अंतरराष्ट्रीय

G20 स्वास्थ्य मंत्रियों ने विकासशील देशों की किफायती दवाओं तक पहुंच पर दिया जोर

सदस्यों ने साक्ष्य-आधारित पारंपरिक और पूरक चिकित्सा (T&CM) की संभावित भूमिका को भी पहचाना और इस दिशा में WHO के प्रयासों पर ध्यान दिया

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भाषा   
Last Updated- August 28, 2023 | 11:10 PM IST

जी20 स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक में विशेष तौर पर कम एवं मध्यम आय वाले देशों एवं विकासशील देशों की सुरक्षित, गुणवत्तापूर्ण और किफायती टीके, उपचार, जांच एवं अन्य चिकित्सकीय उपायों तक समान पहुंच के साथ ही अधिक लचीले, न्यायसंगत और समावेशी स्वास्थ्य प्रणाली के निर्माण पर आम सहमति जतायी गई। परिणाम दस्तावेज़ में 25 पैरा शामिल हैं, जिन पर सभी जी20 प्रतिनिधिमंडलों द्वारा सर्वसम्मति से सहमति व्यक्त की गई, पैराग्राफ 22 को छोड़कर, जो अध्यक्ष के सारांश से संबंधित है और यूक्रेन में भू-राजनीतिक स्थिति पर केंद्रित है।

19 अगस्त को गांधीनगर में बैठक के बाद जारी परिणाम दस्तावेज़ के अनुसार, ओपन-सोर्स एवं अंतर-प्रचलित डिजिटल समाधान आसानी से उपलब्ध कराने के लिए एक मंच स्थापित करने के साथ ही टीकों, उपचार और जांच के लिए अनुसंधान एवं विकास और मैन्युफैक्चरिंग नेटवर्क स्थापित करने पर सहमति बनी।

स्वास्थ्य मंत्री मई 2024 तक महामारी रोकथाम की तैयारियों और प्रतिक्रिया पर कानूनी रूप से बाध्यकारी डब्ल्यूएचओ सम्मेलन, समझौते या अन्य अंतरराष्ट्रीय उपकरण के लिए अंतर-सरकारी वार्ता निकाय (INB) में चल रही बातचीत के सफल परिणाम के लिए भी आशान्वित हैं। सूत्रों ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रियों ने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के खिलाफ स्वास्थ्य प्रणालियों के लचीलेपन को बढ़ाने की आवश्यकता को पहचाना।

सूत्रों के अनुसार इसके साथ ही उन्होंने जलवायु के लिहाज से लचीले स्वास्थ्य प्रणालियों के विकास को प्राथमिकता देने, टिकाऊ एवं कम कार्बन/कम ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन स्वास्थ्य प्रणालियों और स्वास्थ्य देखभाल आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण के लिए प्रतिबद्धता जताई। जी20 सदस्यों ने बहु-क्षेत्रीय शासन, समन्वय, अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी), संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण (आईपीसी), जल, स्वच्छता और साफ-सफाई के बारे में जागरूकता में सुधार, रोगाणुरोधी के जिम्मेदार उपयोग को बढ़ावा देकर एएमआर (रोगाणुरोधी प्रतिरोध) से निपटने के लिए प्रतिबद्धता जतायी।

सूत्रों ने कहा कि सदस्यों ने साक्ष्य-आधारित पारंपरिक और पूरक चिकित्सा (टी एंड सीएम) की संभावित भूमिका को भी पहचाना और इस दिशा में डब्ल्यूएचओ के प्रयासों पर ध्यान दिया। उन्होंने सार्वजनिक स्वास्थ्य वितरण प्रणालियों में साक्ष्य-आधारित टी एंड सीएम प्रथाओं की क्षमता को स्वीकार किया, बशर्ते कि उन्हें डब्ल्यूएचओ टीएम रणनीति 2014-23 के अनुसार सुरक्षित और प्रभावी होने के लिए कठोरता से और वैज्ञानिक रूप से मान्य किया जाए, जिसे 2025 तक बढ़ाया गया है।

First Published : August 28, 2023 | 11:10 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)