जापान चला अमेरिका की राह

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 5:15 PM IST

अमेरिका के बाद अब विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जापान पर भी मंदी का खतरा मंडराने लगा है।


एक ओर जहां देश में उपभोक्ता मूल्यों में एक दशक की सबसे अधिक तेजी देखने को मिली है, वहीं पिछले पांच महीनों में पहली दफा बेरोजगारी का ग्राफ भी ऊपर गया है। फरवरी में पिछले वर्ष की तुलना में खाद्य पदार्थों की कीमतों में एक फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है। वहीं आश्चर्यजनक रूप से बेरोजगारों की संख्या 3.9 फीसदी ऊपर गई है जो पिछले अक्टूबर के बाद अब तक का सबसे बड़ा रिकार्ड है।


जानकारों का मानना है कि आने वाले समय में भी बेरोजगारों की स्थिति में सुधार होने की संभावना नहीं के बराबर है। अगले कुछ समय में भी बेरोजगारी का आंकड़ा 3.8 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया जा रहा है। इतना ही नहीं रोजगार के अवसरों में भी दो वर्ष बाद सबसे अधिक गिरावट देखी गई है। इन आंकड़ों को देखकर कई जानकार यह मानने लगे हैं कि देश आर्थिक मंदी की ओर कदम बढ़ा रहा है।


वहीं कुछ अर्थशास्त्रियों ने बुलंद आवाज में यह तक कह दिया है कि जापान आंशिक मंदी की चपेट में आ चुका है। एक तो बढ़ती महंगाई, ऊपर से बेरोजगारी के चढ़ते ग्राफ ने बैंक ऑफ जापान के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। केंद्रीय बैंक को विश्लेषकों की उस भविष्यवाणी ने परेशान कर रखा है जिसमें कहा गया है कि देश की आर्थिक विकास दर पिछले पांच वर्षों में सबसे कम रफ्तार से आगे बढ़ेगी।


टोक्यो स्थित सुमितोमो मित्सुई एसेट के अर्थशास्त्री हिरोआकी मुटो ने कहा कि नीति निर्माताओं को अब ब्याज दरों में कटौती पर गंभीरता पूर्वक विचार करना चाहिए।हालांकि, केंद्रीय बैंक के नीति निर्माताओं ने भी इस बात से इनकार नहीं किया है कि उन्हें कोई ठोस कदम उठाना पड़ेगा। केंद्रीय बैंक के कार्यवाहक गवर्नर मसाकी  शिराकावा, उप गवर्नर कियाहीको निशीमुरा और बोर्ड सदस्य मियाको सुडा ने पिछले हफ्ते कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो बैंक आवश्यक कदम उठाने को तैयार है।


कारोबारियों और निवेशकों का मानना है कि इस वर्ष दिसंबर तक ओवरनाइट लैंडिंग रेट में 0.5 फीसदी की कटौती की जा सकती है। कच्चे तेल समेत दूसरे कच्चे पदार्थों की तेज कीमतों की वजह से आने वाले कुछ महीनों में कंपनियों के उत्पादन और मुनाफे पर भी मार पड़ने की आशंका है। यही वजह है कि शायद कंपनियां नुकसान को दूर रखने के लिए कर्मचारियों की भर्ती से दूरी बनाकर रखना चाह रही हैं।


टोक्यो में मॉर्गन स्टैनली के प्रमुख अर्थशास्त्री टकेहिरो साटो ने कहा कि कंपनियां फिलहाल इस स्थिति में नहीं हैं कि वे कर्मचारियों की संख्या बढ़ा सकें या फिर उनकी तनख्वाह को बेहतर बना सकें। जब तक उनको खुद मुनाफा नहीं होगा तब तक उनसे ऐसी कोई उम्मीद रखना भी मूर्खता है।


माना जा रहा है कि अगले सप्ताह कुछ और आर्थिक रिपोर्ट आएंगी, जिनसे स्थिति और स्पष्ट हो जाएगी कि अर्थव्यवस्था की गाड़ी किस दिशा में जा रही है। उत्पादन क्षेत्र से भी खबरें कुछ खास उत्साहित करने वाली नहीं रही हैं। औद्योगिक उत्पादन में लगातार दूसरे महीने गिरावट देखने को मिली है।


विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी मंदी के कगार पर
बेरोजगारी के आंकड़े में आश्चर्यजनक रूप से 3.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई
बैंक ऑफ जापान से ब्याज दरों में कटौती की मांग
केंद्रीय बैंक ने कहा कि हर संभव कोशिश के लिए हैं तैयार
कच्चे तेल समेत खाद्य पदार्थों की कीमतों में लगी आग का उठाना पड़ रहा है खामियाजा

First Published : March 28, 2008 | 9:57 PM IST