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एक प्रमुख भारतीय अमेरिकी समुदाय के सदस्य का कहना है कि भारत में आम चुनावों के बीच पश्चिमी देशों में भारतीय लोकतंत्र के बारे में भ्रामक सूचनाएं फैलाने के साथ झूठी कहानी गढ़ी जा रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि औपनिवेशिक मानसिकता वाले कुछ लोगों की आलोचना से भारत को रोका नहीं जा सकता।
शिकागो में रहने वाले डॉ. भरत बराई ने अमेरिका सहित पश्चिमी देशों की मीडिया में कई समाचार लेखों और टिप्पणियों में भारत में लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की आजादी और मानवाधिकारों को लेकर उठाए जा रहे सवालों के संदर्भ में कहा, ”जरा सोचिये। लोग (भारत में रहने वाले) नरेन्द्र मोदी और अन्य बहुत से लोगों को बुरा-भला कह रहे हैं। अगर लोकतंत्र नहीं होता या फिर तानाशाही होती तो क्या वह ऐसा कर पाते?”
अग्रणी कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. बराई ने भारतीय लोकतंत्र की आलोचना के सवाल पर कहा कि चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से गुजरा है और भारत में करीब 66 फीसदी लोग अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर चुके हैं। उन्हेंने सवाल किया कि आप कैसे कह सकते हैं लोकतंत्र काम नहीं कर रहा।
उन्होंने कहा कि लोगों का एक वर्ग भारत के बारे में भ्रामक सूचनाएं फैला रहा है और झूठी कहानी गढ़ रहा है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ”मुझे लगता है कि यह पूर्ण रूप से गलत सूचना है, पूरी तरह से गलत कहानी है, चाहे यह जानबूझकर किया गया हो या फिर कम जानकारी या गलत सूचना के कारण।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत में लोकतंत्र बेहद जीवंत है। डॉ. बराई ने ने रविवार को एक साक्षात्कार में कहा, ”मुझे लगता है कि पश्चिमी देशों में कुछ लोग ऐसे हैं जिनकी अब भी औपनिवेशिक मानसिकता है। उन्हें अब भी लगता है कि वह दुनिया के बेताज बादशाह हैं। वे उन लोगों में से एक हैं, जो दुनिया के दूसरे देशों में क्या चल रहा है उसपर अपनी राय रखते हैं और वे अपने आप को अयातुल्ला (महत्वपूर्ण नेता) समझते हैं, जिनकी राय अंतिम होगी।”
उन्होंने कहा, ”लेकिन यह बदला हुआ भारत है। भारत ने पिछले 10 वर्षों में बहुत प्रगति की है। यह दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। सेना की ताकत भी बढ़ी है। भारत अभी वास्तव में गुटनिरपेक्ष बना हुआ है।”
डॉ. बराई ने कहा, ”भारत की अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी के साथ दोस्ती है, रूस भी उसका दोस्त है। इसलिए इस तरह की आलोचना से भारत को रोका नहीं जा सकता।”
उन्होंने कहा, ”सौभाग्य से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास इस तरह की सभी अनावश्यक चीजों से बचने के लिए काफी आत्मविश्वास और दमदार व्यक्तित्व है।”
डॉ. भरत बराई ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर उन सिख अलगाववादियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए निशाना साधा, जो ‘भारत के भीतर और भारतीय नेताओं के खिलाफ हिंसा की खुलकर षड्यंत्र रचते हैं और हिंसा का समर्थन करते हैं।
उन्होंने कहा, ”पन्नू (गुरपतवंत सिंह) जैसे कुछ लोग हैं, जो खुलेआम धमकी देते हैं कि वे बम रखकर विमान को उड़ा देंगे…. हिंदुओं को कनाडा से बाहर निकाल देंगे। उन्हें कुछ नहीं होता। यह कैसी कानून-व्यवस्था है जिसके बारे में ट्रूडो बात कर रहे हैं जबकि एक भी व्यक्ति गिरफ्तार नहीं हुआ है।” उन्होंने कहा, ”खालिस्तान की समस्या सिर्फ और सिर्फ कनाडा में और हो सकता है कि थोड़ी बहुत अमेरिका में है।’’
डॉ. बराई ने कहा, ”अगर अमेरिकी सरकार उन्हें जमीन का एक टुकड़ा देना चाहती है तो उन्हें खुश रहने दीजिये। आखिरकार वे (खालिस्तानी समर्थक) विदेशी नागरिक हैं। वे या तो अमेरिकी नागरिक हैं या फिर कनाडाई हैं। भारत में क्या हो रहा है, उसमें हस्तक्षेप करने का उनके पास क्या अधिकार है?”
उन्होंने कहा, ” अगर वे अपने लिए अलग जमीन चाहते हैं तो ट्रूडो को उन्हें दे देनी चाहिए। अगर अमेरिका सोचता है कि यह एक अच्छा विचार है (तो उन्हें ऐसा करने दीजिए)… हम अब्राहम लिंकन स्मारक (वाशिंगटन डीसी)के सामने खड़े हैं। जब दक्षिण (अमेरिका) अलग होना चाहता था तो उन्होंने क्या किया? हमने गृह युद्ध देखा है। वाशिंगटन डीसी में उन्हें (लिंकन को) राष्ट्रपिता माना जाता है।”
डॉ. बराई ने कहा, ”यह (खालिस्तान) भारत की समस्या नहीं है। भारतीय सिखों का इससे कोई लेना-देना नहीं है। यह विदेशों में जन्में या विदेशों में रह रहे सिखों के एक छोटे से हिस्से की समस्या है।”