चीन की सभी कंपनियों का एकीकृत बाजार पूंजीकरण पांच साल बाद आज एक बार फिर 10 लाख करोड़ डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। वर्तमान में चीन और भारत के बाजार पूंजीकरण में 4.8 गुना का अंतर हो गया है। अलीबाबा समर्थित ऐंट फाइनैंशियल के सूचीबद्घ होने के बाद यह अंतर और भी बढ़ सकता है।
यह जानकर आश्चर्य होगा कि 2006 में भारत का बाजार पूंजीकरण चीन की तुलना में दोगुना था। ब्लूमबर्ग के मई, 2006 के आंकड़ों के आधार पर उस समय चीन का बााजर पूंजीकरण महज 407 अरब डॉलर था जो भारत के बाजार पूंजीकरण 745 अरब डॉलर की तुलना में 45 फीसदी था।
लेकिन अगले दशक में चीन में लंबी छलांग लगाई और 2015 में उसका बाजार पूंजीकरण 25 गुना बढ़कर 10 अरब डॉलर तक पहुंच गया। दूसरी ओर इस दौरान भारत का बाजार पूंजीकरण दोगुना होकर 1,500 अरब डॉलर तक पहुंचा।
विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार 2006 में चीन की अर्थव्यवस्था 2.75 लाख करोड़ डॉलर हो गई जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था 940 अरब डॉलर थी। लेकिन चीन में जीडीपी और बाजार पूंजीकरण का अनुपात महज 17 फीसदी था और भारत में जीडीपी-बाजार पूंजीकरण का अनुपात 82 फीसदी था।
डाल्टन कैपिटल इंडिया के निदेशक यूआर भट ने कहा, ‘चीन की कंपनियां पहले भी बड़ी थीं लेकिन अधिकांश कंपनियां सूचीबद्घ नहीं थीं। यहां की कंपनियां काफी देरी से वैश्विक बाजार से पूंजी जुटानी शुरू की।’
वर्तमान में चीन की कंपनियां न केवल बाजार पूंजीकरण के लिहाज से बल्कि आय और मुनाफे में भी काफी आगे है।
आईआईएफएल में उपाध्यक्ष (शोध) अभिमन्यु सोफत ने कहा, ‘चीन हर मामले में भारत से आगे निकल गया है। वैश्विक निर्यात में तेल की हिस्सेदारी कम हो गई हो गई है और औद्योगिक वस्तुओं के निर्यात ने इसकी जगह ले ली है। भारत औद्योगिक वस्तुओं के निर्यात में कमजोर रहा है। इन वस्तुओं के निर्यात के मामले में हम हरेक खंड में चीन से पीछे चल रहे हैं। बुनियादी ढांचा क्षेत्र में भी चीन ने जितनी प्रगति की है भारत उसकी तुलना में कहीं नहीं ठहरता है।’
चीन की जबरदस्त आर्थिक वृद्धि में इसकी तकनीकी कंपनियों की अहम भूमिका रही है। अलीबाबा, टेनसेंट और ऐंट फाइनैंशियल जैसी चीन की कुछ शीर्ष कंपनियां भारत के तकनीक क्षेत्र पर भारी पड़ सकती हैं।
इस समय चीन जीडीपी और बाजार पूंजीकरण दोनों के लिहाज से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के बाजार पूंजीकरण में और बढ़ोतरी की खासी संभावनाएं हैं। इस समय इसका बाजार पूंजीकरण और जीडीपी अनुपात वैश्विक औसत
80 प्रतिशत के मुकाबले केवल 50 प्रतिशत ही है। इस मामले में भारत का अनुपात 77 प्रतिशत है।