भारत और चीन की सेनाओं ने मंगलवार को लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के नजदीक चुशुल के पास सोमवार की देर शाम झड़प के दौरान एक-दूसरे पर गोलीबारी शुरू करने का आरोप लगाया है।
यह झड़प चुशुल क्षेत्र में ही मौजूद हेलमेट टॉप पहाड़ी से कुछ किलोमीटर दक्षिण में हुई। हेलमेट टॉप एक महत्त्वपूर्ण चोटी है जिसे भारत ने 30 अगस्त को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) यानी चीन की सेना को अवैध रूप से इसे जब्त करने से रोकने के लिए कब्जा कर लिया था। उस कार्रवाई में स्पेशल फ्रंटियर फोर्स के एक भारतीय जवान की मौत हो गई थी और दूसरा गंभीर रूप से घायल हो गया था। सूत्रों का कहना है कि सोमवार की घटना उस समय शुरू हुई जब चीन के सैनिकों ने भारतीय सैनिकों की तरफ धमकी देते हुए आगे बढ़ते हुए गोलीबारी करनी शुरू कर दी। जब पीएलए ने गोलीबारी रोके जाने की चेतावनी से इनकार कर दिया तब भारतीय सैनिकों ने हवा में गोलियां चलाईं।
सूत्रों का कहना है कि गोली लगने से कोई घायल नहीं हुआ क्योंकि दोनों तरफ के सैनिकों ने हवा में गोली चलाई थी। हालांकि इसके बाद हुई आक्रामक हाथापाई में दोनों तरफ के सैनिकों को चोटें आई थीं। 45 साल में यह पहला मौका था जब एलएसी पर गोलीबारी की गई। आखिरी बार अक्टूबर 1975 में गोलीबारी हुई थी जब चीन ने घात लगाकर हमला किया था जिसमें तवांग के पास एलएसी पर असम राइफल्स के चार जवान शहीद हो गए थे।
मंगलवार को एक बयान में भारतीय सेना ने कहा, ‘पीएलए के सैनिक एलएसी के पास हमारी फॉरवर्ड पोजिशन के करीब आने की कोशिश कर रहे थे और जब उनके ही सैनिकों ने ऐसा न करने के लिए समझाया तब पीएलए के सैनिकों ने अपने ही सैनिकों को डराने की कोशिश में हवा में कुछ राउंड गोलियां चलाईं।’
हालांकि पीएलए यानी चीन की सेना ने इन घटनाओं का बिल्कुल अलग ही संस्करण पेश किया जब इसके वेस्टर्न थियेटर कमान के प्रवक्ता कर्नल चांग शुइली ने भारतीय सेना पर लद्दाख में ‘अवैध रूप से वास्तविक नियंत्रण रेखा को फिर से पार करने’ का आरोप लगाया था।
चीन के प्रवक्ता ने कहा, ‘अभियान के दौरान भारतीय सेना ने चीन के सीमा पर गश्ती लगाने वाले सैनिकों को स्पष्ट रूप से धमकियां दी। चीन के सीमा प्रहरियों को जमीनी स्थिति को संतुलित करने के लिए जवाबी कदम उठाने के लिए मजबूर किया गया।’ उन्होंने इसे बेहद खराब तरीके की उकसाने वाली गंभीर कार्रवाई बताते हुए कहा, ‘हमने भारतीय पक्ष से आग्रह किया है कि वे खतरनाक कार्रवाइयों को तुरंत रोके और एलएसी पार कर चुके सैनिकों को वापस बुलाएं। अग्रिम पंक्ति के सैनिकों को सख्त तरीके से नियंत्रित करे और उन सैन्यकर्मियों की कड़ाई से जांच करे और दंडित करें जिन्होंने गोलियां चलाईं ताकि ऐसी घटनाएं फिर से न हों।’
चीन के इन आरोपों को जोरदार तरीके से खारिज करते हुए भारतीय सेना ने कहा, ‘किसी भी स्तर पर भारतीय सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा को पार कर सीमा का अतिक्रमण नहीं किया है, ना ही गोलीबारी सहित किसी भी आक्रामक तरीकों का सहारा लिया गया है। पीएलए ही सीमा से जुड़े समझौतों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन कर रहा है और आक्रामक दांव-पेच वाली युक्ति लगा रहा है।’
भारतीय सेना ने कहा, ‘वेस्टर्न थिएटर कमान का बयान अपने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दर्शकों को गुमराह करने की कोशिश है।’ एक स्पष्ट चेतावनी देते हुए इसने आगे कहा, ‘भारतीय सेना शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि यह हर कीमत पर राष्ट्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए दृढ़प्रतिज्ञ है।’ शुक्रवार को मॉस्को में भारत और चीन के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और जनरल वेई फेंगे की मुलाकात के ठीक तीन दिन बाद यह झड़प हुई। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों एस जयशंकर और वांग यी की भी मॉस्को में मुलाकात होने वाली है जिससे पहले यह विवाद बढ़ा है। यहां तक कि दोनों पक्षों के ब्रिगेड कमांडर चुशुल-मोल्दो में नियमित बैठकें कर रहे हैं।
लद्दाख सेक्टर में कमान संभाल चुके एक सेवानिवृत्त भारतीय जनरल का कहना है कि इससे यह संकेत मिलता है कि जमीनी हालात कितने अस्थिर हैं। वह आगे कहते हैं, ‘यहां तक कि शीर्ष स्तर की राजनीतिक वचनबद्धता भी हिंसा के शुरू होने से रोकने के लिए अपर्याप्त है। जब सैनिकों को आमने-सामने तैनात किया जाता है तब जमीनी हालात में किसी भी तनाव बढ़ सकता है।’