अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) ने पोत परिवहन में जैव-ईंधन और जैव-ईंधन मिश्रण के उपयोग को लेकर अंतरिम दिशानिर्देश अपना लिया है। यहां एक समुद्री पर्यावरण संरक्षण सम्मेलन में भारत ने इस प्रस्ताव को पुरजोर तरीके से आगे बढ़ाया। आईएमओ संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो अंतरराष्ट्रीय पोत-परिवहन की सुरक्षा में सुधार और जहाजों से प्रदूषण रोकने के उपायों के लिए जिम्मेदार है।
इसका मुख्यालय लंदन में है। आईएमओ की समुद्री पर्यावरण संरक्षण समिति (एमईपीसी) के 80वें सत्र में बृहस्पतिवार को अंतरिम दिशानिर्देश अपनाया गया। इसमें इस बात पर जोर दिया गया कि अंतरराष्ट्रीय प्रमाणन योजना द्वारा प्रमाणित जैव ईंधन, इसके पर्यावरण-अनुकूलता के मानदंडों को पूरा करते हैं और ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाते हैं।
यह पोत-परिवहन उद्योग में उपयोग किए जा सकने वाले जीवाश्म ईंधन की तुलना में जीएचजी (ग्रीन हाउस गैस) उत्सर्जन में कम से कम 65 प्रतिशत की कमी प्रदान करता है। इस परामर्श के प्रभावी होने के साथ, भारत में दुनिया के जैव ईंधन केंद्र के रूप में विकसित होने की काफी संभावनाएं हैं।
पोत-परिवहन के अतिरिक्त महानिदेशक (डीजी) और एमईपीसी में भारतीय प्रतिनिधि अजीत कुमार सुकुमारन ने पीटीआई-भाषा से कहा, “अपने अत्यधिक टिकाऊ दूसरी पीढ़ी के जैव ईंधन के साथ हम अब दौड़ में सबसे आगे हैं। ब्राजील और चीन भी इस दौड़ में हैं, लेकिन हमारा जैव ईंधन उच्च गुणवत्ता वाला साबित हुआ है।”
सदस्य देशों ने अमेरिका की आपत्तियों को नजरअंदाज करते हुए प्रस्ताव पर भारत का समर्थन किया। ईएमओ के स्वीकृत परिपत्र के अनुसार, “सदस्य देशों को एक अक्टूबर तक अपने प्रशासन, जहाज मालिकों, जहाज संचालकों, ईंधन तेल आपूर्तिकर्ताओं समेत अन्य संबद्ध पक्षों के लिए अंतरिम मार्गदर्शन लाने को लेकर आमंत्रित किया गया है।”