वैश्विक नवाचार में भारत शीर्ष 50 देशों में

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 2:41 AM IST

कोविड-19 की वजह से लगाए गए लॉकडाउन और उससे प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था के बावजूद भारत ने इस साल चार पायदान चढ़ते हुए ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (वैश्विक नवाचार सूचकांक) के शीर्ष 50 में अपनी जगह बना ली है। 2019 में भारत 52वें पायदान पर था।
विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) द्वारा जारी 2020 सूचकांक में, भारत ने तीन आधार पर अपनी रैंकिंग में सबसे अधिक वृद्धि की। संस्थानों के आधार पर इसकी रैंकिंग 2019 के 77वें पायदान से 2020 में 61वें पायदान पर आ गई। वहीं  कारोबारी विशेषज्ञता के आधार पर यह 65 से 55वें पायदान पर और रचनात्मक नतीजों के आधार पर इसकी रैंकिंग 78वें पायदान से सुधरकर 64वें स्थान पर आ गई।
संस्थानों में देश की रैंकिंग के लिए  राजनीतिक और संचालन से जुड़ी स्थिरता (91वें से 83वें पायदान पर), सरकार की प्रभावशीलता (65वें से 55वें पायदान पर) और दिवालियापन को हल करने में आसानी (95वें से 47वें) जैसे संकेतकों में अच्छे सुधार दिखे।
कारोबारी विशेषज्ञता के लिहाज से देखें तो पिछले साल कारोबारों द्वारा दिए गए खर्च जैसे संकेतक उपलब्ध नहीं थे लेकिन इस बार भारत 48वें पायदान पर पहुंच गया। कारोबार विशेषज्ञता की श्रेणी में  भारत ने बौद्धिक संपदा भुगतान में 29वें पायदान से 27वें पायदान पर और शोध क्षमता में 46वें पायदान से 38वें पायदान पर पहुंच कर अपने बेहतर प्रदर्शन को दर्शाया।
रचनात्मक नतीजों के लिहाज से भारत ने प्रदर्शन में सुधार और मॉडल में बदलाव के जरिये अपनी रैंकिंग बढ़ाई। सांस्कृतिक और रचनात्मक सेवाओं के निर्यात के संकेतकों में इसने 18 पायदान की बढ़त के साथ 21वें स्थान पर जगह बनाई जबकि टाटा समूह के नेतृत्व में शीर्ष 5,000 में अपने 164 ब्रांडों की बदौलत वैश्विक ब्रांडों के नए संकेतक में 31वां स्थान हासिल किया।
हालांकि, भारत बुनियादी ढांचे में लगातार पिछड़ता गया। इसके अलावा यह 7 स्थान नीचे जाते हुए मानव पूंजी और शोध में 53वें स्थान से पिछड़कर 60वें स्थान पर चला गया। भारत लगातार 10 साल से नवाचार क्षेत्र में उपलब्धि हासिल करने वाला देश रहा है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि भारत पहले 10 देशों की आय समूह सूची में शामिल था। भारत निम्न मध्यम आय वर्ग में तीसरे स्थान पर रहा।
हालांकि वियतनाम ने 42वें स्थान पर अपनी जगह बनाते हुए और निम्न मध्यम आय वर्ग की सूची में शीर्ष पर रहते हुए भारत को पीछे छोडऩा जारी रखा है। यह 2019 में भी इसी पायदान पर था। वहीं यूक्रेन 2019 के 47वें स्थान में सुधार दिखाते हुए 45 वें स्थान पर काबिज हुआ है।
‘नवोन्मेष का वित्त पोषण कौन करेगा’ नामक इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अनुसंधान एवं विकास पर सकल घरेलू व्यय (जीईआरडी) दुनिया में 2.9 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ वर्ष 2017-2018 के दौरान क्रय शक्ति समता (पीपीपी) के लिहाज से बढ़कर 63.2 अरब डॉलर हो चुका है, जबकि वर्ष 2014-2015 में यह 50.3 अरब डॉलर था। भारत में जीईआरडी मुख्य रूप से सरकारी क्षेत्र द्वारा संचालित होता है जिसमें 45.4 प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार का, 6.4 प्रतिशत राज्य सरकारों का, 6.8 प्रतिशत उच्च शिक्षा का और 41.4 प्रतिशत हिस्सा उद्योग का रहता है जिसमें से साल के दौरान 4.6 प्रतिशत हिस्सेदारी सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग की और 36.8 प्रतिशत हिस्सेदारी निजी क्षेत्र के उद्योग की होती है।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई), जो भारत में डब्ल्यूआईपीओ का साझेदार है, के महानिदेशक चंद्रजित बनर्जी ने कहा, ‘जीआईआई की रिपोर्ट भारत में उस भविष्य की दिशा में योजना बनाने और गति देने वाला संदर्भ हो सकती है जिसकी हम अपने लोगों के लिए कल्पना कर रहे हैं। मैं आपको इस रिपोर्ट में संदर्भ देने, इसकी चर्चा अन्य लोगों के साथ करने और उन तरीकों पर विचार करने के लिए शाबाशी देता हूं जिनसे हम एकल राष्ट्रों और वैश्विक समुदाय के रूप में सुधार कर सकते हैं।’

First Published : September 2, 2020 | 11:27 PM IST