संभलकर बनाने होंगे व्यापारिक संबंध

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 11:33 PM IST

भारत इस समय ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, क्षेत्रीय गठजोड़ों और यूरोपीय संघ जैसे विकसित देशों के साथ व्यापाार समझौतों को मजबूत करने की ओर अग्रसर है। ऐसे में भारत को डेटा संरक्षण नियम, ई-कॉमर्स और पर्यावरण जैसे नई पीढ़ी के मसलों को लेकर बातचीत के लिए पूरी तरह तैयार रहना होगा।
भारत को अभी अपने कारोबारी साझेदारों से समझौतों को लेकर इन मसलों पर बातचीत करना है। अब तक मुख्य रूप से लगने वाले शुल्कों व गैर शुल्क बाधाओं और मूल संबंधी नियम को लेकर ही बातचीत होती थी।
नैशनल यूनिवर्सिटी आफ सिंगापुर के इंस्टीट्यूट आफ साउथ एशियन स्टडी के सीनियर रिसर्ज फेलो अमितेंदु पालित ने कहा, ‘अब हम व्यापार को सिर्फ व्यापार के रूप में नहीं देख सकते। हमें इसे वैश्विक और क्षेत्रीय स्थितियों की समग्रता में देखना होगा। आज अंतराष्ट्रीय व्यापार को तमाम मसलों जैसे निवेश, स्वच्छ ऊर्जा, डिजिटलीकरण, लोगों की आवाजाही, बौद्धिक संपदा और तकनीक आदि को शामिल कर समग्रता में देखने की जरूरत है।’  
उन्होंने कहा कि यही मसले हैं, जहां मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर बातचीत में भारत को चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। पालित ने कहा, ‘आज के एफटीए, खासकर जिनसे भारत बात कर रहा है, पहले की तुलना में बहुत थकाऊ और जटिल होंगे।’ इसे विस्तार देते हुए उन्होंने कहा कि बगैर किसी सतत व्यापार गतिविधि या स्वच्छ ऊर्जा गतिविधि के, ज्यादातर व्यापार समझौते (विकसित देशों से) संभव नहीं होंगे। उन्होंने यूरोपीय संघ का उदाहरण देते हुए कहा कि यह एफटीए 21वीं सदी का खाका है। पाटिल ने कहा कि इस खाके में पर्यावरण, श्रम, सार्वजनिक उद्यमों के प्रतिस्पर्धा नीति नियम के साथ अन्य चीजें शामिल होंगी। इसी तरह से ऑस्ट्रेलिया भारत में निवेश करने वालों के लिए डेटा संरक्षण की मांग कर सकता है और ब्रिटेन घरेलू कानून बाजार खोलने की मांग कर सकता है।
उन्होंने आगे कहा, ‘मसला यह है कि क्या इन मसलों बातचीत के लिए भारत तैयार है, खासकर एक नियत समय सीमा में, जिसमें व्यापार समझौते होने हैं।’ पिछले दशक में या उसके पहले भारत ने सिंगापुर, थाईलैंड, जापान, ट्रेड ब्लॉकों जैसे आसियान के अलावा अन्य के साथ व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। बहरहाल अब बदलाव नजर आ रहा है।
भारत कुछ समय से पश्चिम की ओर देख रहा है, लेकिन अब तक कोई भी समझौता नहीं हो सका। अब भारत इन देशों के साथ रणनीतिक और आर्थिक संबंध मजबूत करने की ओर बढ़ रहा है।
भारत ने अपने प्रमुख व्यापारिक साझेदारों ब्रिटेन, ईयू और संयुक्त अरब अमीरात, ऑस्टे्रलिया से एफटीए पर बातचीत तेज की है। देशों ने महत्त्वाकांक्षी अंतिम तिथि रखी है, जिससे जल्द फायदा देने वाला समझौता हो सके। ऑस्ट्रेलिया, यूएई, ब्रिटेन के साथ अगले महीने तक शुरुआती व्यापार समझौता होने वाला है, जिसका मसौदा सावधानीपूर्वक बनाने की जरूरत है।
इंडियन काउंसिल फार रिसर्च आन इंटरनैशनल इकोनॉमिक रिलेशंस (इक्रियर) में प्रोफेसर अर्पिता मुखर्जी ने कहा कि तात्कालिक प्राथमिकता शुल्क कम करने पर होना चाहिए, जो भारत के अनुकूल हो। मुखर्जी ने कहा कि आगे का लक्ष्य जटिल है, ऐसे में देशों को शुरुआती समझौतों को जटिल नहीं बनाना चाहिए।
समझौतों से भारतीय उत्पादों की बाजार पहुंच बढ़ेगी : गोयल
ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) सहित विभिन्न देशों के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के लिए बातचीत काफी तेजी से आगे बढ़ रही है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि विभिन्न देशों के साथ एफटीए के क्रियान्वयन से घरेलू उत्पादों को अधिक बाजार पहुंच उपलब्ध होगी। मुक्त व्यापार करार के तहत दो व्यापारिक भागीदार देश द्विपक्षीय व्यापार वाले विभिन्न उत्पादों पर सीमा शुल्क को या तो पूरी तरह समाप्त कर देते हैं या उनमें कमी करते हैं। गोयल ने लखनऊ में आयोजित वैश्य सम्मान सम्मेलन में कहा कि इन करारों के लिए बातचीत चल रही है।  जीसीसी में बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और यूएई शामिल है।     भाषा

First Published : November 14, 2021 | 11:07 PM IST