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जिमी कार्टर का भारत से था गहरा लगाव, भारतीय संसद को किया संबोधित

महाराष्ट्र में बनवाए थे 100 परिवारों के घर, हरियाणा में गांव का नाम कार्टरपुरी

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- December 30, 2024 | 11:17 PM IST

नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित एवं अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति जिमी कार्टर का भारत से गहरा जुड़ाव था। उनके सम्मान में हरियाणा के गांव का नाम ही कार्टरपुरी है। महाराष्ट्र में भी उन्होंने 100 परिवारों के घर बनवाए थे, जो आज भी कार्टर को ईश्वर के दूत के रूप में याद करते हैं। जिमी कार्टर आपातकाल के बाद भारत आए थे। उस समय भारतीय संसद को संबोधित करते हुए अधिनायकवाद पर सांसदों को चेताया था। कार्टर का रविवार को 100 वर्ष की आयु में निधन हो गया। कार्टर 1977 से 1981 तक अमेरिका के राष्ट्रपति रहे।

भारतीय संसद को किया संबोधित

कार्टर भारत की यात्रा करने वाले तीसरे अमेरिकी नेता थे। उन्हें भारत का मित्र माना जाता था। वह 1977 में आपातकाल हटने और जनता पार्टी की जीत के बाद आए थे। भारतीय संसद में अपने संबोधन के दौरान कार्टर ने अधिनायकवादी शासन के खिलाफ बात कही थी।

कार्टर ने 2 जनवरी, 1978 को भारतीय संसद को संबोधित करते हुए कहा था, ‘भारत की कठिनाइयां, जिनका हम अक्सर स्वयं अनुभव करते हैं और जिनका विशेष रूप से विकासशील देशों को सामना करना पड़ता है, वे हमें भविष्य की जिम्मेदारियों की याद दिलाती हैं। अधिनायकवादी तरीके की नहीं।’

उन्होंने सांसदों से कहा था, ‘भारत की सफलताएं अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे इस सिद्धांत को निर्णायक रूप से खारिज करती हैं कि आर्थिक एवं सामाजिक प्रगति के लिए विकासशील देश को सत्तावादी या अधिनायकवादी सरकार को और इस तरह के शासन से मनुष्यता की भावना को होने वाले नुकसान को स्वीकार करना होगा।’

हरियाणा में गांव का नाम कार्टरपुरी

कार्टर सेंटर की ओर से जारी बयान के अनुसार, 3 जनवरी, 1978 को कार्टर और तत्कालीन प्रथम महिला रोजलिन कार्टर नई दिल्ली के पास स्थित दौलतपुर नसीराबाद गांव गए थे। यह गांव दिल्ली से लगभग एक घंटे की दूरी पर हरियाणा के गुरुग्राम के पास स्थित है।

कार्टर की मां लिलियन ने 1960 के दशक के अंत में ‘पीस कोर’ के साथ स्वास्थ्य स्वयंसेवक के रूप में वहां काम किया था। ‘कार्टर सेंटर’ ने कहा, ‘यह यात्रा इतनी सफल रही कि कुछ ही समय बाद गांव के लोगों ने राष्ट्रपति कार्टर के सम्मान में उस क्षेत्र का नाम बदलकर ‘कार्टरपुरी’ रख दिया। गांव के लोग राष्ट्रपति कार्टर के शेष कार्यकाल के दौरान भी व्हाइट हाउस के संपर्क में रहे।’

कार्टर सेंटर, कार्टर द्वारा स्थापित एक गैर-सरकारी और गैर-लाभकारी संगठन है। उसने कहा, ‘इस यात्रा ने स्थायी प्रभाव छोड़ा। इससे अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब पूर्व राष्ट्रपति कार्टर को 2002 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला तो इस गांव में भी उत्सव मनाया गया और 3 जनवरी को कार्टरपुरी में अवकाश रहता है।’

मुंबई के पास 100 परिवारों को दिए घर

जिमी कार्टर ने मुंबई से लगभग 80 किलोमीटर दूर लोनावला के निकट निम्न आय वाले 100 परिवारों को 2006 में उनके घर बनाने में मदद की थी। उस वर्ष अक्टूबर में एक सप्ताह तक पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति और उनकी पत्नी रोजलिन ने परिवारों और लगभग 2,000 अंतरराष्ट्रीय व स्थानीय स्वयंसेवकों के साथ मिलकर लोकप्रिय हिल स्टेशन लोनावला के पास पाटन गांव में घर बनाने का काम किया था।

एक साक्षात्कार में कार्टर ने कहा था कि उनकी मां लिलियन 67 वर्ष की उम्र में पीस कॉर्प्स में शामिल हुई थीं और मुंबई के पास कुष्ठ रोगियों की एक कॉलोनी में काम करती थीं। उन्न्होंने याद करते हुए कहा था, ‘मेरी मां बम्बई के बहुत निकट विक्रोली नामक एक छोटे से गांव में रहती थीं।’ उनका इशारा उस स्थान की ओर था, जो अब महानगर का एक केंद्रीय उपनगर है।

कार्टर का परिवार

कार्टर के परिवार में उनके बच्चे- जैक, चिप, जेफ एवं एमी, 11 पोते-पोतियां और 14 परपोते-परपोतियां हैं। उनकी पत्नी रोजलिन का 96 वर्ष की आयु में नवंबर 2023 में निधन हो गया था। जिमी कार्टर के पुत्र चिप कार्टर ने कहा, ‘मेरे पिता केवल मेरे लिए ही नहीं, बल्कि शांति, मानवाधिकारों और निःस्वार्थ प्रेम में विश्वास रखने वाले हर व्यक्ति के नायक थे।’

अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए एक बयान में कहा, ‘अमेरिका और विश्व ने आज एक असाधारण नेता, राजनीतिज्ञ और मानवतावादी खो दिया।’

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा कि हालांकि वह ‘दार्शनिक और राजनीतिक रूप से’ कार्टर से ‘पूरी तरह असहमत’ हैं, लेकिन वह जानते हैं कि कार्टर हमारे देश और इसके मूल्यों से सच्चा प्यार करते थे और उनका सम्मान करते थे।

First Published : December 30, 2024 | 11:17 PM IST