ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के इस्तीफे के कारण भारत के महत्त्वाकांक्षी मुक्त व्यापार समझौते के लिए तय वार्ता दीवाली की समयसीमा के पार जा सकती है। ब्रिटेन में चल रही राजनीतिक खलबली निश्चित ही चल रही व्यापार वार्ता में रुकावट ला सकती है। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि दोनों देशों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध के चलते इस व्यापार वार्ता में कोई बाधा नहीं आएगी। लगातार विवादों में रहने और अपनी खुद की कैबिनेट द्वारा भारी विद्रोह का सामना करने के कारण प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा।
यूके-इंडिया व्यापार परिषद के पूर्व मुख्य कार्याधिकारी जयंत कृष्ण ने कहा कि जॉनसन का इस्तीफा व्यापार वार्ता के लिए बाधा बनेगा क्योंकि वह खुद दोनों देशों में गहरे संबंध बनाने के लिए सबसे आगे खड़े थे। जैसा कि देश में राजनीतिक नेतृत्व में बदलाव हो रहा है, आने वाला नेता नया व्यापार मंत्री नियुक्त करेगा जिससे बातचीत में बदलाव आ सकता है।
ब्रेक्सिट से बाहर निकलने के बाद अपनी अर्थव्यवस्था पर फिर से लौटने के लिए ब्रिटेन शीघ्र ही व्यापार समझौते को निपटाना चाहता था। दोनों देशों के बीच अधिकारियों के बीच पांचवें चरण की बैठक इसी महीने नई दिल्ली में होने वाली थी। व्यापार समझौता जनवरी में शुरू हुआ था।
जून के चौथे चरण की बैठक के बाद, ब्रिटेन के अंतरराष्ट्रीय व्यापार विभाग ने एक बयान में कहा था कि समझौते को विस्तृत प्रारूप दिया गया। दोनों तरफ से तकनीकी विशेषज्ञों ने 71 अलग सत्र में एक साथ बैठकर 20 नीतियों पर चर्चा की। संधि में शामिल तकनीकी अधिकारियों ने हाइब्रिड विधि से, कुछ ने लंदन की बैठक में जाकर हिस्सा लिया, वहीं कुछ ने ऑनलाइन बैठक में भाग लिया।
यूरोपियन सेंटर फॉर इंटरनैशनल पॉलिटिकल इकनॉमी में ब्रिटेन के निदेशक डेविड हेनिग ने ट्वीट कर बताया कि आने वाला प्रधानमंत्री शायद दोनों देशों के बीच हुए समझौते पर फिर से विचार कर सकता है और अगर कोई समझौता जल्दबाजी में लिया गया है तो ब्रिटेन के व्यापार को होने वाले लाभ पर यह निर्भर करेगा कि यह व्यापार समझौता आगे बढ़ता है या नहीं।