ब्रिक्स देशों के 14वें शिखर सम्मेलन में जारी घोषणापत्र में कहा गया, ‘हम सभी राष्ट्रों की क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता का सम्मान करने की प्रतिबद्धता जताते हैं, मतभेदों तथा विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की प्रतिबद्धता पर बल देते हैं। ब्रिक्स देश रूस और यूक्रेन के बीच बातचीत का समर्थन करते हैं।’ घोषणापत्र में कहा गया, ‘हम अफगानिस्तान की संप्रभुता, स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर जोर देते हुए एक शांतिपूर्ण, सुरक्षित और स्थिर अफगानिस्तान का पुरजोर समर्थन करते हैं। अफगान की जमीन का उपयोग किसी देश को धमकाने और हमले के लिए अथवा आतंकवादियों के प्रशिक्षण तथा पनाहगाह के वास्ते नहीं किया जाना चाहिए।’
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के बारे में ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) का नजरिया काफी समान है, इसलिए सभी के बीच आपसी सहयोग कोविड-19 के नुकसान से उबरने में उपयोगी योगदान दे सकता है। ब्रिक्स देशों के 14वें शिखर सम्मेलन को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि हालांकि वैश्विक स्तर पर महामारी का प्रकोप पहले की तुलना में कम हुआ है लेकिन इसके अनेक दुष्प्रभाव अब भी वैश्विक अर्थव्यवस्था में दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘वैश्विक अर्थव्यवस्था के बारे में हम ब्रिक्स सदस्य देशों का नजरिया काफी समान रहा है और इसलिए हमारा आपसी सहयोग ‘पोस्ट कोविड रिकवरी’ में उपयोगी योगदान दे सकता है।’
मोदी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में ब्रिक्स में कई संस्थागत सुधार हुए हैं जिनसे इस संगठन की प्रभावशीलता बढ़ी है। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि ‘न्यू डेवलपमेंट बैंक’ की सदस्यता में भी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, ‘ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां हमारे आपसी सहयोग से हमारे नागरिकों के जीवन को सीधा लाभ मिल रहा है।’
इस कड़ी में प्रधानमंत्री ने टीकों को लेकर शोध एवं विकास केंद्र की स्थापना, सीमा शुल्क विभागों के बीच समन्वय, साझा ‘सैटेलाइट कंसल्टेशन’ की व्यवस्था और फार्मा उत्पादों का पारंपरिक नियमितीकरण जैसे कदमों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ‘इस तरह के व्यावहारिक कदम ब्रिक्स को एक अनूठा अंतरराष्ट्रीय संगठन बनाते हैं, जिसका फोकस सिर्फ बातचीत तक सीमित नहीं है।’
डब्ल्यूएचओ ने बैठक बुलाई
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने गुरुवार को अपनी आपात समिति की बैठक बुलाई है ताकि यह विचार किया जा सके कि क्या मंकीपॉक्स के बढ़ते प्रकोप को वैश्विक आपातकाल घोषित किया जाना चाहिए। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिम में बीमारी फैलने के बाद ही डब्ल्यूएचओ ने कार्रवाई करने का मन बनाया है। मंकीपॉक्स को वैश्विक आपातकाल घोषित करने का मतलब होगा कि संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी इस प्रकोप को एक ‘असाधारण घटना’ मानती है तथा इस बीमारी के और भी अधिक सीमाओं में फैलने का खतरा है। यह कोविड-19 महामारी और पोलियो उन्मूलन के लिए जारी प्रयासों की तरह ही मंकीपॉक्स को लेकर भी कार्रवाई करेगी। पिछले हफ्ते, डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम ब्रेयसस ने कहा था कि हाल में 40 से अधिक देशों, ज्यादातर यूरोप में सामने आई बीमारी मंकीपॉक्स ‘असामान्य और चिंताजनक’ है। मंकीपॉक्स से मध्य और पश्चिम अफ्रीका में दशकों से लोग बीमार होते रहे हैं जहां बीमारी के एक स्वरूप से 10 प्रतिशत रोगियों की मौत हो जाती है। अफ्रीका से परे इस बीमारी से अब तक किसी की मौत की सूचना नहीं है।