विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं ने सदी के तकरीबन मध्य तक कार्बन न्यूट्रलिटी लक्ष्य तक पहुंचने का रविवार को वादा किया। उन्होंने दो दिवसीय सम्मेलन संपन्न करते हुए, स्कॉटलैंड के ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के लिए यहां जमीनी कार्य किया।
जी20 नेताओं के अंतिम वक्तव्य के मुताबिक वे कोयला चालित ताप विद्युत संयंत्रों के लिए सार्वजनिक वित्त पोषण खत्म करने को सहमत हुए, लेकिन घरेलू स्तर पर कोयले का उपभोग चरणबद्ध तरीके से खत्म करने के लिए कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया, जो शीर्ष कार्बन उत्सर्जकों- चीन और भारत के लिए एक स्पष्ट सहमति है।
कार्बन न्यूट्रेलिटी से तात्पर्य एक निर्धारित तिथि तक मानव जनित वार्षिक कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्सर्जन को शून्य के स्तर पर ले जाना है। जी20 देश, विश्व के ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के करीब तीन-चौथाई हिस्से के लिए जिम्मेदार हैं। वे बढ़ते तापमान के प्रभावों से निपटने में गरीब देशों की मदद करते हुए उत्सर्जन घटाने के उपायों पर ठोस प्रतिबद्धता के लिए साझा आधार तलाश रहे हैं।
इसके बिना ग्लासगो में व्यापक वार्षिक वार्ता की गति थम सकती है, जिसकी आधिकारिक शुरुआत रविवार को हुई और वहां विश्व भर के देशों का प्रतिनिधित्व रहेगा, जिनमें समुद्र जल के बढ़ते स्तर, मरूस्थलीकरण व अन्य प्रभावों का सामना कर रहे गरीब देश भी शामिल हैं।