रूस द्वारा 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमले और उसके बाद पश्चिमी देशों द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद रूस से आयात मार्च में करीब एक तिहाई बढ़कर 1.1 अरब डॉलर हो गया है, जो एक महीने पहले 83.117 करोड़ रुपये था। बिजनेस स्टैंडर्ड को मिले आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
इस मामले से जुड़े लोगों ने कहा कि यह वृद्धि तेल आयात में बढ़ोतरी की वजह से हो सकती है। माना जा रहा है कि वाणिज्य विभाग ने पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (एमओपीएनजी) को पत्र लिखकर आयात का विस्तृत ब्योरा मांगा है, जिसमें भुगतान व्यवस्था शामिल है। भारत यह ब्योरा अब तक सार्वजनिक नहीं किया है।
हालांकि आयात में बढ़ोतरी के लिए तेल आयात को अहम माना जा रहा है, लेकिन रूस से आयातित वस्तुओं का अलग अलग ब्योरा अभी उपलब्ध नहीं है और सरकार इसकी जांच कर रही है।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 2021-22 (अप्रैल-फरवरी) के दौरान कच्चे सूरजमुखी तेल, उर्वरक, गैर औद्योगिक हीरों, पेट्रोलियम उत्पादों का आयात रूस से प्रमुख रूप से हुआ है।
वहीं बिजनेस स्टैंडर्ड को मिले आंकड़ों से पता चलता है कि भारत से रूस को निर्यात होने वाली वस्तुओं में मार्च में पिछले महीने की तुलना में एक चौथाई की कमी आई है।
मार्च महीने में निर्यात 75 प्रतिशत घटकर 790 लाख डॉलर रह गया है, जो फरवरी में 3,250 लाख डॉलर था। भारत से निर्यात होने वाली प्रमुख वस्तुओं में इलेक्ट्रिकल मशीनरी और उपकरण, लोहा एवं स्टील, फार्मास्यूटिकल्स उत्पाद, समुद्री उत्पाद, ऑटोमोबाइल कल-पुर्जे और नाभिकीय रिएक्टर शामिल हैं, जिन्हें 2021-22 के दौरान रूस भेजा गया।
यूके्रन पर हमले के बाद पश्चिमी देशों जेसे अमेरिका, कनाडा और यूरोपीय संघ के देशों ने मॉस्को पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए, जिसमें रूस को वैश्विक व्यापार से अलग-थलग करना शामिल है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा संयुक्त रूप से कृषि, दवा और ऊर्जा क्षेत्र पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। वहीं दूसरी ओर भारत भी अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहा है, केवल आर्थिक हित को नहीं।
पिछले 2 माह के दौरान भारत के निर्यातकों को भुगतान की समस्या सहित ढुलाई संबंधी चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है। इसकी वजह से रूस व अन्य राष्ट्रमंडल स्वतंत्र देशों (सीआईएस) के साथ कारोबार प्रभावित हुआ है। निर्यातकों का कहना है कि वैश्विक शिपिंग रूस के समुद्री बंदरगाहों से आने वाले मालवाहक जहाजों को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। साथ ही किसी पड़ोसी देश के जहाजों को भी नहीं स्वीकार किया जा रहा है, अगर खरीदार रूस का है। निर्यातकों की चिंता ढुलाई की दरें भी बढ़ा रही हैं, जो टकराव की वजह से तेजी से बढ़ी हैं।
पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण निर्यातकों को भुगतान संबंधी चुनौतियों से भी जूझना पड़ रहा है। भारत औऱ रूस रुपये-रूबल व्यवस्था के तहत भुगतान की संभावनाएं तलाश रहे हैं, लेकिन इसके तरीके को अभी अंतिम रूप दिया जाना है। अधिकारियों ने कहा कि भुगतान में अनिश्चितता और रूस के कंसाइनमेंट दस्तावेजों को लेकर भारतीय बैंकों की सुस्ती कुछ अन्य वजहें हैं। पिछले 2 महीनों के दौरान पश्चिमी देशों ने भारत द्वारा रूस के प्रति तटस्थ रुख अपनाए जाने को लेकर चिंता जताई है। भारत ने रूस द्वारा यूक्रेन पर किए गए हमले की आलोचना नहीं की है।
अधिकारियों ने कहा कि वहीं दूसरी तरफ भारत सावधानी बरत रहा है और वह प्रतिबंधों की अवहेलना नहीं कर रहा है जिससे पश्चिम की नाराजगी से बचा जा सके। यह एक वजह है कि भारत भुगतान व्यवस्था को सार्वजनिक नहीं कर रहा है।