बाइडन के चुने जाने से बढ़ेगा द्विपक्षीय कारोबार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 14, 2022 | 9:33 PM IST

डेमोक्रेट जो बाइडन अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के लिए बहुमत के नजदीक पहुंच गए हैं। इससे भारत-अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार सुधरने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के लिए शुल्क मुक्त निर्यात की योजना को बहाल करना मुश्किल होगा, लेकिन एच1बी वीजा नियमों पर नरम रुख और विश्व व्याार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में सुधार एवं बहाली की संभावना है। विशेषज्ञों का कहना है कि बाइडन ईरान को लेकर रुख नरम कर सकते हैं। इसका मतलब है कि भारत फिर से ईरान से तेल खरीदारी शुरू कर पाएगा। इसके अलावा डेमोक्रेटिक पार्टी का चीन को लेकर रुख पहले के समान बना रहने की संभावना है, इसलिए वैश्विक आपूर्ति शृंखला के लिहाज से भारत लाभ की स्थिति में बना रहेगा। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस के महानिदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अजय सहाय ने कहा, ‘बाइडन के सत्ता में आने से कारोबारी स्तर पर कुछ संभावनाएं हैं।’
बाइडन प्रशासन में सीमित व्यापार सौदे की बातचीत मुश्किल रह सकती है, लेकिन वह शुल्क मुक्त निर्यात योजना को बहाल करने के लिए बातचीत कर सकता है। इस योजना का नाम जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रिफरेंस (जीएसपी) है।
ट्रंप प्रशासन ने वर्ष 2019 में जीएसपी सूची से भारत को बाहर कर दिया था। इसके तहत भारत 2,000 से अधिक उत्पादों का अमेरिका को शुल्क मुक्त निर्यात करता था। इन उत्पादों में कपड़ा, वाहन आदि शामिल हैं। भारत इस योजना के सबसे बड़े लाभार्थियों में से एक था। भारत हर साल अमेरिका को छह अरब डॉलर के उत्पादों का शुल्क मुक्त निर्यात कर रहा था।
डब्ल्यूटीओ में भारत के पूर्व राजदूत जयंत दासगुप्ता ने कहा, ‘इस बात की संभावना है कि अगर बाइडन प्रशासन सत्ता में आता है तो वह भारत को जीएसपी में फिर से शामिल करने को लेकर बातचीत करेगा।’ उन्होंने कहा कि अगर डेमोके्रटिक पार्टी सत्ता में आती है तो इस बात की प्रबल संभावना है कि अमेरिकी नीति में बहुत कम बदलाव आएगा और इसका लंबी अवधि के लक्ष्यों पर जोर बना रहेगा। ट्रंप के सत्ता से बाहर होने का यह भी मतलब है कि डब्ल्यूटीओ जैसे बहुराष्ट्रीय संस्थानों को नया जीवन मिलेगा, जिससे भारत को लंबित व्यापार विवादों को निपटाने में मदद मिलेगी। दासगुप्ता ने कहा, ‘इस बात की संभावना है कि अमेरिका डब्ल्यूटीओ की मेज पर लौटेगा ताकि इस बहुराष्ट्रीय संस्थान में सुधार लाया जा सके। इस समय अपीलीय निकाय लगभग गायब है। खुद अमेरिका के खिलाफ बहुत से मामले लंबित हैं। इसमें बदलाव आ सकता है।’ उन्होंने कहा कि अमेरिका ने बीते कुछ वर्षों में भारतीय इस्पात एवं एल्युमीनियम पर शुल्क बढ़ाए हैं। अमेरिका ने चीन, ब्राजील और अन्य बहुत से देशों से आयातित अलॉय एवं धातुओं पर भी शुल्क बढ़ाए हैं। दासगुप्ता ने कहा, ‘ये मामले डब्ल्यूटीओ में लंबित हैं, जो समाप्त हो सकते हैं। इससे भारत को फायदा मिल सकता है।’
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर विश्वजीत धर इस बात से सहमत हैं। वह कहते हैं, ‘ट्रंप बहुराष्ट्रीय संस्थानों को विखंडित कर रहे थे। अब इसमें बदलाव आ सकता है। डेमोक्रेट्स इन संस्थानों को मदद के पुराने तरीकों पर टिके रह सकते हैं।’
अमेरिका के साथ भारत का व्यापार अधिशेष ट्रंप के शासनकाल में लगातार घट रहा था। अमेरिका भारत पर अपने यहां से आयातित मोटरसाइकिलों, दवा और चिकित्सा उपकरणों पर शुल्क घटाने का दबाव बना रहा है। यह व्यापार अधिशेष 21.1 अरब डॉलर से घटकर 18.6 अरब डॉलर पर आ गया है। भारत को हार्ली-डेविडसन जैसी आयातित मोटरसाइकिल पर सीमा शुल्क करीब आधा घटाना पड़ा क्योंकि ट्रंप ने इसे ‘अनुचित’ करार दिया था। डेमोक्रेटिक पार्टी की सत्ता में वापसी से भारतीय कुशल कर्मचारियों को वीजा नियमों के स्तर पर राहत मिल सकती है। सहाय ने कहा, ‘अगर आप डेमोक्रेट्स के घोषणापत्र को देखें तो उन्होंने एच1बी नीति को जारी रखने की बात कही है।’
ट्रंप प्रशासन ने वीजा के लिए कंप्यूटरीकृत लॉटरी प्रणाली की जगह न्यूनतम वेतन प्रणाली लागू करने का प्रस्ताव रखा था। ट्रंप प्रशासन ने जो नए एच1बी नियम लागू किए हैं, उनमें संगठनों के लिए एच1बी वीजा धारकों के लिए न्यूनतम वेतन कम से कम 40 फीसदी बढ़ाने को अनिवार्य बनाया गया है। इससे कंपनियां एच1बी वीजा धारकों की नियुक्ति को लेकर हतोत्साहित हो रही हैं। इसके बजाय वे स्थानीय कर्मचारियों की नियुक्तियां कर रही हैं। ट्रंप प्रशासन ने जून में इस साल के अंत तक नए आप्रवास वीजा जारी करने पर रोक लगा दी थी।

First Published : November 7, 2020 | 12:32 AM IST