विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के 164 सदस्य देशों के बीच चले गहन विचार-विमर्श के बाद कोविड-19 टीकों के लिए अस्थायी पेटेंट छूट पर सहमति बनी और मछलीपालन के लिए मिलने वाली सब्सिडी, खाद्य सुरक्षा और कृषि के साथ साथ डब्ल्यूटीओ में सुधार को लेकर आखिरकार आज समझौता हो गया। एक समय तो ऐसा लग रहा था कि सदस्य देशों के
बीच गतिरोध के कारण बात नहीं बन पाएगी। डब्ल्यूटीओ का सम्मेलन रविवार को शुरू हुआ था और 15 जून को खत्म होना था। हालांकि चार दिवसीय सम्मेलन को दो और दिन तक बढ़ा दिया गया ताकि बातचीत किसी नतीजे पर पहुंच सके।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने डब्ल्यूटीओ के 12वें मंत्री-स्तरीय सम्मेलन को सफल नतीजों वाला करार दिया और भारत तथा विकासशील देशों की प्राथमिकताओं को आगे रखा गया। गोयल ने कहा, ‘यह पहला मंत्री-स्तरीय सम्मेलन हागा जिसमें भारत ने एजेंडा तय किया है। बैठक में भारत ने अपने हित को ऊपर रखा और अंत तक उससे पीछे नहीं हटा। हमने दुनिया को बताया कि क्या होना चाहिए। यह हम सभी के लिए गर्व की बात है कि भारत ने डब्ल्यूटीओ का एजेंडा तय किया।’
विश्व व्यापार संगठन का परिणाम न केवल एक बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के महत्व का प्रतीक है बल्कि भारत के लिए अपने हित में सौदा करने वाले देश के तौर पर छवि बदलाव का भी प्रतीक है।
डब्ल्यूटीओ की महानिदेशक नगोजी ओकोंजो-इवेला ने कहा कि जो समझौते हुए हैं वे अप्रत्याशित हैं और दुनिया भर के लोगों की जिंदगियों में बदलाव लेकर आएंगे। इसने दिखाया है कि डब्ल्यूटीओ के सदस्य साथ आकर दुनिया की साझा चिंताओं को दूर करने में सक्षम हैं।
जहां तक बैठक के नतीजों का सवाल है तो इसमें लगभग सभी मसलों पर सहमति बनी सिवाय खाद्य सुरक्षा के लिए सार्वजनिक भंडारण के। भारत इस पर सहमति की उम्मीद कर रहा था लेकिन इसे अगली मंत्री-स्तरीय बैठक के लिए टाल दिया गया। संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के मसले पर भारत ने विकसित देशों के प्रस्ताव पर सहमति जताई। इसके तहत विश्व खाद्य कार्यक्रम के लिए अन्य देशों से खाद्यान्न की खरीद के लिए निर्यात पर कोई पाबंदी नहीं होगी और भारत को खाद्य सुरक्षा में प्राथमिकता की अनुमति दी जाएगी।
सदस्य देशों ने कोविड-19 टीकों के विनिर्माण के लिए बौद्धिक संपदा अधिकारों में छूट देने पर भी सहमति जताई। इस निर्णय से टीके का निर्यात और उपलब्धता बढ़ेगी, साथ ही यह सबके लिए समान रूप से किफायती दाम पर उपलब्ध होगा। समझौते के मुताबिक कोई भी देश पेटेंटशुदा टीकों का उत्पादन कर सकता है और इसके लिए सहमति की जरूरत नहीं होगी। इसके निर्यात पर भी कोई बंदिश नहीं होगी। डायग्नॉस्टिक्स और उपाचारात्मक दवाओं के बौद्धिक संपदा मामले में छह महीने बाद निर्णय किया जाएगा।
अक्टूबर 2020 में भारत और दक्षिण अफ्रीका ने मध्यम और कम आय वाले देशों के लिए कोविड टीका और दवाओं के लिए टीआरआईपीएस में छूट देने का प्रस्ताव किया था। लेकिन टीआरआईपीएस परिषद में इस पर बात नहीं बन पाई थी। गोयल ने कहा, ‘टीआरआईपीएस छूट के विषय पर हमने पूरी छूट देने की मांग की थी लेकिन यह नवोन्मेष का मुद्दा है जिसका सम्मान किया जाना चाहिए। इस पर एक संतुलित निर्णय हुआ है। देश टीकों का विनिर्माण कर पाएंगे। इस निर्णय से हर कोई सहमत है।’
उन्होंने कहा कि कृषि से संबंधित मसले जैसे कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अब कोई चिंता नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत ने अनाज के सार्वजनिक भंडारण के लिए किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद को लेकर किसी तरह का समझौता नहीं किया है। मछुआरों के मुद्दों की हमने रक्षा की। हमने खाद्य सुरक्षा और महामारी के प्रति डब्ल्यूटीओ की प्रतिक्रिया के बारे में अहम निर्णय लिए और ई-वाणिज्य व्यापार पर एक तय समयसीमा के साथ सीमा-शुल्क पर रोक पर भी सहमति बनी।