विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा | फाइल फोटो
Indus Waters Treaty: भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर है। इस बार मामला है 1960 के सिंधु जल समझौते का, जिसे भारत ने हाल ही में निलंबित कर दिया। इस फैसले से पाकिस्तान भड़क गया और उसने विश्व बैंक से हस्तक्षेप की मांग की। लेकिन विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने साफ कर दिया कि उनकी कोई दखल देने की भूमिका नहीं है।
उन्होंने कहा, “हम सिर्फ मध्यस्थ हैं। मीडिया में खबरें चल रही हैं कि विश्व बैंक बीच में आएगा और समस्या सुलझाएगा, लेकिन ये सब बकवास है।” इस बयान ने पाकिस्तान की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
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दरअसल, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के रिश्ते और बिगड़ गए। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। भारत ने इसके जवाब में कई कड़े कदम उठाए। सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सार्क वीजा छूट योजना रद्द कर दी, अटारी सीमा बंद कर दी और कई पाकिस्तानी यूट्यूब चैनल्स और कई मशहूर हस्तियों, जैसे हनिया आमिर और माहिरा खान के इंस्टाग्राम अकाउंट्स ब्लॉक कर दिए।
1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से भारत और पाकिस्तान ने सिंधु जल समझौता किया था। इसके तहत सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों का पानी दोनों देशों के बीच बांटा गया। लेकिन 24 अप्रैल को भारत ने इस समझौते को निलंबित कर दिया। अगले ही दिन पाकिस्तान ने इसे “एकतरफा और गैरकानूनी” बताते हुए विश्व बैंक से शिकायत की। पाकिस्तान ने चेतावनी दी कि अगर उसका पानी का हिस्सा कम किया गया तो इसे “युद्ध की कार्रवाई” माना जाएगा।
भारत ने भी कदम पीछे नहीं हटाए। 4 मई को भारत ने चिनाब नदी पर बगलिहार बांध से पानी का प्रवाह कम कर दिया और अब झेलम नदी पर किशनगंगा बांध पर भी ऐसा करने की योजना है। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भारी गोलाबारी शुरू की, जिसमें 16 नागरिकों की मौत हो गई। भारत ने भी 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया और पाकिस्तान व पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में नौ जगहों पर आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया।
यह तनाव दोनों देशों के लिए नया नहीं है, लेकिन इस बार पानी और आतंकवाद का मुद्दा इसे और गंभीर बना रहा है। विश्व बैंक का हस्तक्षेप न करने का फैसला दोनों देशों को अपनी समस्या खुद सुलझाने के लिए मजबूर कर सकता है।