैं वे चीनी पक्ष की गतिविधियों का नतीजा है। चीन की गतिविधियों का मकसद यथास्थिति में एकतरफा बदलाव करना है।’ श्रीवास्तव ने कहा, ‘हम चीन से आग्रह करते हैं कि वह पूरी तरह पीछे हटने के कदम के जरिये सीमा पर तेजी से शांति बहाली के उद्देश्य से गंभीरता से जुड़े।’ भाषा