कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिए वैकल्पिक ईंधन को बढ़ावा देने के प्रयास के बीच भारत एथनॉल का इस्तेमाल बढ़ाने के मकसद से तकनीकी साझेदारी के लिए ब्राजील के साथ बातचीत कर रहा है। केंद्रीय मंत्री वी के सिंह ने मंगलवार को कहा कि ब्राजील लंबे समय से वाहनों में एथनॉल का उपयोग कर रहा है और इस दक्षिण अमेरिकी राष्ट्र से बहुत कुछ सीखना बाकी है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्यमंत्री ने राष्ट्रीय राजधानी में ‘एसोचैम-फ्यूल्स ऑफ द फ्यूचर 2.0’ सम्मेलन में कहा, ‘‘हम उनसे (ब्राजील) सीख सकते हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए उनके साथ सहयोग कर सकते हैं कि हम एथनॉल और ऐसे अल्कोहल-आधारित ईंधन के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र भी विकसित करें।’’
उन्होंने कहा कि जीवाश्म ईंधन के स्थान पर वैकल्पिक ईंधन के बारे में जागरूकता लाने की जरूरत है। गन्ने के अलावा टूटे चावल, मक्का और मकई का उपयोग करके भी एथनॉल का उत्पादन किया जा सकता है।
नागर विमानन राज्यमंत्री का भी जिम्मा संभालने वाले सिंह ने कहा, ‘‘टिकाऊ विमानन ईंधन पर भी जोर दिया जा रहा है और हमने इसका उड़ान पर परीक्षण किया है। आज हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि हम कौन सा वैकल्पिक ईंधन अपनाएं और इसको लेकर मानसिकता में कैसे बदलाव लाएं।’’
ब्राजील के दूतावास के राजदूत केनेथ फेलिक्स हज़िंस्की दा नोब्रेगा ने कहा कि भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान वैश्विक जैवईंधन गठजोड़ का शुभारंभ वास्तव में स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में एक अभूतपूर्व प्रयास है।
उन्होंने कहा, ‘‘ब्राजील और भारत तीन साल से एथनॉल को लेकर तकनीकी बातचीत चला रहे हैं… हम इस साझेदारी, इस तकनीकी साझेदारी को और विकसित करेंगे और नए साझेदार ढूंढने का प्रयास करेंगे ताकि जैव-ईंधन एथनॉल का उपयोग बड़ी संख्या में देशों में किया जा सके। ब्राजील अपनी प्रौद्योगिकी और अपने अनुभव को भारत के साथ साझा करने के लिए तैयार है।”