श्रीलंका में एटीएफ संकट से दक्षिण भारतीय हवाईअड्डों की चांदी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 5:41 PM IST

 
श्रीलंका में वित्तीय संकट और राजनीतिक उथल-पुथल की वजह से ईंधन की कमी की स्थिति बन गई है जिसका फायदा तिरुवनंतपुरम, कोच्चि और चेन्नई जैसे दक्षिण भारतीय हवाई अड्डों में विमानन टर्बाइन ईंधन (एटीएफ) की बढ़ती बिक्री के रूप में मिल रहा है।
श्रीलंकन एयरलाइंस, एयर अरेबिया, जजीरा एयरवेज, गल्फ एयर और एयरएशिया मलेशिया की कई उड़ानें मई से ही भारतीय हवाई अड्डों पर निर्भर हैं, जिससे तेल विपणन कंपनियों, हवाई अड्डा परिचालकों और संबंधित राज्य सरकारों को अतिरिक्त राजस्व मिल रहा है। श्रीलंका में संकट बढ़ने के साथ ही कई कंपनियों ने तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को सूचित किया है कि वे भारतीय हवाई अड्डों पर ही अपना विमान उतारेंगी। एतिहाद एयरवेज ने जानकारी दी है कि वे 15 जुलाई से कोच्चि में अपने विमान उतारेगी।
भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के एक सूत्र के अनुसार, श्रीलंकन एयरलाइंस ने 110 अतिरिक्त उड़ानों का संचालन किया और भारतीय हवाई अड्डों से 9,300 किलो लीटर  अतिरिक्त जेट ईंधन लिया। ईंधन भरने के लिए भारत की ओर आने वाली उड़ानों की संख्या में 29 जून से बढ़ोतरी हुई है। दरअसल श्रीलंका के अधिकारियों ने विमानन कंपनियों को सूचना दी थी कि विमानों की आपूर्ति के लिए कोई विमानन टर्बाइन ईंधन उपलब्ध नहीं होगा।
इसके अलावा, अन्य देशों की उड़ानें भी दक्षिण भारतीय हवाईअड्डों पर ईंधन भरने के लिए तकनीकी लैंडिंग का विकल्प चुन रही हैं। सूत्रों ने संकेत दिया कि एयर अरबिया और गल्फ एयर ने तिरुवनंतपुरम में तकनीकी लैंडिंग शुरू कर दी है और एक दिन में 30-40 केएल तक लिया।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ईंधन भरने के लिए तकनीकी लैंडिंग से हवाईअड्डा परिचालकों को प्रत्येक विमान से लगभग 1 लाख रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलने की उम्मीद है और राज्य सरकारों को भी एटीएफ पर कर से राजस्व मिलेगा। मुख्य रूप से प​श्चिम ए​शिया के विमान और यूरोप और प​श्चिम ए​शिया के रास्ते में आने वाले विमान, ईंधन भरने के लिए भारतीय हवाई अड्डों पर निर्भर हैं।
अदाणी समूह द्वारा संचालित तिरुवनंतपुरम हवाईअड्डा श्रीलंका में ईंधन संकट के कारण मई महीने के आखिर से ही श्रीलंकाई एवं पश्चिम एशियाई विमानों में ईंधन भराने के पड़ाव के रूप में काम कर रहा है। अब तक, इस हवाईअड्डे ने 90 विमानों की जिम्मेदारी संभाली है जिनमें सिडनी, मेलबर्न और पेरिस जाने वाली श्रीलंकन एयलाइंस की 55 उड़ानें शामिल थीं। श्रीलंका में केवल एयर एंबुलेंस और आपातकालीन डायवर्जन वाली उड़ानों के लिए एटीएफ उपलब्ध था। यह प्रतिबंध 13 जुलाई तक लागू रहेगा।
कोच्चि हवाई अड्डे ने 29 जून से ही 28 उड़ानों का प्रबंधन किया है जिनमें श्रीलंकन एयरलाइंस, एयर अरबिया, जजीरा एयरवेज और एयर एयरएशिया मलेशिया द्वारा संचालित उड़ानें शामिल हैं। कोच्चि हवाईअड्डा ऐसी और अधिक तकनीकी उड़ानों को आकर्षित करने के लिए विमानन कंपनियों पर लगाए जाने वाले लैंडिंग शुल्क पर 25 प्रतिशत की छूट की पेशकश कर रहा है। जुलाई में ही कोच्चि हवाई अड्डे ने तकनीकी लैंडिंग सुविधाओं का लाभ उठाना शुरू कर दिया था।
श्रीलंका में राजनीतिक उथल-पुथल बढ़ने के बावजूद देश के लिए बड़े पैमाने पर उड़ानें रद्द नहीं हुई हैं। अभी तक केवल फ्लाईदुबई ने अपनी कोलंबो उड़ान रद्द करने का फैसला किया है।  श्रीलंकन एयरलाइंस के प्रवक्ता ने शनिवार को कहा कि उसके कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया गया है। कोच्चि इंटरनैशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (सीआईएएल) के प्रवक्ता पी एस जयन ने कहा कि एतिहाद एयरवेज ने 15 जुलाई से अपनी कोलंबो-अबुधाबी उड़ान के लिए ईंधन भरने के लिए हवाईअड्डे से संपर्क किया है।
सीआईएएल के प्रबंध निदेशक एस सुहास ने कहा कि प्रबंधन ने त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए हालात के अनुकूल अपनी क्षमता के चलते विदेशी विमानों को ईंधन उपलब्ध कराने में मदद की है। चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों के दौरान भारत की एटीएफ बिक्री 86 प्रतिशत बढ़कर 17.42 लाख टन हो गई जबकि 2021-22 की अप्रैल से जून की अवधि के दौरान यह 9.3 लाख टन थी।

First Published : July 10, 2022 | 11:38 PM IST