वित्त वर्ष 22 में भारत का चौथा बड़ा निर्यात केंद्र बन सकता है बांग्लादेश

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 10:33 PM IST

वित्त वर्ष 2022 में बांग्लादेश भारत का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक गंतव्य बन सकता है। ऐसा होने पर वह दो वर्षों में पांच स्थानों का छलांग लगाएगा। पड़ोसी देश बांग्लादेश में जारी आर्थिक प्रगति के कारण भारत से निर्यात को बढ़ावा मिल रहा है।
अक्टूबर तक के उपलब्ध अलग अलग आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2022 के पहले सात महीनों के दौरान बांग्लादेश को किया जाने वाला निर्यात पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 81 फीसदी बढ़कर 7.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इसके कारण बांग्लादेश अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात और चीन के बाद चौथा भारत का सबसे बड़ा निर्यातक बाजार बन गया है। यदि यह रुझान जारी रहता है तो बांग्लादेश भारत के निर्यात प्रोफाइल में अपने रैंक को और बेहतर करेगा। इसने वित्त वर्ष 2020 के नौंवे स्थान से छलांग लगाकर पिछले वर्ष पांचवे स्थान पर आकर विश्लेषकों को चकित कर दिया था। दक्षिण एशिया में बांग्लादेश पिछले एक दशक में अभूतपूर्व बदलाव के साथ एक आर्थिक चमत्कार के तौर पर उभरा है और प्रति व्यक्ति आय के संदर्भ में यह भारत को भी पीछे छोड़ सकता है।
बांग्लादेश की प्रगति की जड़ें मोटे तौर पर कपड़ों के सफल निर्यातक के तौर पर इसके स्थापित होने में है। इसके कुल निर्यात में कपड़ों की हिस्सेदारी 80 फीसदी है। बांग्लादेश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में विदेश से भेजे जाने वाले धन की हिस्सेदारी 6 फीसदी से अधिक है। भारत से बांग्लादेश को अप्रैल से अक्टूबर 2021 के दौरान निर्यात किए जाने वाले प्रमुख वस्तुओं में 2.1 अरब डॉलर का कपास, 1.3 अरब डॉलर का अनाज, 0.6 अरब डॉलर की बिजली और ईंधन, 0.5 अरब डॉलर के वाहन पुर्जे और 0.4 अरब डॉलर की मशीनरी और मैकेनिकल उपकरण शामिल हैं।
भारत और बांग्लादेश फिलहाल एक द्विपक्षीय व्यापक आर्थिक साझेदारी मसझौता (सीईपीए) में शामिल होने की संभावनाओं पर संयुक्त रूप से अध्ययन कर रहे हैं।     
दोनों देशों के मध्य व्यापार और आर्थिक गठजोड़ को बढ़ावा देने के लिए शीघ्र ही भारत-बांग्लादेश सीईओ फोरम की बैठक होने वाली है। इस फोरम की शुरुआत दिसंबर 2020 में व्यापार और निवेश के विभिन्न क्षेत्रों में नीति स्तरीय विचार देने और कारोबारी समुदायों के मध्य लेनदेन की सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से की गई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के बीच आभासी शिखर बैठक के बाद जारी किए गए संयुक्त वक्तव्य में दोनों पक्षों ने गैर-टैरिफ रुकावटों और व्यापार सुविधा के मुद्दों के समाधान की जरूरत पर बल दिया था। इनमें बंदरगाह प्रतिबंध, प्रक्रियात्मक बाधाएं और क्वारंटीन प्रतिबंध शामिल हैं।
संयुक्त वक्तव्य में कहा गया, ‘बांग्लादेश की ओर से अनुरोध किया गया कि चूंकि भारत से आवश्यक जिंसों का निर्यात उसके घरेलू बाजार को प्रभावित करने वाला एक अहम कारक है। ऐसे में भारत की निर्यात-आयात नीति में किसी भी प्रकार के संशोधन के बारे में उसे पहले से सूचित कर दिया जाए। भारत ने इस अनुरोध पर ध्यान दिया।’ वित्त वर्ष 2021 में बांग्लादेश ने 3.5 फीसदी की वृद्घि दर हासिल कर खुद को आर्थिक सुस्ती से बचा लिया जबकि भारत की अर्थव्यवस्था में उस दौरान 7.3 फीसदी का संकुचन आया था। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के मुताबिक बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2022 में 5.5 फीसदी और वित्त वर्ष 2023 में 6.8 फीसदी बढऩे के आसार हैं। सितंबर में जारी अपने एशियन डेवलपमेंट आउटलूक में एडीबी ने कहा था कि वित्त वर्ष 2021 में पेट्रोलियम को छोड़कर बांग्लादेश के समग्र आयातों में 14.5 फीसदी की वृद्घि हुई।  

First Published : December 29, 2021 | 12:18 AM IST