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भारत-रूस दोबारा आए साथ-साथ, चीन के लोन से बने एयरपोर्ट की अपने हाथों में ले ली कमान; 10 लाख है यात्री क्षमता

श्रीलंका की कैबिनेट ने चीन के द्वारा बनाए गए मटाला राजपक्षे इंटरनैशनल एयरपोर्ट (Mattala Rajapaksa International Airport) को रूस और भारत की फर्म को 30 साल के लिए सौंप दिया है।

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रत्न शंकर मिश्र   
Last Updated- April 28, 2024 | 5:57 PM IST

Mattala Rajapaksa International Airport:  एक समय जिस बंदरगाह को भारत खरीदना चाहता था, जो भारत के लिए राजनीतिक और व्यापारिक तौर पर काफी अहम था, मगर नाकाम रहने के बाद उसी हंबनटोटा में बने दुनिया के सबसे खाली एयरपोर्ट को भारत ने रूस के साथ मिलकर खरीद लिया है। श्रीलंका की कैबिनेट ने चीन के द्वारा बनाए गए मटाला राजपक्षे इंटरनैशनल एयरपोर्ट (Mattala Rajapaksa International Airport) को रूस और भारत की फर्म को 30 साल के लिए सौंप दिया है।

भारत और रूस की फर्में जॉइंट वेंचर के जरिये करेंगी मैनेजमेंट

चीन की तरफ से बनाए गए Mattala Rajapaksa International Airport (MRIA) को अब भारत की कंपनी शौर्य एरोनॉटिक्स प्राइवेट लिमिटेड (Shaurya Aeronautics (Pvt) Ltd) और रूस की एयरपोर्ट ऑफ रीजन मेनेजमेंट कंपनी (Airports of Regions Management Company) मिलकर जॉइंट वेंचर (JV) के जरिये मैनेज करेंगी। इसके लिए 26 अप्रैल को श्रीलंका की कैबिनेट ने मंजूरी दी थी।

दूसरी बार भारत-रूस आए साथ साथ

दिलचस्प बात यह भी है कि भारत और रूस के साथ ऐसा दूसरी बार हो रहा है जब दोनों देशों की फर्मे एक साथ मिलकर किसी तीसरे देश में प्रोजेक्ट का संचालन करें। इसके पहले दोनों देश बांग्लादेश के पहले पावर प्लांट रूपपुर न्यूक्लियर पावर प्लांट (Rooppur Nuclear Power Plant) को स्थापित करने के लिए साथ आए थे। इसे लेकर भी अभी काम जारी है।

चीन की बैंक से लोन लेकर बनाया था एयरपोर्ट

श्रीलंका में इस एयरपोर्ट का ऑपरेशन मार्च 2013 में शुरू हुआ था। इसे चीन से हाई इंट्रेस्ट पर 20.9 करोड़ डॉलर का कमर्शियल लोन लेकर तैयार किया था। कुल लिए गए लोन का एक बड़ा हिस्सा (19 करोड़ डॉलर) चीन के एग्जिम बैंक (Export Import Bank/Exim Bank) से लिया गया था।

2013 से ही विवाद

2013 के बाद से ही इस एयरपोर्ट से उड़ानों की संख्या काफी कम हो गई और पर्यावरण की दृष्टि से भी काफी अहम होने और फाइनैंशियली घाटे में जाने की वजह से यह एयरपोर्ट लगातार विवादों में बना रहा। तत्कालीन राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे (Mahinda Rajapaksa) के नाम से बना मटाला हवाई अड्डा उनके गृह जिले हंबनटोटा में एक चीन समर्थित इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट था। इस एयरपोर्ट को एक समय ‘दुनिया का सबसे खाली एयरपोर्ट’ कहा जाने लगा।

साल 2017 में चीन के कर्ज से निपटने के लिए और मुनाफा कमाने के लिए श्रीलंका की सरकार ने निवेशकों को बुलाया। मगर इस एयरपोर्ट के ऑपरेशन के लिए कोई भी प्रपोजल सामने नहीं आया।

2022 में आर्थिक तंगी से परेशान हुआ श्रीलंका

मई 2022 में श्रीलंका अपने कर्ज को चुकाने में चूक गया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि देश आर्थिक तंगी से गुजर रहा था और स्थिति 70 सालों में सबसे खराब लेवल तक पहुंच गई थी। साथ ही साथ उसका विदेशी मुद्रा भंडार (forex reserves) रिकॉर्ड निचले स्तर पर गिर गया।

अब श्रीलंका अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से 2.9 बिलियन डॉलर की राहत राशि हासिल करने के बाद दर्जनों सरकारी कंपनियों द्वारा किए गए घाटे को कम करने के लिए काम कर रहा है, जिससे अर्थव्यवस्था को स्थिर करने और दो साल बाद 2024 में विकास की ओर लौटने में मदद मिल रही है।

क्या है हवाई अड्डे की क्षमता?

इस साल 9 जनवरी को श्रीलंका की कैबिनेट ने एयरपोर्ट को मैनेज करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट करना चाहा, जिसके लिए एक्सप्रेसन ऑफ इंट्रेस्ट का ऐलान किया। इसके बाद 5 प्रपोजल सामने आए जिसमें से कैबिनेट ने भारत औऱ रूस के जॉइंट वेंचर को मंजूरी दी।

हवाई अड्डे की क्षमता हर साल दस लाख यात्रियों को संभालने की है और 2028 तक प्रति वर्ष 50 लाख यात्रियों, 50,000 टन कार्गो और 6,250 हवाई यातायात संचालन को संभालने की उम्मीद है।

First Published : April 28, 2024 | 5:57 PM IST