दुनिया की सबसे बड़ी पुलिस संस्था इंटरपोल ने आभासी संपत्ति से जुड़े अपराधों से निपटने के लिए सिंगापुर में विशेष टीम की स्थापना की है। इंटरपोल में 195 सदस्य देश शामिल हैं।
नई दिल्ली में इंटरपोल की महासभा की प्रेसवार्ता के दौरान संस्था के महासचिव जुर्गन स्टॉक ने कहा, ‘बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सामने बड़ी चुनौती पेश की है क्योंकि इससे निपटने के लिए कोई कानूनी ढांचा नहीं है।
अपराधी प्रवर्तन एजेंसियों से छुपाकर धन को दुनियाभर में स्थानांतरित करने के लिए क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करते हैं।’ भारत में 25 वर्षों के बाद इंटरपोल की महासभा का आयोजन किया जा रहा है। भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में यह कार्यक्रम हो रहा है। इंटरपोल का सर्वोच्च शासी निकाय महासभा है।
सीबीआई को इंटरपोल के लिए भारत के राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो के रूप में नामित किया गया है। सीबीआई ने इस (क्रिप्टो) चुनौती से निपटना शुरू कर दिया है। सीबीआई के विशेष निदेशक प्रवीण सिन्हा ने संवाददाताओं को बताया कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग से अवैध रूप से अर्जित संपत्ति के हस्तांतरण और धनशोधन पर रोक लगाई जा सकती है।
कुछ उच्च पदस्थ लोगों पर रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने से इनकार करने के मामले पर स्टॉक ने कहा कि रेड कॉर्नर नोटिस कोई अंतरराष्ट्रीय वारंट नहीं होता है। हमारी भूमिका यह आकलन करने की है कि रेड कॉर्नर नोटिस के लिए अनुरोध हमारे संविधान और नियमों के अनुरूप है या नहीं।
हाल ही में इंटरपोल ने विवादित इस्लामिक उपदेशक डॉ. जाकिर नाइक के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने से इनकार किया था। बाद में कुछ और अनुरोध अस्वीकृत किए गए थे। बिज़नेस स्टैंडर्ड से एक सीबीआई अधिकारी ने कहा, ‘हाल ही में पुलिस निकाय द्वारा करीब दर्जनभर अनुरोधों को ठुकरा दिया गया है, जिससे विदेश गए भगोड़ों को खोज पाना चुनौतीपूर्ण हो गया है।’
इंटरपोल प्रमुख स्टॉक ने बताया कि संगठित अपराध नेटवर्क अरबों डॉलर की कमाई कर रहे हैं। वैश्विक अवैध वित्तीय प्रवाह के एक फीसदी से भी कम रुक रहे हैं या उसकी रिकवरी हो पा रही है। ऐसी करीब 99 फीसदी संपत्ति अपराधियों के हाथों में ही रहती है। यह चिंता का विषय है। साइबर अपराधों की वैश्विक लगात के अनुमान के अनुसार यह 2025 तक 10.5 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।