भारत ने पड़ोसी देशों से 1.79 अरब डॉलर मूल्य के विदेशी निवेश को मंजूरी दी है। वर्ष 2020 में चीन के साथ तनाव के बाद भारत ने बुधवार को इस संबंध में अपने पहले बयान में यह जानकारी दी है।
भारत ने वर्ष 2020 में कहा था कि वह जिन देशों के साथ सीमा साझा करता है, उनसे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए पहले सरकार की मंजूरी की जरूरत होगी, जिसे इसने अवसरवादी अधिग्रहण रोकने लिए उठाया गया कदम बताया था। इसे मुख्य रूप से चीन के मद्देनजर उठाए गए कदम के रूप में देखा जाता है।
भारत चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, म्यांमार और अफगानिस्तान के साथ सीमा साझा करता है। इसने अपने बयान में किसी भी कंपनी या देश का नाम नहीं लिया है।
सरकार ने कहा कि उसे अप्रैल 2020 के बाद से पड़ोसी देशों से करीब 10 अरब डॉलर के 347 प्रस्ताव मिले हैं। सरकार ने संसद में कहा कि वाहन, फार्मास्युटिकल, वित्तीय और इलेक्ट्रॉनिक उद्योगों में 66 प्रस्तावों को मंजूरी दी जा चुकी है, जबकि 193 प्रस्तावों को रद्द अथवा बंद किया जा चुका है या वापस लिया जा चुका है।
भारत ने चीनी निवेश को लक्ष्य बनाते हुए कई कदम उठाए हैं। वर्ष 2020 में एशिया के इन दोनों देशों के बीच सीमा संबंधी तनाव के बाद ऐसा किया गया है, जिसमें निवेश या आयात की कड़ी जांच तथा कुछ मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगाना भी शामिल है।