पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी गतिरोध के बीच नवनियुक्त थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने रविवार को कहा कि वर्तमान और भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए सैन्य अभियान की अत्यंत उच्च स्तरीय तैयारी सुनिश्चित करना उनकी सबसे उच्च प्राथमिकता होगी। जनरल पांडे ने यह भी कहा कि वह थलसेना की अभियानगत और कार्यात्मक दक्षता को बढ़ाने के लिए जारी सुधारों, पुनर्गठन और परिवर्तन के प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं।
जनरल पांडे थलसेना प्रमुख का पदभार संभालने के एक दिन बाद साउथ ब्लॉक के लॉन में औपचारिक ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिए जाने के बाद मीडिया से बात कर रहे थे। इस समारोह में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी और नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार भी मौजूद थे। जनरल पांडे ने कहा कि वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति तेजी से बदल रही है, ‘जिसके परिणामस्वरूप हमारे सामने कई चुनौतियां हैं।’ नवनियुक्त सेना प्रमुख का यह बयान पूर्वी लद्दाख में कई बिंदुओं पर चीन और भारत के बीच जारी गतिरोध और जम्मू-कश्मीर में सीमा पार आतंकवाद की चुनौतियों के बीच आया है।
उन्होंने कहा कि थलसेना, भारतीय वायुसेना और नौसेना के साथ मिलकर राष्ट्र के सामने आने वाली सभी संभावित सुरक्षा चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटेगी। जनरल पांडे ने कहा, ‘थलसेना के आधुनिकीकरण एवं क्षमता विकास के मामले में मेरा प्रयास स्वदेशीकरण के माध्यम से नई तकनीक का लाभ उठाने का होगा।’ उन्होंने कहा कि वह अपने पूर्ववर्तियों के ‘अच्छे कार्यों’ को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने थलसेना के सैनिकों व अधिकारियों को आश्वासन दिया कि उनका कल्याण सुनिश्चित करना उनकी प्रमुख प्राथमिकता होगी। इंजीनियर कोर से पहला सेना प्रमुख बनने से जुड़े सवाल पर जनरल पांडे ने कहा कि विभिन्न सेवाओं से जुड़े भारतीय सेना के सभी अधिकारियों को करियर और पेशेवर विकास के लिए समान अवसर मिलते हैं। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नेतृत्व के पदों पर सभी अधिकारियों को युद्ध के हर पहलू का प्रशिक्षण दिया जाता है। जनरल मनोज पांडे ने जनरल एमएम नरवणे के सेवानिवृत्त होने के बाद शनिवार को 29वें थलसेना प्रमुख के रूप में पदभार संभाला। इससे पहले, वह थलसेना के उप-प्रमुख थे।